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Mahakumbh 2025: नहाना हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शास्त्रों में निर्वस्त्र स्नान को क्यों मना किया गया है? क्या इसके पीछे कोई गहरा कारण छिपा है?
हाइलाइट्स
- इस समय देश में महाकुंभ का महापर्व चल रहा है.
- जहां लाखों श्रद्धालु श्रद्धा की डुबकी लगाने देश-विदेश से पहुंच रहे हैं.
Mahakumbh 2025: इस समय देश में महाकुंभ का महापर्व चल रहा है. जहां लाखों श्रद्धालु श्रद्धा की डुबकी लगाने देश-विदेश से पहुंच रहे हैं. इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने समुचे मंत्रिमंडल के साथ संगम में स्नान किया. इस दौरान योगी आदित्यनाथ भगवा रंग के वस्त्र धारण किए स्नान करते नजर आए. सिर्फ योगी ही नहीं, बल्कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वस्त्र धारण करके ही स्नान करते हैं. इसके पीछे शास्त्रों में बताए गए कुछ अहम नियम हैं, जिनका कई लोग पालन करते हैं, वहीं बहुत से लोग इस बात से अंजान भी हैं. क्या है कपड़े पहनकर नहाने की वजह? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
धार्मिक मान्यता
नहाते समय हमेशा कुछ कपड़े पहने रहना चाहिए. इससे न सिर्फ जल देवता वरुण का सम्मान होता है, बल्कि यह आपके शरीर और मन को सकारात्मक ऊर्जा से भरता है. साथ ही, पितरों और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है, इसलिए बिना कपड़ों के स्नान से बचने की सलाह दी जाती है, ताकि आपके जीवन में शांति, समृद्धि और सुख बना रहे.
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प्रमुख कथा
भारत में प्राचीन काल से ही नहाने के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता रहा है. शास्त्रों के अनुसार, निर्वस्त्र स्नान से जुड़ी कुछ मान्यताएं और परंपराएं हैं, जिन्हें समझना जरूरी है. एक प्रमुख कथा है जो भगवान कृष्ण से जुड़ी है. पौराणिक कथा के अनुसार, जब गोपिकाएं सरोवर में निर्वस्त्र स्नान कर रही थीं, तब भगवान कृष्ण ने उनके कपड़े छिपा दिए थे और उन्हें यह सिखाया कि जल के देवता वरुण का अपमान नहीं करना चाहिए. यही कारण है कि शास्त्रों में निर्वस्त्र स्नान की मनाही की जाती है.
जल देवता वरुण का अपमान
हिंदू धर्म में जल को अत्यधिक पवित्र माना जाता है और वरुण देवता को जल का रक्षक माना जाता है. यदि कोई व्यक्ति बिना कपड़ों के स्नान करता है, तो यह जल के देवता वरुण का अपमान माना जाता है. ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और उसे शारीरिक और मानसिक नुकसान हो सकता है. इसके अलावा, शास्त्रों के अनुसार, इस तरह के कार्य से व्यक्ति पर पाप का प्रभाव पड़ता है, जो जीवन के अन्य पहलुओं को भी प्रभावित कर सकता है.
नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश
निर्वस्त्र स्नान से न सिर्फ जल देवता का अपमान होता है, बल्कि यह व्यक्ति के शरीर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश भी करा सकता है. मानसिक स्थिति पर भी इसका असर हो सकता है. शास्त्रों में यह कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति निर्वस्त्र स्नान करता है, तो यह उसकी मानसिकता को नकारात्मक बना सकता है, जिससे जीवन में खुशियां और शांति का अभाव हो सकता है.
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पितृ दोष और माता लक्ष्मी का नाराज होना
गरुड़ पुराण में यह उल्लेख किया गया है कि स्नान करते समय आपके पितर आपके आस-पास होते हैं. यदि आप निर्वस्त्र स्नान करते हैं, तो यह पितरों को संतुष्ट नहीं करता और पितृ दोष का कारण बन सकता है. इसके अलावा, शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि माता लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं, निर्वस्त्र स्नान से नाराज हो सकती हैं. इससे आपके जीवन में आर्थिक हानि हो सकती है.
January 23, 2025, 14:32 IST
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