पक्ष के पार्षदों ने भी जलकर बढ़ाने पर आपत्ति ली।
सागर में शनिवार को निगम परिषद का साधारण सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन निगम के सभागार में रखा गया। जिसमें विधायक शैलेंद्र जैन, महापौर संगीता तिवारी, निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार, निगम आयुक्त राजकुमार खत्री समेत एमआईसी सदस्य, पार्षद और अधिकारी, कर्म
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जिसमें बताया गया कि वर्तमान में जलकर की दरें 150 रुपए प्रतिमाह और अनुसूचित जनजाति के लिए 75 रुपए प्रतिमाह है। जिसको बढ़ाकर 263.37 रुपए प्रतिमाह करने और प्रतिवर्ष 5 प्रतिशत की वृद्धि करने के संबंध में प्रस्ताव रखा गया। प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की गई। जिसमें निगम के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पार्षदों ने जलकर बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि पहले निगम जनता को नियमित पानी की सप्लाई करें। उसके बाद जलकर बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।
वहीं पक्ष के पार्षदों ने भी जलकर बढ़ाने पर आपत्ति ली। भाजपा के पार्षदों ने कहा कि शहर में अभी 10 से 12 दिन ही लोगों को पानी की सप्लाई की जा रही है। ऐसे में जलकर नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। पहले पानी की सप्लाई व्यवस्था को सुधारा जाएगा। नियमित पानी की सप्लाई की जाए, जिसके बाद जलकर बढ़ाने पर बात हो। चर्चा के बाद निगम अध्यक्ष ने जलकर बढ़ाने के प्रस्ताव को अगले नगर परिषद के सम्मेलन में रखने का निर्णय लिया है।
सम्मेलन में प्रस्तावों पर चर्चा सदस्य।
सीवर परियोजना संचालन के लिए 100 रुपए प्रतिमाह पर बनी सहमति सम्मेलन में सीवर परियोजना के संचालन के लिए उपभोक्ता शुल्क 200 रुपए प्रतिमाह और 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया। जिस पर हितग्राहियों से सीवर संचालक के लिए 100 रुपए प्रतिमाह उपभोक्ता शुल्क लेने पर सहमति जताई गई है।
इसके अलावा कटरा बाजार में नवनिर्मित दुकानों के आवंटन पर बात हुई। सिविल लाइन चौराहे का नाम भगवान परशुराम चौराहा के नाम पर करने का प्रस्ताव रखा गया। इसके साथ ही अन्य विषयों पर चर्चा की गई।
विरोध करने की तैयारी से पहुंचे थे कांग्रेस पार्षद निगम सम्मेलन में जलकर बढ़ाने का प्रस्ताव रखने का पहले ही निर्णय हो चुका था। जिसको लेकर कांग्रेस के पार्षद सम्मेलन में जलकर बढ़ाए जाने की स्थिति में विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में पहुंचे थे। उन्होंने विरोध के लिए तख्तियां बनवा रखी थी, जिनमें लिखा था जलकर में वृद्धि नहीं होगी-नहीं होगी। 30 दिन 24 घंटे पानी दो, फिर पानी का पैसा लो जैसे स्लोगन लिखे थे। हालांकि जलकर के प्रस्ताव को अगले सम्मेलन तक टाल दिया गया है।