जबलपुर पॉलीटेक्निक कॉलेज के कर्मचारियों ने 15 दिन की अथक मेहनत के बाद अपने गुमशुदा दिव्यांग साथी को खोज निकाला जो अपना नाम-पता भी नहीं बता सकते थे । पड़ताल में न पुलिस की कोई रुचि थी और न परिजन कोई प्रयास करने की स्थिति में थे।
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पालीटेक्निक कॉलेज में क्लास-4 कर्मचारी मुकेश यादव 22 मार्च की शाम अपने दफ्तर से निकले लेकिन घर नहीं पहुंचे। परिवार पर तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा। हर कोई इसलिए भी फिक्रमंद था क्योंकि अपने पिता की मौत के बाद मुकेश मानसिक रूप से स्थिर नहीं थे। उन्होंने बोलना बंद कर दिया था। खुद का नाम-पता बताने में सक्षम नहीं थे। मोबाइल फोन भी नहीं रखते।
ऐसे बनी टीम… एक्स स्टूडेंट भी जुटे
कॉलेज स्टाफ ने सहकर्मी को खोज निकालने का मिशन शुरू किया। ट्रेनिंग को-ऑर्डिनेटर विवेक चतुर्वेदी और प्रिटिंग विभाग के एचओडी संजय शर्मा ने इसे लीड किया। सीसीटीवी कैमरे खंगाले। पहली बार स्टेशन के पास किसी कैमरे में नजर आए। फिर आगे ट्रैस नहीं हो सके।
अगले दिन टीम ने दूसरे क्षेत्रों के कैमरे तलाशे, पर सुराग नहीं मिला। बाद में एक्स स्टूडेंट, टीचर्स ग्रुप और पुलिस की भी मदद ली गई। फोटो सर्कुलेट होने पर मझौली में एक दिन पहले देखे जाने का कॉल आया। वहां पहुंचे लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद पोस्टर और विज्ञापन निकाले गए।
रंग लाई कोशिश, इटारसी में मिले
प्राचार्य डॉ. आरसी पांडे के पास एक्स स्टूडेंस सतीश का इटारसी से फोन आया। उन्होंने मुकेश के वहां होने की खबर दी और प्राचार्य के कहने पर फोटो भेजी। जानकारी पुख्ता होने के साथ ही इटारसी निवासी शिक्षक नीलेश मालवीय के साथ टीम यहां से रवाना हुई और अगली सुबह मुकेश को लेकर सीधे कॉलेज पहुंची।