Thursday, January 23, 2025
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साइबर फ्रॉड रोकने के लिए अनूठी पहल: शहडोल पुलिस ने 524 व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़े 1.25 लाख लोग, हर दिन कर रहे जागरूक – Shahdol News



शहडोल पुलिस अधीक्षक रामजी श्रीवास्तव ने साइबर फ्रॉड रोकने और सूचना तंत्र को मजबूत करने के लिए पहल की है। उन्होंने जिले के 15 थानों और तीन पुलिस चौकियों के माध्यम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर गांव-गांव को जोड़ने का काम शुरू किया है।

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अब तक 524 व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जा चुके हैं, जिनमें 1.25 लाख से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। हर ग्रुप में बीट प्रभारी से लेकर थाना प्रभारी तक एडमिन के रूप में शामिल हैं। खास बात यह है कि एसपी श्रीवास्तव स्वयं भी इन ग्रुप्स से जुड़े हुए हैं।

पुलिस का यह नवाचार न केवल साइबर अपराधों को रोकने में मददगार साबित हो रहा है, बल्कि पुलिस और जनता के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में भी सहायक है। प्रत्येक गांव का अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जा रहा है और लोगों को जोड़ने का काम निरंतर जारी है।

क्या हो रहा ग्रुप में

  • साइबर फ्रॉड से बचाव की जानकारी साझा करती है।
  • सुरक्षा संबंधी जागरूकता वीडियो भेजती है।
  • महत्वपूर्ण सूचनाएं तत्काल प्रसारित करती है।
  • ग्रामीणों से सीधा संवाद स्थापित करती है।

सायबर फ्रॉड की रोकथाम की योजना पुलिस अधीक्षक रामजी श्रीवास्तव ने बताया कि सायबर फ्रॉड इन दिनों सबसे बड़ी समस्या है, इससे निपटने के लिए आमजनों में जागरूकता लाना ही सबसे जरूरी है। बनाये गये वॉट्स-ग्रुपों में प्रतिदिन एक या उससे अधिक जागरूकता संबंधी वीडियो डाले जा रहे हैं, उन्हें आमजन स्थानीय ग्रुप में शेयर भी कर रहे हैं।

लोगों को जागरूक करने का उचित माध्यम एसपी ने बताया इसके माध्यम से सडक़ दुर्घटनाओं के प्रति जागरूकता लाना भी है, दुर्घटनाओं से कैसे बचा जा सके, यातायात के नियमों का पालन कैसे करें तथा आपातकाल स्थिति में किस तरह किसी की मदद की जाये, इस संदर्भ के वीडियो व जानकारी आमजन तक पहुंचाने का सबसे सशक्त माध्यम वॉट्स-एप ग्रुप साबित हो रहा है।

सूचना तंत्र हो रहा मजबूत : एसपी एसपी रामजी ने बताया कि वॉट्स-एप ग्रुपों के माध्यम से जिले में होने वाली दुर्घटनाओं में अज्ञात व्यक्तियों तथा मृत व्यक्तियों आदि की फोटो पहचान के लिए डालने से काफी मदद मिलने लगी है, वहीं सायबर तथा अन्य फ्रॉड व्यक्तियों के संदर्भ में उनके फोटो साझा किये जा रहे हैं, आमजनों तक बीट से लेकर प्रभारी और पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक के नंबर गु्रप के माध्यम से साझा हो चुके हैं, इस कारण छोटी- छोटी घटनाओं और अपराधों से संदर्भित सूचनाएं आसानी से मिलना शुरू हो चुकी है।



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