Thursday, June 12, 2025
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समाजों में शादी की अनूठी रस्में…: जैनों में चक्रवर्ती विवाह के बाद 7 दिन ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं वर-वधु, आनंद मार्ग में क्रांतिकारी विवाह – Bhopal News



शादियों में आज हर ओर तड़क-भड़क और फिजूलखर्ची का आलम दिखता है। एक दिन के आयोजन पर लोग लाखों रुपए फूंक देते हैं। लेकिन, इस सबके बीच भी कुछ समाज और संप्रदायों में शादियों की ऐसी विधियां प्रचलित हैं, जो शोर-शराबे, आडंबर और धन के अपव्यय से पूरी तरह दूर हैं

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इनमें विवाह न सिर्फ सादगी से संपन्न होते हैं, बल्कि दहेज से भी मुक्त होते हैं। विवाह की पद्धतियां भी बहुत सरल व संक्षिप्त हैं। दिगंबर जैन समाज में होने वाला चक्रवर्ती विवाह और आनंद मार्ग संप्रदाय का क्रांतिकारी विवाह ऐसी ही सादगीपूर्ण रस्म है।

जैन समाज का चक्रवर्ती विवाह

दिगंबर जैन समाज के बाल ब्रह्मचारी अविनाथ भैया के अनुसार जैन धर्म में चक्रवर्ती विवाह की परंपरा है। देश में हर साल ऐसे करीब सौ विवाह होते है। ये सादगी के साथ कम खर्च में मंदिर में तीर्थंकर भगवान की प्रतिमा के समक्ष होता है। इसमें वर-वधु को व्रत रखना होता है।

पूजन, हवन व मंत्रोच्चार के बीच वर-वधु भगवान की परिक्रमा फेरे के रूप में करते हैं। विवाह सूर्यास्त से पहले करना होता है। सीमित मेहमान होते हैं। इसके बाद सात दिन अलग रहकर वर-वधु को ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इसके बाद वर-वधु तीर्थ यात्रा पर जाते हैं। वहां से लौटने के बाद वधु को ससुराल में प्रवेश कराया जाता है।

आनंद मार्ग में अंतरजातीय विवाह

आनंद मार्ग के प्रचारक आचार्य धीरजानंद अवधूत के अनुसार, उनके संप्रदाय में अंतरजातीय विवाह ही कराया जाता है। इसका उद्देश्य समाज में समानता व समरसता को बढ़ावा देना है। वर-वधु के परिवार की सहमति अनिवार्य होती है। यहां महिला पुरोहित भी विवाह करा सकती हैं। संस्था मैरिज सर्टिफिकेट देती है। भोपाल में आनंद मार्ग के अनेक अनुयायी हैं। इसमें फेरे नहीं होते। वर-वधु को एक-दूसरे के प्रति प्रेम व सम्मान की शपथ दिलाई जाती है।

बौद्ध समाज का धम्मातील विवाह

बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया की जिला शाखा के महामंत्री अशोक पाटिल ने बताया कि बुद्धिस्ट समाज में विवाह को धम्मतील विवाह कहते हैं। यह विवाह भगवान बुद्ध व बाबा साहेब की प्रतिमा के समक्ष होता है। इसमें वर-वधु धम्म मंत्रों व परित्राण पाठ के बीच हाथ में जल रखकर एक-दूसरे के साथ जीवन निर्वाह की शपथ लेते हैं। वर माला के बाद विवाह संपन्न हो ताजा है। मांग भरने या फेरे लेने की परंपरा नहीं है। इसके बाद सीमित लोगों को भोजन कराया जाता है।

यहां वैदिक रीति से दो घंटे में विवाह

आर्य समाज व गायत्री परिवार द्वारा वैदिक रीति से अग्नि के सात फेरे व वरमाला रस्म के साथ विवाह कराया जाता है। सादगी के साथ अधिकतम दो घंटे में विवाह हो जाता है।



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