सुबह से ही मंदिरों में उमड़ी सुहागिनों की भीड़।
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के अवसर पर सोमवार को देशभर में वट सावित्री व्रत मनाया जा रहा है। इस बार का व्रत सोमवती अमावस्या के साथ मनाया जा रहा है। ये हजारों गायों के दान के बराबर पुण्यफल देने वाला माना जाता है।
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सावरकर बाल विहार स्थित वैकुंठधाम श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में विशेष धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मंदिर परिसर में प्राकृतिक रूप से उगे वट और पीपल वृक्ष को लोग ईश्वरीय चमत्कार मानते हैं। सुबह से ही पारंपरिक वेशभूषा में सजी सुहागिन महिलाएं पूजन सामग्री लेकर मंदिर पहुंचीं।
सावित्री-सत्यवान की कथा सुनाई जाती है महिलाओं ने वट वृक्ष की सात परिक्रमा की। उन्होंने जल अर्पण किया और कच्चा धागा बांधा। सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण भी किया गया। कई महिलाएं पूरे दिन निराहार रहकर व्रत का पालन कर रही हैं। वे शाम को व्रत पूरा कर आरती और प्रसाद वितरण करेंगी।
पति की दीर्घायु की कामना करती हैं मिलाएं यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर सावित्री की तरह अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।