पैर छूकर आशीर्वाद लेना भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है. भारत में बड़े-बुजुर्ग व सम्मानित लोगों के पैर छूना आदर और आशीर्वाद की परंपरा मानी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं, कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जिनके पैर छूना हमारी परंपराओं में वर्जित माना गया है? शायद आपको आश्चर्य हो, लेकिन यह सिर्फ अंधविश्वास नहीं, बल्कि गहरी सोच और सामाजिक तर्क से जुड़ी बात है. तो सवाल उठता है—कौन हैं वे लोग जिनके पैर छूना नहीं चाहिए और क्यों. यह मान्यता मुख्य रूप से धर्म, दर्शन और सामाजिक मूल्यों पर आधारित है. आइए इसे विस्तार से समझते हैं कि किन लोगों के पैर छूना वर्जित है…
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब आप मंदिर में हों, तब किसी के भी पूर नहीं छूना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से आप अनजाने में भगवान का अपमान कर रहे होते हैं क्योंकि मंदिर में केवल एक ही ऊर्जा सबसे बड़ी होती है और वह ईश्वर. मंदिर में केवल ईश्वर के आगे ही नतमस्तक होना चाहिए.
सोते समय चरण स्पर्श करना
अगर कोई व्यक्ति सो रहा हो तब उस अवस्था में उस व्यक्ति के चरण स्पर्श नहीं करने चाहिए, यह एक अनुचित कार्य है. सोते हुए व्यक्ति में अलग तरह की ऊर्जा होती है, जो जगह रहते व्यक्ति की ऊर्जा से नहीं मिलती. सोया हुआ व्यक्ति मृत के समान माना जाता है लेकिन वह जीवित होता है. ऐसे में सोया हुआ व्यक्ति जीवित और मृत के बीच किसी ऊर्जा में उलझा हुआ रहता है इसलिए कभी भी सोते हुए व्यक्ति के पैर नहीं छूने चाहिए.
अगर कोई व्यक्ति श्मशान से लौटकर आ रहा है तो उस व्यक्ति के भूलकर चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए, ऐसा करना वर्जित बताया गया है. श्मशान से लौटने वाले व्यक्ति अशुद्ध माना जाता है और उसके आसपास नकारात्मक ऊर्जा रहने का भी भय रहता है, ऐसे में भूलकर भी श्मशान से लौटने वाले व्यक्ति के चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से दोनों व्यक्ति को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
अधार्मिक व्यक्ति के चरण स्पर्श करना
अगर किसी व्यक्ति को समाज में अधार्मिक या गलत कर्म करने वाला माना गया है, तो उसके पैर छूना पुण्य नहीं, दोष की श्रेणी में आ सकता है. ऐसे व्यक्ति के चरण स्पर्श करने से उसका दुष्प्रभाव पैर छूने वाले व्यक्ति पर पड़ सकता है, जिससे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
शास्त्रों में पति को स्वामी और पत्नी को धर्मपत्नी कहा गया है. कुछ समुदायों में यह मान्यता है कि पति को पत्नी के पैर नहीं छूने चाहिए, क्योंकि वह उसका रक्षक है. हालांकि आज के दौर में यह सोच बदल रही है, पर परंपरा में इसका स्थान था.
पूजा पाठ करते व्यक्ति के चरण स्पर्श करना
जो व्यक्ति पूजा पाठ कर रहा हो, उस व्यक्ति के चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए. पूजा के समय व्यक्ति ईश्वर से जुड़ा रहता है, जब पूजा के समय व्यक्ति के चरण स्पर्श करते हैं तब उनकी पूजा पाठ में विघ्न आ जाता है, जो सही नहीं माना जाता. ऐसा करने से पैर छूने वाले व्यक्ति पाप का भागी बनता है.
भारतीय परंपरा में दामाद सास-ससुर के पैर नहीं छूते हैं. जब भगवान शिव ने अपने ससुर प्रजापति राजा दक्ष का शीश काट दिया था. तब से इस नियम का पालन किया जाता है कि दामाद को कभी भी अपने ससुर के पैर नहीं छूने चाहिए.
मामा के चरण स्पर्श करना
मांजे को मामा के पैर नहीं छूना चाहिए, ऐसा करना गलत माना गया है. कंस का भगवान कृष्ण ने उद्धार किया था, तब से ही यह नियम है कि भांजा कभी भी मामा के पैर नहीं छूएगा.