फरीदाबाद। आपरेशन के बाद खिलाड़ी बीच में।
बास्केटबॉल खेलते समय मध्यप्रदेश के एक राज्यस्तरीय खिलाड़ी का बायां घुटना मुड़कर आगे की ओर खिसक गया था। इससे वह खेल नहीं पा रहा था। उसे फरीदाबाद के एक अस्पताल में लाया गया। यहां उसकी सर्जरी की गई। इसके बाद वह अब फिर से खेल सकेगा। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स के
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आर्थोपेडिक्स डॉ. अशोक धर के नेतृत्व में डाक्टरों ने की टीम ने खिलाड़ी के घुटने की रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की। इससे अब कुछ महीने में वह फिर से बास्केटबॉल खेलने में सक्षम हो जाएगा। सर्जरी के दो दिन बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डा.धर ने बताया कि भर्ती करने के समय रोगी को बहुत दर्द हो रहा था। उसका बायां घुटना अस्थिर था और उसकी मूवमेंट बहुत कम हो पा रही थी। उसके बाएं घुटने की एमआरआई और एक्सरे किया गया तो पता चला कि घुटने की हड्डी आगे खिसक गई है। उसकी स्थिति को देखते हुए डाक्टरों ने न्यूनतम इंवेंसिव सर्जिकल प्रक्रिया एमपीएफएल विधि अपनाने का निर्णय किया। इसमें उसके घुटने की हड्डी (नीकैप) को फिर से जोड़ने के लिए बाएं हैमस्ट्रिंग के टिश्यू का उपयोग किया गया। इस विधि को इसलिए अपनाया गया क्योंकि इससे घुटने की स्थिरता बढ़ती है। बार-बार होने वाले डिस्लोकेशन का जोखिम कम होता है और इससे होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है। इस विधि से इलाज के बाद घुटने की कार्यक्षमता में सुधार होता है और रोगी बिना किसी चिंता के बेहतर जीवन जीने में सक्षम होता है। इस प्रक्रिया में न्यूनतम इंनवेंसिव टेक्निक का उपयोग किया जाता है। इससे स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है। सर्जरी के बाद असुविधा कम होती है और रोगी शीघ्र रोजमर्रा की गतिविधियों और खेलकूद में सक्षम हो जाता है। डॉ. धर ने कहाकि बास्केटबॉल खिलाड़ियों को बहुत अधिक मूवमेंट करना होता है। ऐसे में अचानक से दिशा बदलने से घुटने को स्थिर रखने वाले सॉफ्ट टिश्यू में चोट लगने का जोखिम बढ़ जाता है। घुटने के टिश्यू के फटने से घुटना अस्थिर होने के साथ उसमें काफी दर्द हो सकता है और घुटने की मूवमेंट सीमित हो सकती है। एमपीएफएल रिकंस्ट्रक्शन प्रक्रिया घुटने की कैप (नीकैप) को सीधा रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस सर्जरी का उद्देश्य लिगामेंट के फंक्शन को रिस्टोर करना है, जिससे खिलाड़ी को दोबारा चोट लगने के जोखिम को कम करने के साथ ही उच्चस्तरीय गतिविधि में वापस आने में सक्षम बनाया जा सके। यह प्रक्रिया परफॉर्मेंस को बनाए रखने और लंबे समय तक घुटने को नुकसान पहुंचने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। टिश्यू को सटीक जगह पर और सीधा रखने की आवश्यकता के कारण इस तरह की रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी चुनौतीपूर्ण होती है। इसके लिए सर्जरी से पहले सावधानीपूर्वक योजना बनाने और टिश्यू को जोड़ने के लिए जरूरी एरिया की सटीक पहचान करने की जरूरत होती है। सॉफ्ट टिश्यूज के आसपास का हिस्सा काफी नाजुक होता है। ऐसे में किसी प्रकार की जटिलता से बचने के लिए काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। टिश्यू की प्लेसमेंट और अलाइनमेंट सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है और छोटी से छोटी चूक भी परिणाम खराब कर सकती है। सर्जिकल स्किल्स और टेक्निक में निरंतर सुधार इन चुनौतियों को कम करने और सफलता दर में सुधार लाने में मदद करती है। इस मामले में यदि रोगी का समय पर इलाज नहीं किया जाता तो उसके घुटने की हड्डी (नीकैप) बार-बार खिसक जाती और उसे गठिया (ऑर्थराइटिस) हो सकता है।