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जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिगत जल स्तर तेजी से गिर रहा है। मार्च में जलस्तर 60 से 70 मीटर था। अप्रैल में यह 80 से 90 मीटर से नीचे चला गया। मई के अंत तक और गिरावट आई। जून में कई हैंडपंप सूख गए। इनमें 100 से 120 फीट तक पाइप डाले गए थे, फिर भी पानी नहीं निकल रहा। गांवों में ट्यूबवेल की संख्या लगातार बढ़ रही है। नए मकानों के साथ ट्यूबवेल भी बढ़े हैं। छतरपुर जनपद में 800 से ज्यादा हैंडपंप लगे हैं।
इसके बावजूद सरकारी और निजी भवनों में रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बहुत कम हैं। सरकारी भवनों में जल संरक्षण को लेकर लापरवाही है। 90 फीसदी भवनों में वर्षा जल सहेजने की कोई व्यवस्था नहीं है। जहां सिस्टम लगे हैं, वहां देखरेख की कमी है। मुख्यालय से लगे गांवों में स्कूल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी और सामुदायिक भवनों की संख्या ज्यादा है। फिर भी इनमें जल संरक्षण की ठोस व्यवस्था नहीं दिख रही। ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की जरूरत भूमिगत जल से ही पूरी हो रही है। लेकिन जल को जमीन में पहुंचाने के संसाधन बहुत कम हैं। जिले की 558 ग्राम पंचायतों में से किसी भी निकाय द्वारा पानी संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगवाए गए हैं।