27 दिसंबर को बनासकांठा जिले के धनपुरा गांव के पास मिली थी जली हुई कार।
गुजरात में बनासकांठा जिले के धनपुरा के पास पांच दिन पहले मिली जली कार की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। जांच में पता चला कि 1.26 करोड़ रुपए की बीमा राशि पाने के लिए गांव के ही एक शख्श ने अपनी मौत का षड़यंत्र रचा था। आरोपी ने शम्शान से शव निकालकर उसे का
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27 दिसंबर को कार में मिली थी जली लाश बनासकांठा पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, 27 दिसंबर को धनपुरा गांव के लोगों ने पुलिस को जली हुई कार मिलने की सूचना दी थी। पुलिस ने जांच की तो कार की ड्राइविंग सीट पर जला हुआ शव भी मिला। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि यह कार ढेलाणा गांव में रहने वाले दलपतसिंह परमार की है। वहीं, जली हुई लाश से मिली कुछ चीजों की निशानदेही पर उसकी शिनाख्त दलपत सिंह के रूप में हुई।
27 दिसंबर की सुबह ही जलाई गई थी कार।
आखिरी फोन कान की जांच की तो सुलझ गई गुत्थी हालांकि, जांच टीम के गले यह बात नहीं उतर रही थी कि अचानकर कार कैसे जली। क्योंकि, वह किसी हादसे का शिकार भी नहीं हुई थी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने जांच शुरू की। पुलिस ने दलपत के मोबाइल की सीडीआर जांच की तो पता चला कि उसने हादसे के कुछ देर पहले ही महेश नरसंगजी ठाकोर नाम के शख्स से बात की थी।
मोबाइल की लोकेशन भी वहीं थी, जहां कार जली हुई मिली थी। इसके बाद पुलिस ने नरसंग जी से पूछताछ की। उसके गोलमोल जवाब से पुलिस को उस पर शक हो गया। आखिरकार नरसंगजी ने जुर्म कबूल कर लिया। उसने बताया कि दलपत सिंह जीवित है। इस पूरे षड़यंत्र में उसके साथ तीन और शख्स शामिल थे। इनके नाम भीमा राजपूत, देवा गमार और सुरेश बुबडिया हैं। पुलिस ने इन्हें भी अरेस्ट कर लिया है।

गांव से करीब 1 किमी दूर सड़क किनारे खड़ी कर कार जलाई गई थी।
कर्ज से बचने और बीमा राशि पाने के लिए रचा षड़यंत्र नरसिंह ने पूछताछ में बताया कि दलपतसिंह ने गांव के ही पास एक होटल खोला था। इससे उस पर 15 लाख रुपए रुपए का कर्ज हो गया था। वहीं, कार पर भी करीब 2 लाख रुपए का लोन था। इसीलिए दलपत ने अपनी मौत का नाटक रचा। इससे वह कर्ज चुकाने से भी बच जाता और साथ ही 1 करोड़ का दुर्घटना बीमा और 26 लाख रुपए के एलआईसी बीमा की रकम भी मिल जाती।

कार की ड्राइविंग सीट से मिला था जला शव।
गांव के ही एक शख्स की चार महीने पहले हुई थी मौत दलपत ने इस पूरी योजना में नरसिंग और तीन अन्य साथियों की मदद ली। पांचों को यह बात पता थी कि चार महीने पहले गांव के एक बुजुर्ग रमेशभाई सोलंकी को शम्शान में दफनाया गया था। पांचों ने रात को कब्र खोदकर वह शव निकाला और इसके बाद दलपत की कार की ड्राइविंग सीट पर रखकर कार में आग लगा दी थी। पुलिस ने भी शम्शान में उस जगह जांच की है, जहां रमेशभाई सोलंकी को दफनाया गया था। वहां, से शव गायब है। फिलहाल मुख्य आरोपी दलपतसिंह फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है।