मप्र में सहारा समूह की संपत्तियों की खरीद-फरोख्त हुई या नहीं, हुई तो किसने की, बेचने और खरीदने वाला कौन है, किस नियम के तहत ऐसा हुआ, भूमि की कीमत कितनी थी और कलेक्टर गाइड लाइन क्या कहती है… आदि कई सवालों के साथ सरकारी जमीनों की मौजूदा स्थिति को लेक
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विधानसभा का रिकॉर्ड बता रहा है कि 80 विधायकों के सवालों के जवाब में राजस्व विभाग ने बड़ी गफलत की। विधानसभा को लिखकर भेज दिया कि विस्तृत जानकारी परिशिष्ट में है। यह विधानसभा को भेज दी गई। लेकिन जब विधायक परिशिष्ट लेने पहुंचे तो उन्हें वो मिले ही नहीं। यानि विधानसभा पुस्तकालय के रिकॉर्ड में भी नहीं थे।
विधानसभा ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। साथ ही डीओ लेटर लिखकर आपत्ति की है। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने राजस्व विभाग से कहा है कि तत्काल सात दिन के भीतर व्यक्तिगत रूचि लेकर परिशिष्ट के साथ जानकारी भिजवाएं। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल का कहना है कि पत्र आया है। कुछ कलेक्टरों से जानकारी नहीं मिल थी। अब आ गई है। एक-दो दिन में विधानसभा को भेज दी जाएगी।
बता दिया कि परिशिष्ट में जानकारी भेज दी गई यहां बता दें कि कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने ही पूछा था कि 2020 के बाद सहारा समूह की कितनी जमीनों के सौदे हुए। राजस्व विभाग की ओर से कह दिया गया कि जानकारी विधानसभा के पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में है। जबकि वहां कोई दस्तावेज नहीं था। कई दूसरे विधायकों के साथ भी ऐसा ही हुआ।