Tuesday, May 6, 2025
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सुप्रीम कोर्ट बोला-कानून तोड़ने वाले कानून कैसे बना सकते हैं: अपराधी सरकारी नौकरी नहीं कर सकता, तो दोषी नेता चुनाव कैसे लड़ सकता है


नई दिल्ली5 मिनट पहले

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क्या दोषी सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने पर हमेशा के लिए बैन लगना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से इस पर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है।

कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग तय समय में जवाब नहीं भी देते तो वे मामले को आगे बढ़ाएंगे। कोर्ट ने अगली सुनवाई 4 मार्च के लिए निर्धारित की है।

कोर्ट ने कहा कि दोषी नेताओं पर केवल छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने का कोई औचित्य नहीं है। जस्टिस मनमोहन और दीपांकर दत्ता ने कहा…

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अगर किसी सरकारी कर्मचारी को दोषी ठहराया जाता है तो वह जीवन भर के लिए सेवा से बाहर हो जाता है। फिर दोषी व्यक्ति संसद में कैसे लौट सकता है? कानून तोड़ने वाले कानून बनाने का काम कैसे कर सकते हैं?

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निचली अदालतों में धीमी सुनवाई, 3 बातें…

  1. सुनवाई के दौरान निचली अदालतों और एमपी/एम एल ए कोर्ट में सुनवाई की रफ्तार धीमी होने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता। जस्टिस मनमोहन ने कहा कि दिल्ली की निचली अदालतों में उन्होंने देखा है कि एक या दो मामले लगाए जाते है और जज 11 बजे तक अपने चैंबर मे चले जाते हैं।
  2. एमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश के दूसरे राज्यों मे बार-बार सुनवाई टाल दी जाती है और वजह भी नहीं बताया जाता। कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि बहुत से ऐसे राज्य हैं जहां अबतक एमपी/एम एल ए कोर्ट गठित नहीं की गई है।
  3. हंसारिया ने कोर्ट को सुझाव दिया कि क्या चुनाव आयोग ऐसा नियम नहीं बना सकता कि राजनीतिक पार्टियां गंभीर अपराध मे सजा पाए लोगों को पार्टी पदाधिकारी नहीं नियुक्त कर सकती।

कोर्ट बोला- जनप्रतिनिधित्व कानून के कुछ हिस्सों की जांच करेंगे कोर्ट ने कहा कि हम जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 और 9 के कुछ हिस्सों की जांच करेंगे। कोर्ट भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को राजनीति मे भाग लेने पर प्रतिबंधित लगाने की मांग की गई है।

अपराधी नेताओं के चुनाव लड़ने पर बैन की मांग, 3 बातें…

  1. वकील अश्विनी उपाध्याय ने 2016 में जनहित याचिका लगाई थी। इसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 और 9 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि राजनीतिक दलों को यह बताना चाहिए कि वे स्वच्छ छवि वाले लोगों को क्यों नहीं ढूंढ पा रही है।
  2. उन्होंने कहा- दलील ये दी जाती है कि आरोपी एक सामाजिक कार्यकर्ता है जिसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं। फिलहाल आपराधिक मामलों में 2 साल या उससे अधिक की सजा होने पर सजा की अवधि पूरी होने के 6 साल बाद तक चुनाव लड़ने पर ही रोक है।
  3. उपाध्याय की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और अलग-अलग अदालतों में उनके खिलाफ लंबित मुकदमों को तेजी से निपटाने की मांग की।

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