झील किनारे चकराघाट और भट्टो घाट के बीच नवग्रह मंदिरों का निर्माण किया गया है। इनमें अलग-अलग ग्रहों की मूर्तियों को स्थापित किया गया है। राजस्थान के मूर्तिकारों द्वारा नवग्रह मूर्तियों का निर्माण किया गया। राजस्थान के कारीगरों द्वारा ही लाल पत्थर से
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सात घोड़ों के रथ पर सवार सूर्यदेव की मूर्ति सबसे ज्यादा वजनी : ग्रेनाइट पत्थर से बनी प्रत्येक मूर्ति का भार 80 से 100 किलोग्राम तक है। इनमें सबसे ज्यादा वजनी मूर्ति सूर्यदेव की है। सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं। नवग्रह मंदिरों का निर्माण विधायक शैलेंद्र जैन की पहल पर हुआ। उन्होंने बताया कि लोग यहां सभी ग्रहों का पूजन-दर्शन कर सकें, इसीलिए यह निर्माण कराया गया है। नवग्रह छतरियों के पीछे वैदिक मंत्र व चिन्ह लाइट डिस्प्ले बोर्ड द्वारा प्रदर्शित किए गए हैं।
इनके मंदिर बने : सूर्यदेव मंदिर, चंद्रदेव मंदिर, मंगलदेव मंदिर, बुधदेव मंदिर, ब्रहस्पतिदेव मंदिर, शुक्रदेव मंदिर, शनिदेव मंदिर, राहु मंदिर, केतु मंदिर।