Monday, June 9, 2025
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‘स्कूल के गेट पर बाउंसर्स, फीस नहीं तो एंट्री नहीं’: पेरेंट्स बोले- 32 बच्चों के नाम काटे; क्या है DPS द्वारका का फीस विवाद


‘मेरी बेटी DPS द्वारका में पढ़ती है। 16 मई की सुबह हम उसे लेकर स्कूल पहुंचे लेकिन बाउंसर्स ने अंदर नहीं जाने दिया। वहां एक टीचर बच्चों की लिस्ट लेकर खड़ी थी। वो बच्चों की पहचान करके बता रही थी कि किसे रोकना है। मेरी बेटी को मेल बाउंसर ने हाथ पकड़कर र

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दिल्ली में रहने वाली पिंकी पांडे के दोनों बच्चे DPS द्वारका में पढ़ते हैं। बेटा 10वीं और बेटी 6वीं क्लास में हैं। स्कूल के गेट पर ये बर्ताव झेलने वाले सिर्फ पिंक के बच्चे नहीं है। दरअसल दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) द्वारका में 2025-26 सेशन की फीस बढ़ा दी है, जिसे लेकर विवाद चल रहा है।

पेरेंट्स का आरोप है कि स्कूल ने डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन (DoE) की मंजूरी के बिना बीते 5 सालों में फीस ₹1,39,630 से बढ़ाकर करीब ₹1,90,000 कर दी। जब पेरेंट्स ने इसका विरोध किया, तो स्कूल ने 32 बच्चों को निकाल दिया और गेट पर बाउंसर खड़े दिए।

100 से ज्यादा पेरेंट्स स्कूल के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट ने भी स्कूल को ‘पैसे कमाने की मशीन‘ और बच्चों के साथ व्यवहार को ‘यातना‘ बताया है।

फीस को लेकर विवाद क्या है? इसके पीछे स्कूल की क्या दलील है? दिल्ली की BJP सरकार इस पर क्या एक्शन ले रही है? ये जानने के लिए हम ग्राउंड पर पहुंचे।

स्कूल के गेट पर बाउंसर्स लगाए, बच्चों को जबरदस्ती घर भेजा फीस बढ़ाने का ये पूरा विवाद 9 मई 2025 को तब शुरू हुआ। जब DPS द्वारका स्कूल ने बढ़ी हुई फीस न भरने पर 32 बच्चों के नाम काट दिए। आरोप है कि 13 मई को जब ये बच्चे स्कूल पहुंचे, तो 4 मेल और दो फीमेल बाउंसर्स ने उनकी आईडी चेक की और उन्हें वापस भेज दिया। इन्हें घर भेजने से पहले पेरेंट्स को बताया भी नहीं गया।

ज्योति द्वारका सेक्टर-3 में रहती हैं। उनका बेटा DPS द्वारका में क्लास 4 में पढ़ता है। वे 13 मई का वाकया बताते हुए कहती हैं,

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जब बेटा स्कूल पहुंचा तो पहले गेट पर बाउंसर्स ने रोका। फिर पुलिस बुलाने पर स्कूल ने बच्चों को अंदर ले लिया। हमारे घर लौटने के थोड़ी देर बाद ही बच्चों को बसों से जबरदस्ती घर भेज दिया गया।

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’कोर्ट के ऑर्डर के बाद स्कूल पहुंचने पर भी बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव हुआ। बताइए 8 साल के बच्चे को बाउंसर्स रोक रहे हैं। फिर जबरदस्ती घर छोड़कर जा रहे हैं। मैं और मेरे पति दोनों जॉब पर चले जाते हैं। हमें बिना बताए बाउंसर बच्चे को गेट पर छोड़ गए। इत्तेफाक से उस दिन हम घर पर थे, वरना बच्चा कहां जाता।’

ज्योति बच्चों की सेफ्टी को लेकर परेशान हैं। वे इस बारे में बात करने के लिए जब 15 मई को स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग के लिए गईं, तो उन्हें भी अंदर जाने से रोक दिया गया। वे कहती हैं, ‘ऐसा लग रहा है, जैसे स्कूल कानून से ऊपर हो गया है। इस तरह मनमानी होती रही तो बाकी स्कूल भी यही करेंगे।’

पेरेंट्स का आरोप है कि DPS द्वारका ने 2020 से 2025 तक लगातार फीस बढ़ाई है।

बढ़ी फीस जमा नहीं की तो नाम काटा, बच्चों से कैदियों जैसा किया सलूक इसके बाद हम एक और पेरेंट्स शिल्पी सिंह से मिले। उनके दोनों बच्चे भी DPS द्वारका में पढ़ते हैं। बेटी 10वीं और बेटा 6वीं क्लास में है। शिल्पी ने भी बढ़ी हुई फीस जमा नहीं की थी, जिसके बाद स्कूल से उनके दोनों बच्चों के नाम काट दिए गए।

शिल्पी आरोप लगाती हैं कि दोनों बच्चों की एक जैसी फीस देने के बाद भी पिछले साल बेटी का नाम काट दिया। फिर उसे लाइब्रेरी में बैठाए रखा। वहां उसके साथ कैदियों जैसा सलूक किया गया। इस साल स्कूल ने बेटे का नाम काट दिया।

अब मेरा बेटा स्कूल ही नहीं जाना चाहता। उसे टेंशन में फीवर तक आ गया है।’

’बच्चे को क्लास के वॉट्सएप ग्रुप तक से निकाल दिया। इसके बाद से क्लास के बाकी बच्चे बेटे को कॉल करके पूछ रहे हैं कि तुम्हारा नाम क्यों काटा। क्या तुम्हारे पापा ने अब तक फीस नहीं भरी? वो बहुत परेशान है। उसकी पढ़ाई का भी नुकसान हो रहा है।’

ये तस्वीर दिल्ली के DPS द्वारका स्कूल की है। मेन गेट के बाहर बाउंसर्स खड़े हैं और पेरेंट्स बाहर खड़े होकर गेट खुलने का इंतजार कर रहे हैं।

ये तस्वीर दिल्ली के DPS द्वारका स्कूल की है। मेन गेट के बाहर बाउंसर्स खड़े हैं और पेरेंट्स बाहर खड़े होकर गेट खुलने का इंतजार कर रहे हैं।

पुलिस ने भी पेरेंट्स को किया परेशान, स्कूल ने कोर्ट केस से डरकर छुट्टी की दिव्य माटे कोर्ट में बाकी पेरेंट्स की तरफ से हमेशा मौजूद रहते हैं। वे आरोप लगाते हैं कि DPS सभी कानून और कोर्ट के आदेश को धता बता रहा है। वो पेरेंट्स के खिलाफ बदले की भावना से काम कर रहा है।

दिव्य का बेटा DPS द्वारका में 11वीं क्लास में ही पढ़ता है। वे पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहते हैं,

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पेरेंट्स ने मदद के लिए पुलिस को स्कूल बुलाया लेकिन पुलिस वाले नाम के बैच हटाकर स्कूल की ही मदद करने लगे, उल्टा हमें ही गेट पर रोक दिया।

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मुकेश स्कूलों के फीस बढ़ाने पर आम आदमी पार्टी और BJP दोनों की मिलीभगत का आरोप लगाते हैं। वे कहते हैं कि हमने पिछली सरकार से शिकायत की तब कोई सुनवाई नहीं हुई। अब स्कूल इस सरकार की भी कोई बात नहीं मान रहे हैं।

मुकेश का बेटा यहां 5वीं क्लास में पढ़ता है। वे आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘हमारे सामने बाउंसर धक्के देकर बच्चों को निकाल रहे थे। ये सब एक प्लान बनाकर किया गया। हमारे फीस के पैसे इस्तेमाल कर हमारे ही बच्चों को परेशान किया जा रहा है।’

पिंकी आरोप लगाती हैं कि स्कूल में मामले से डरकर अचानक गर्मी की छुट्टी कर दी। वे कहती हैं, ‘16 मई को केस की कोर्ट में सुनवाई थी। उसी दिन 10वीं के बच्चों को बताया गया कि उनका मिड-टर्म का एग्जाम 19 तारीख से शुरू होगा। कोर्ट में जब DPS के वकील को फटकार लगी तो वकील ने स्कूल बंद होने का हवाला दे दिया।‘

हाई कोर्ट बोला- स्कूल पैसे कमाने की मशीन बना DPS द्वारका स्कूल में मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने का मामला 2024 से ही कोर्ट में है। 14 जुलाई 2024 से लेकर 20 मई 2025 तक दिल्ली हाई कोर्ट केस की कई बार सुनवाई कर चुका है। 16 अप्रैल 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने इस मामले में स्कूल को फटकार लगाई। उन्होंने स्कूल “पैसे कमाने की मशीन” बताया।

कोर्ट ने बच्चों को लाइब्रेरी में कैद करने, कैंटीन-वॉशरूम जाने से रोकने और भेदभावपूर्ण बर्ताव को अमानवीय और चिंताजनक बताया। कोर्ट ने स्कूल को निर्देश दिया कि किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव या मानसिक उत्पीड़न न हो। उन्हें रेग्युलर क्लास में शामिल किया जाए।

इसके बाद 17 अप्रैल 2025 को भी कोर्ट ने स्कूल के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा,

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‘क्या स्कूल को बंद कर देना चाहिए और प्रिंसिपल पर मुकदमा चलाना चाहिए?’

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इससे पहले 14 जुलाई 2024 को भी दिल्ली हाई कोर्ट ने पेरेंट्स को अंतरिम राहत देते हुए स्कूल को आदेश दिया था कि 2024-25 सत्र के लिए पेरेंट्स बढ़ी हुई फीस का 50% जमा करें। फीस न देने की वजह से जिन बच्चों के नाम काटे गए थे, उन्हें स्कूल की लिस्ट में दोबारा शामिल किया जाए।

ये तस्वीर दिल्ली के DPS द्वारका स्कूल की है, जहां बाउंसर्स बच्चों को गेट से वापस लौटा रहे हैं।

ये तस्वीर दिल्ली के DPS द्वारका स्कूल की है, जहां बाउंसर्स बच्चों को गेट से वापस लौटा रहे हैं।

जांच में बाउंसर्स तैनात करने वाली बात सही निकली DPS द्वारका स्कूल से 32 बच्चों निकालने को पेरेंट्स ने कोर्ट और DoE के आदेशों की अवहेलना बताया। 13 मई 2025 को DoE ने स्कूल का दौरा किया और पाया कि स्कूल ने बच्चों को क्लास में जाने से रोका और गेट पर बाउंसर तैनात किए हैं।

DoE ने स्कूल को निकाले गए बच्चों को तुरंत बहाल करने और भेदभाव न करने का आदेश दिया। साथ ही स्कूल को 3 दिन में रिपोर्ट जमा करने को कहा।

कोर्ट ने कहा- बच्चों को निकालना सैडिस्टिक और अमानवीय 15 मई 2025 को 102 पेरेंट्स ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें स्कूल को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (LG) के कंट्रोल में लेने की मांग की। 16 मई 2025 को जस्टिस विकास महाजन ने केस की सुनवाई करते हुए स्कूल से सवाल किया कि बिना नोटिस के 32 बच्चों को कैसे निकाला गया।

कोर्ट ने कहा कि स्कूल ने दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट, 1973 की धारा 35(4) का उल्लंघन किया, जिसमें निष्कासन से पहले पेरेंट्स को नोटिस देना जरूरी है। कोर्ट ने स्कूल के वकील से नोटिस के सबूत मांगे, लेकिन स्कूल कोई सबूत नहीं दे सका।

फिर 20 मई 2025 को जस्टिस सचिन दत्ता ने स्कूल के वकील पुनीत मित्तल से नोटिस के सबूत मांगे, लेकिन स्कूल फिर कोई सबूत पेश नहीं कर सका। कोर्ट ने बच्चों के निष्कासन को ‘सैडिस्टिक‘ और ‘अमानवीय‘ करार दिया। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है और अब केस में अगली सुनवाई 5 जून को होगी।

ये दिल्ली के दून पब्लिक स्कूल के बाहर पेरेंट्स के प्रदर्शन की तस्वीर है। परिजन का कहना है कि इस मनमानी के खिलाफ अगर आज नहीं लड़े तो हर स्कूल मनमानी के लिए आजाद हो जाएगा।

ये दिल्ली के दून पब्लिक स्कूल के बाहर पेरेंट्स के प्रदर्शन की तस्वीर है। परिजन का कहना है कि इस मनमानी के खिलाफ अगर आज नहीं लड़े तो हर स्कूल मनमानी के लिए आजाद हो जाएगा।

पेरेंट्स बोले- सख्ती के बाद DPS द्वारका फीस लेने से बच रहा द्वारका में रहने वाले सोमेंद्र यादव के दोनों बच्चे इसी स्कूल में हैं। बेटी 11वीं और बेटा 6वीं क्लास में है। वे बताते हैं, ‘मैं बच्चों की फीस हमेशा स्कूल के नाम चेक से देता हूं। जब मैंने अप्रैल की फीस दी तो स्कूल ने चेक रख लिया लेकिन उसे इनकैश नहीं किया।‘

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चेक जमा करने के बाद मैंने प्रिंसिपल और अकाउंट को मेल भी किया लेकिन कोई रिप्लाई नहीं आया। फिर 3 बार रिमांडर डालने के बाद मैंने DoE से शिकायत की। तब जाकर मेरे बच्चों का नाम कटने से बचा है। अगर मैं शिकायत नहीं करता तो मेरे बच्चों का भी नाम काट दिया जाता।

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DPS द्वारका ने सवालों के जवाब नहीं दिए परिजन के आरोपों को लेकर हमने DPS द्वारका के मैनेजमेंट से बात करने की कोशिश की। पहली बार हम 17 मई को स्कूल गए और फिर 23 को दोबारा DPS द्वारका पहुंचे। 17 मई की शाम 5 बजे हमें बताया गया कि स्कूल में गर्मी की छुट्टियां हो गई हैं।

फिर 23 मई को गेट पर मिले गार्ड ने स्कूल के रिसेप्शन नंबर पर कॉल करने के लिए कहा। हमने स्कूल को कॉल किया और अपने सवाल भी ईमेल किए। खबर लिखे जाने तक कॉल और ईमेल का कोई रिप्लाई नहीं आया है। स्कूल प्रबंधन का जवाब मिलने पर खबर में अपडेट किया जाएगा।

दिल्ली के DPS द्वारका स्कूल ने दाखिले के वक्त कैपिटेशन फीस को लेकर नोटिस लगा रहा है।

दिल्ली के DPS द्वारका स्कूल ने दाखिले के वक्त कैपिटेशन फीस को लेकर नोटिस लगा रहा है।

11 स्कूलों को फीस बढ़ाने पर दिल्ली सरकार का नोटिस DPS में फीस बढ़ने का मामला सामने आने के बाद दिल्ली सरकार ने स्कूलों का ऑडिट किया। अप्रैल 2025 तक दिल्ली सरकार ने 600 निजी स्कूलों के फाइनेंशियल रिकॉर्ड का ऑडिट किया। 17 अप्रैल 2025 को दिल्ली के 11 स्कूलों को पिछले 10 सालों तक ऑडिट रिपोर्ट जमा न करने और गैर-कानूनी तरीके से फीस बढ़ाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इनमें DPS द्वारका भी शामिल है।

इन स्कूलों पर 2024-25 सत्र के लिए फीस बढ़ाने का आरोप हैं। ये फीस DoE की मंजूरी के बिना बढ़ाई गई। पेरेंट्स का आरोप है कि दिल्ली सरकार की कार्रवाई धीमी है। दिल्ली में 1,677 मान्यता प्राप्त निजी स्कूल हैं, जिनमें अभी सिर्फ 600 का ऑडिट हुआ है।

शिक्षा मंत्री बोले- निजी स्कूलों के लिए “जीरो टॉलरेंस” दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार निजी स्कूलों की अनियमितताओं पर “जीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाएगी। उन्होंने दावा किया कि AAP के समय में 75 स्कूलों के वार्षिक ऑडिट हुए, लेकिन BJP सरकार ने इसकी तुलना में तेजी से कार्रवाई की है। वहीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि उनकी सरकार “शिक्षा माफिया” के खिलाफ है और बच्चों के हितों की रक्षा करेगी।

दूसरी ओर विपक्ष में बैठी आम आदमी पार्टी ने BJP पर “शिक्षा माफिया” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। पूर्व शिक्षा मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री को लेटर लिखकर स्कूलों के ऑडिट के लिए CAG-पंजीकृत ऑडिटर नियुक्त करने और फीस वसूली पर रोक लगाने की मांग की।

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दिल्ली के स्कूल मनमानी फीस नहीं वसूल सकेंगे

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