Wednesday, April 2, 2025
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सहरसा का 72वां स्थापना दिवस: 2 अक्टूबर 1972 में बना कोसी प्रमंडल का मुख्यालय, विश्वविद्यालय नहीं होने से स्टूडेंट्स परेशान – Saharsa News


सहरसा जिले को स्थापित हुए 72 वर्ष पूरे हो गए हैं। एक अप्रैल 1954 को भागलपुर और मुंगेर के कुछ हिस्सों को मिलाकर इस जिले का गठन किया गया था। 2 अक्टूबर 1972 को इसे कोसी प्रमंडल का मुख्यालय बनाया गया।

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जिले में सदर अस्पताल, राजकीय पॉलिटेक्निक, महिला कॉलेज और स्कूलों की स्थापना हुई। साथ ही, सरकारी कार्यालय और आवासीय परिसर भी बनाए गए। लेकिन आज तक जिले में एक भी विश्वविद्यालय नहीं है।

मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य नहीं हुआ शुरू

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिले ने प्रगति की है। दो निजी मेडिकल कॉलेज, सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज और आईटीआई की स्थापना हुई है। पिछले साल सरकारी मेडिकल कॉलेज को मंजूरी मिली। लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है।

सहरसा रेलवे स्टेशन।

लालू राज में नहीं बना विश्वविद्यालय

रिटायर्ड प्रोफेसर रामजी प्रसाद (80) बताते हैं कि 1980 के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा ने विश्वविद्यालय निर्माण की पहल की थी। सहरसा कॉलेज में इसकी आधारशिला भी रखी गई। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में यह विश्वविद्यालय मधेपुरा में स्थानांतरित कर दिया गया।

छात्रों को होती है परेशानी

विद्यार्थी विद्याभूषण ने बताया कि बिहार के सभी 9 प्रमंडलों के जिला मुख्यालयों में विश्वविद्यालय है। केवल सहरसा ही ऐसा कमिश्नरी मुख्यालय है, जहां विश्वविद्यालय नहीं है। इससे क्षेत्र के छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

विकास की एक अन्य बड़ी बाधा है रेलवे फ्लाईओवर का न होना। दो भागों में विभक्त रेल मार्ग के ऊपर आज तक फ्लाईओवर का निर्माण नहीं हो सका है, जिससे नागरिकों को दैनिक यातायात में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

रेलवे लाइन क्रॉस करते लोग।

रेलवे लाइन क्रॉस करते लोग।

हालांकि, संपर्क सुविधाओं में सुधार हुआ है। कोसी नदी पर बलुआहा पुल बनने से पश्चिमी क्षेत्रों से जुड़ाव बढ़ा है। 2005 में ब्रांड गेज से जुड़ने के बाद पटना, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई के लिए सीधी रेल सेवा शुरू हुई। लेकिन एनएच 107 और उग्रतारा मार्ग का निर्माण पूरा होने पर यातायात और सुगम होगा।

प्रो डॉ गोपाल प्रसाद सिंह कहना है कि लालू की सरकार में विश्वविद्यालय को जब मधेपुरा में स्थानांतरित कर दिया गया। जनता को उसी समय सरकार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए थी। साथ ही, शिक्षकों को आगे आकर अपनी मांग रखनी चाहिए थी। लेकिन उस समय किसी ने इसका विरोध नहीं किया और यहीं वजह है कि आज तक हमारे जिले में विश्वविद्यालय नहीं है।

विकास की नई संभावनाएं

हालांकि, मक्का आधारित उद्योग, मछली और मखाना उत्पादन से जिले की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है। शहर में हवाई पट्टी के विस्तार की योजना है। छोटे विमानों के संचालन से विकास को गति मिलने की उम्मीद है।



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