सोनीपत के 9 गाँव में सालों से नहीं बढा लिंगानुपात
हरियाणा के सोनीपत जिले के नौ गांवों में बेटियों की लगातार घटती संख्या पिछले लंबे समय से बढ़ोतरी नहीं करवा पा रहा है।आखिरकार जिला हेल्थ विभाग की नींद टूटी है। डीजी हेल्थ सेवाएं हरियाणा का सख्त आदेश जारी किया गया है। पिछले कई सालों से इन गांवों में लिं
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बावजूद इसके स्थानीय हेल्थ विभाग की ओर से कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया, जिससे सालों से आंकडे में कोई सुधार नहीं करवा पाया है।
जिले के जफरपुर, बुलंद गढ़ी, लड़सौली, झुंडपुर, मल्हा माजरा, किड़ोली, आनंदपुर, माजरी और ग्यासपुर जैसे गांवों में लिंगानुपात की स्थिति बेहद निराशाजनक है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन गांवों में प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या लगातार 700 से नीचे दर्ज की जा रही है। यह आंकड़ा न केवल सामाजिक संतुलन के लिए खतरा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन और हेल्थ विभाग इस गंभीर समस्या को लेकर लापरवाह रहा है। सालों से चली आ रही इस विकट स्थिति को सुधारने के लिए जमीनी स्तर पर कोई प्रभावी प्रयास नहीं किए गए, यह एक बड़ा सवाल है।
विभाग द्वारा जारी किया पत्र
डीजी हेल्थ का सख्त आदेश
पिछले काफी सालों से जिले के नौ गांव में लिंगानुपात में बढ़ोतरी करने में सोनीपत का हेल्थ विभाग नाकाम साबित हुआ है।डीजी हेल्थ सेवाएं हरियाणा ने हस्तक्षेप करते हुए जिला हेल्थ विभाग को इन नौ गांवों में “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के तहत आनन-फानन में मोटिवेशनल कैंप आयोजित करने के सख्त आदेश दिए हैं।

बेटियों की संख्या बढाने को लेकर विभाग नौ गांव में मोटिवेशन कैंप लगाएगा
यह आदेश ऐसे समय में आया है जब विभाग की निष्क्रियता जगजाहिर हो चुकी है। अब सवाल यह है कि क्या यह कवायद सिर्फ सरकारी खानापूर्ति है या वास्तव में विभाग लिंगानुपात की समस्या को लेकर गंभीर है? यदि विभाग पहले से ही इस समस्या से अवगत था, तो कार्रवाई करने के लिए इतने लंबे समय तक किसका इंतजार किया जा रहा था?
25 अप्रैल से गांवों में मोटिवेशनल कैंप
आगामी 25 अप्रैल को इन गांवों में मोटिवेशनल कैंप आयोजित करने की तैयारी चल रही है। विभाग महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिलकर इन कैंपों का आयोजन करेगा, जिसमें स्थानीय अधिकारियों, कर्मचारियों और ग्रामीणों को शामिल किया जाएगा। कैंप में प्रेरक भाषण और पोस्टर प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी, जिसका उद्देश्य लड़का-लड़की के बीच समानता का संदेश देना है।
हालांकि, सवाल यह है कि क्या सिर्फ एक दिन के कैंप से वर्षों से चली आ रही सामाजिक मानसिकता में बदलाव आ पाएगा। क्या विभाग इन कैंपों के बाद स्थिति की नियमित निगरानी और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा

सीएमओ डॉ. ज्योत्सना
जमीनी हकीकत में कितना अंतर
विभाग ने इन कैंपों की व्यापक मीडिया कवरेज सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं। यह कदम कहीं न कहीं विभाग की छवि सुधारने और अपनी सक्रियता दिखाने का प्रयास लग रहा है। इन गांवों में वर्षों से बिगड़ रहे लिंगानुपात के लिए जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया। और लगातार कई सालों से यहां पर लिंगानुपात में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।
जिला हेल्थ विभाग ने समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए। यह सिर्फ नौ गांवों की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे जिले में लिंगानुपात को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। ऐसे में, विभाग को सिर्फ दिखावटी कैंपों से आगे बढ़कर एक दीर्घकालिक और प्रभावी रणनीति बनानी होगी, जिसकी नियमित निगरानी की जाए और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। तभी “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा सही मायने में साकार हो पाएगा।