मध्यप्रदेश में मोहल्ले-कॉलोनियों की सड़कें और नालियां जनभागीदारी से बनाने की योजना है। इनके निर्माण पर सरकार 50 फीसदी पैसा खर्च करेगी और 50 फीसदी पैसा आम लोगों से लिया जाएगा। जनभागीदारी से राशि इकट्ठा करने की जिम्मेदारी नगर निगम, नगर पालिका और नगर पर
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दरअसल, सरकार मुख्यमंत्री जनसहभागिता निर्माण योजना लेकर आ रही है। इसके तहत सड़क, नाली, बगीचे, बाउंड्रीवॉल पब्लिक की डिमांड पर बनाए जाएंगे। यानी स्थानीय निकाय जनता की जरूरत के हिसाब से विकास कार्य का प्रस्ताव तैयार करेंगे। इसमें न तो किसी जनप्रतिनिधि और न ही किसी अफसर की मनमानी चलेगी।
निर्माण काम पूरा होने के बाद उसका सोशल ऑडिट भी होगा। नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग ने योजना का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद ये योजना लागू हो जाएगी, जो पांच साल के रहेगी। इसके लिए विभाग ने 750 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है।
योजना लागू होने पर किस तरह से पब्लिक डिमांड पर निर्माण कार्य हो सकेंगे? जनता से किन कामों का पैसा लिया जाएगा, क्या ये जरूरी होगा या स्वैच्छिक? भास्कर ने एक्सपर्ट से बात कर समझा। पढ़िए मंडे स्पेशल….
योजना के तीन प्रमुख पॉइंट्स हैं…
- एक्जीक्यूशन
- फंडिंग
- मॉनिटरिंग
तीनों पॉइंट्स के बारे में सिलसिलेवार जानिए
1.एक्जीक्यूशन कैसे होगा?
- पहले आओ पहले पाओ: नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद से मिले प्रस्ताव को पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंजूरी देगा।
- नगरीय निकाय डीपीआर देंगे: सैद्धांतिक सहमति के बाद नगरीय निकाय निर्माण कार्य में अनुमानित लागत का 70 प्रतिशत फंड एकत्रित करेंगे। इसके बाद डीपीआर तैयार कर नगरीय विकास एवं आवास डायरेक्टरेट को स्वीकृति के लिए भेजेगा। जिसका परीक्षण के बाद प्रशासकीय स्वीकृति दी जाएगी।
- दो किस्तों में मिलेगी ग्रांट: राज्य सरकार इस योजना के लिए दी जाने वाली ग्रांट (अनुदान) दो किस्तों में देगी। यदि स्वीकृत प्रोजेक्ट से अधिक राशि खर्च की जाती है तो अतिरिक्त राशि का भार निकाय को उठाना पड़ेगा।
- डेडलाइन फॉलो करना जरूरी: योजना के ड्राफ्ट के मुताबिक किसी भी निर्माण कार्य के लिए डेडलाइन तय होगी। यदि इस अवधि में काम पूरा नहीं हुआ तो सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि दूसरे निकाय को ट्रांसफर कर दी जाएगी।
- नागरिकों की मंजूरी जरूरी: किसी भी निर्माण कार्य का चयन करने के लिए निकाय को जनभागीदारी करने वाले नागरिकों की सहमति अनिवार्य होगी। इतना ही नहीं, प्रोजेक्ट बनने के बाद इसका परीक्षण करने का अवसर फंड देने वाले नागरिकों को दिया जाएगा।

2. फंडिंग कैसे होगी
- 5 साल में 750 करोड़ का बजट: नगरीय निकायों में जनभागीदारी को बढ़ावा देने और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए योजना के लिए 5 साल में सरकार 750 करोड़ रु. खर्च करेगी।
- नगरीय निकायों को मिलेंगे 30 करोड़: सरकार हर साल नगर निगम को 5 करोड़, नगरपालिका को 1 करोड़ और नगर परिषद को 25 लाख रूपए दिए जाएंगे। इस तरह से स्थानीय निकायों को 5 साल में 31 करोड़ 25 लाख रु. मिलेंगे।
- प्रोजेक्ट पर सरकार 50% राशि खर्च करेगी: किसी भी प्रोजेक्ट के लिए सरकार 50% राशि खर्च करेगी और जनभागीदारी से स्थानीय निकाय 50% राशि इकट्ठा करेंगे।

3.मॉनिटरिंग कैसे होगी
- क्वालिटी मॉनिटर की नियुक्ति: निर्माण कार्यों की गुणवत्ता के लिए सरकार नगरीय स्टेट क्वालिटी मॉनिटर की नियुक्ति करेगी।
- जियो टैगिंग: निर्माण कार्य से पहले, दौरान और काम पूरा होने के बाद जियो टैग समेत फोटो मुहैया कराने होंगे।
- मोबाइल लैब का गठन: संभागीय दफ्तरों में मौजूदा मोबाइल लैब के जरिए काम की गुणवत्ता पर नजर रखी जाएगी।
- सोशल ऑडिट: निर्माण कार्य पूरा होने पर इसका सोशल ऑडिट किया जाएगा। नगरीय प्रशासन विभाग बाद में इसकी गाइडलाइन जारी करेगा।

कैलाश विजयवर्गीय ने की थी जनभागीदारी की शुरुआत
मप्र के नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस मॉडल की शुरुआत की थी। दरअसल, साल 2000 में जब वे इंदौर नगर निगम के मेयर थे तब उन्होंने जनभागीदारी से इंदौर शहर में कई विकास कार्य कराए थे। इसके तहत कॉलोनियों में सड़कें, पार्क और नालियों का निर्माण हुआ था।
इंदौर नगर निगम के सीनियर एमआईसी मेंबर राजेंद्र राठौर बताते हैं कि जिस समय कैलाश विजयवर्गीय मेयर थे, उस समय इंदौर नगर निगम का बजट बेहद कम था। प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी, इसलिए शहर के विकास के लिए पर्याप्त फंड भी नहीं मिलता था।
मैं पहली बार पार्षद चुना गया था। जब मैं अपने वार्ड में विकास कार्यों के लिए प्रस्ताव बनाकर कैलाश विजयवर्गीय के पास गया तो उन्होंने कहा कि बजट नहीं है और न ही मिलने की उम्मीद है। ऐसे में उन्होंने जनभागीदारी का प्रस्ताव दिया।
राठौर कहते हैं कि हम लोगों ने लोगों के घर-घर जाकर जनसहयोग मांगा और लोगों ने अपनी क्षमता के मुताबिक सहयोग किया था। इस तरह वार्डों में विकास कार्य हो सके थे। राठौर कहते हैं कि सरकार योजना ला रही है तो ये एक अच्छा कदम है। इससे विकास कार्यों में लोगों की सहभागिता बढ़ेगी।

एक्सपर्ट बोले- लोगों को फायदा होगा
नगरीय प्रशासन विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर के के श्रीवास्तव कहते हैं कि योजना का जो प्रावधान है उसमें विकास कार्यों के लिए सरकार 50% और जनभागीदारी से 50% अंशदान लिया जाएगा। मुझे लगता है कि लोग उन्हीं कामों में जनभागीदारी करेंगे जो उनके लिए जरूरी है।
लोग ज्यादातर सड़क और सीवरेज की दिक्कतों से परेशान होते हैं ये उनके लिए जरूरी है तो हो सकता है कि इसमें वह सहयोग करें। जहां तक सौंदर्यीकरण के काम जैसे बगीचों का निर्माण, खेल सुविधाओं की बात है तो लोगों की इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं होगी।
श्रीवास्तव ये भी कहते हैं कि नगरीय निकायों के प्रस्ताव को पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर चयन करने की बजाय सरकार को नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद का बजट फिक्स कर देना चाहिए।
