मंदसौर कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. जी.एस. चुण्डावत ने किसानों को खरीफ फसल की बुवाई के लिए कुछ सलाह दिए हैं। उन्होंने बताया कि मानसून की आमद को देखते हुए सोयाबीन की बुवाई से पहले एफआईआर विधि से बीजोपचार करना जरुरी है।
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बीजोपचार की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी की जानी चाहिए। पहले चरण में फफूंदनाशक का प्रयोग किया जाता है। इसमें पेनफ्ल्युफेन 13.28 प्रतिशत और ट्राइफ्ल्युऑक्सी स्ट्रोबीन 13.28 प्रतिशत एफएस की 1 मिलीलीटर मात्रा प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचार करें।
दूसरे चरण में कीटनाशक थायमेथोक्झाम 30 प्रतिशत एफएस का प्रयोग करें। इसकी मात्रा 10 मिलीलीटर प्रति किलो बीज रखें। अंतिम चरण में बुवाई से पहले ब्रेडीराइजोबियम जेपोनिकम बैक्टीरिया से उपचार करें। इसकी मात्रा 10 ग्राम प्रति किलो बीज रखें।
इस विधि से उपचारित बीजों से उगे पौधे लगभग 15 से 20 दिनों तक कीट और फफूंद से सुरक्षित रहते हैं। साथ ही पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाली नोड्यूल्स का विकास होता है। यह प्रक्रिया फसल की बेहतर वृद्धि में सहायक है।

