नई दिल्ली9 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने आठ साल की बच्ची की कस्टडी मां को देने का फैसला दिया क्योंकि बच्ची का पिता उसे घर का बना खाना नहीं खिला पाया।
केरल हाईकोर्ट ने बच्ची के मां और पिता को 15-15 दिन बेटी के साथ रहने रहने की इजाजत दी थी।
सुप्रीम कोर्ट में पिता ने दलील दी कि वह सिंगापुर में काम करता है। उसने तिरुवनंतपुरम में एक घर किराए पर लिया है। बेटी के साथ समय बिताने के लिए हर दो सप्ताह में सिंगापुर से आता था।
इस पर कोर्ट ने कहा कि बच्ची की सेहत और विकास के लिए घर का बना पौष्टिक खाना चाहिए। पिता बच्ची को ऐसा पोषण देने की स्थिति में नहीं है।
मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने की।

कोर्ट बोला- मां के घर बच्ची को बहुत कुछ ज्यादा मिलेगा अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि घर का बना खाना उपलब्ध कराने के लिए कहा जा सकता है, लेकिन पिता के साथ रहते समय बच्ची को पिता के अलावा किसी और का साथ नहीं मिलता।
बच्ची की मां अपने माता-पिता के साथ रह रही है और घर से ही काम कर रही है। पिता के साथ रहने की वजह से अपने तीन साल के भाई से भी दूर हो जाती है।
बेंच ने कहा- यह सब बच्ची की कस्टडी के लिए पिता के दावे पर भारी पड़ता है। पिता की कस्टडी की तुलना में बच्ची को उसकी मां के घर पर जो मिलेगा, वह बहुत ज्यादा है।
केरल हाईकोर्ट के फैसले को बहुत गलत बताया सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश पर भी निराशा जताई जिसमें पिता को हर महीने 15 दिन के लिए अपने तीन साल के बेटे की कस्टडी देने का आदेश दिया गया था।
कोर्ट ने आदेश को बहुत गलत बताया। कोर्ट ने कहा, ‘इससे बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ेगा क्योंकि उसे कम उम्र में ही अपनी मां से अलग कर दिया जा रहा है।’
आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने पिता को हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार-रविवार को अपनी बेटी के साथ रहने और सप्ताह में दो दिन बेटी से वीडियो कॉल पर बात करने की इजाजत दी।