सोनीपत में अवैध फैक्ट्री से बन रही थी नकली दवाएं
हरियाणा के सोनीपत जिले के खरखौदा के फिरोजपुर बांगर में एक अवैध दवा फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है। यह फैक्ट्री महज डेढ़ महीने पहले शुरू की गई थी और यहां बड़े पैमाने पर नकली दवाएं बनाई जा रही थीं। एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) की टीम ने फैक्ट्री पर छापा
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कैसे चल रही थी नकली दवाओं की फैक्ट्री
यह अवैध फैक्ट्री पूरी तरह से गुप्त तरीके से संचालित की जा रही थी। यहां पर मुंबई की “मैक्स सेल लाइफ केयर”, हिमाचल प्रदेश की “पैराडॉक्स फार्मास्यूटिकल” और उत्तराखंड की एक अन्य कंपनी के नाम पर नकली एंटीबायोटिक दवाएं बनाई जा रही थीं। जांच में यह भी सामने आया कि इन नामों से कोई असली कंपनी मौजूद ही नहीं है। आरोपित फैक्ट्री मालिक मनोज राजस्थान का रहने वाला है और उसने यहां नकली दवा बनाने का पूरा सेटअप तैयार किया था।
मौके पर छापेमारी के दौरान पकड़ी मशीन
एफडीए की छापेमारी और कार्रवाई
एफडीए के वरिष्ठ औषधि नियंत्रक राकेश दहिया, डीआई संदीप हुड्डा, मुंशीराम और पानीपत के डीआई पवन की टीम ने सोमवार देर रात फैक्ट्री पर छापा मारा। टीम को मौके पर दवाओं से भरे कार्टन, टैबलेट और कैप्सूल बनाने की मशीनें और पैकेजिंग सामग्री मिली। फैक्ट्री के अंदर मौजूद मैनेजर योगेश को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि फैक्ट्री मालिक मनोज वहां नहीं पहुंचा। टीम ने फैक्ट्री और मशीनों को सील कर दिया और वहां से बरामद दवाओं को जब्त कर लिया।
गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ जारी
पुलिस ने सिरसा निवासी फैक्ट्री मैनेजर योगेश को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया। अब उससे यह जानकारी ली जा रही है कि नकली दवाओं की सप्लाई कहां की जानी थी और इस गोरखधंधे में और कौन-कौन शामिल है। जांच अधिकारियों के मुताबिक, फैक्ट्री से पहले भी बड़ी मात्रा में नकली दवाओं की खेप सप्लाई की जा चुकी है, जिसका पूरा रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है।
नकली दवाओं में नहीं था बीमारी ठीक करने वाला साल्ट
अधिकारियों ने जब्त की गई दवाओं के छह सैंपल लैब में भेजे हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि इन दवाओं में बीमारी को ठीक करने वाला कोई साल्ट मौजूद नहीं था। टैबलेट और कैप्सूल में केवल स्टार्च और अन्य मिश्रण पाए गए, जो किसी भी तरह से रोगों के उपचार में प्रभावी नहीं होते। यह नकली दवाएं मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती थीं।इस दौरान अलग अलग प्रकार की नकली दवाइयां जैसे पेंटाप्राजोल, सिफेक्सिन-200 (माइको सेफ-एल्बी 200), एजीथ्रोमाइसिन-200 ( रिक-200) और एमोक्सी प्लस क्ले वम एट दवा मिली। सभी दवाओं के बाक्स पर महाराष्ट्र के मुम्बई ठाणे में चलने वाली मैक्स सेल लाइफ केयर, हिमाचल के जिला सोलन, तहसील नालागढ़ स्थित पैराडॉक्स फार्मास्युटिकल्स कंपनी के निर्माण व मार्केटिंग भी अंकित पाए गए हैं।
नकली दवाओं से गंभीर खतरा
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह की नकली दवाएं मरीजों के हेल्थ के लिए बेहद घातक साबित हो सकती हैं। बिना असली साल्ट वाली दवाएं न केवल बीमारी को ठीक करने में असफल होती हैं, बल्कि इनके कारण मरीज की हालत और भी बिगड़ सकती है। कई मामलों में यह जानलेवा भी हो सकती हैं। एफडीए अधिकारियों ने आम जनता से अपील की है कि यदि उन्हें किसी दवा को लेकर संदेह हो, तो इसकी तुरंत सूचना प्रशासन को दें।
पहले भी पकड़ी जा चुकी हैं नकली दवा फैक्ट्रियां
हरियाणा में नकली दवा बनाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले कुंडली में “मेडेन फार्मा” नामक कंपनी के बनाए सिरप से गांबिया में बच्चों की मौत के मामले में फैक्ट्री को सील कर दिया गया था। उस घटना के बाद से यह कंपनी बंद है।
एफडीए और पुलिस की टीम अब इस पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है। आरोपी योगेश से पूछताछ के आधार पर अन्य संभावित ठिकानों पर भी छापेमारी की जा सकती है। फैक्ट्री मालिक मनोज की गिरफ्तारी के लिए टीमें लगाई गई हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस गिरोह का पूरा नेटवर्क जल्द ही बेनकाब किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सोनीपत के वरिष्ठ औषधि नियंत्रक अधिकारी राकेश दहिया ने बताया सोनीपत के फिरोजपुर बांगर में बिना लाइसेंस चल रही नकली दवा फैक्ट्री पर एफडीए की टीम ने छापेमारी कर एक आरोपी को गिरफ्तार किया। फैक्ट्री मालिक मनोज, निवासी राजस्थान, मौके से फरार हो गया। जांच टीम ने फैक्ट्री को सील कर भारी मात्रा में नकली दवाएं जब्त की हैं। प्राथमिक जांच में दवाओं में कोई चिकित्सीय साल्ट नहीं पाया गया, सिर्फ स्टार्च मिला। गिरफ्तार आरोपी से सप्लाई चेन और अन्य सहयोगियों के बारे में पूछताछ की जा रही है।