अफसरों की लापरवाही से जिले में स्टाम्प की किल्लत पैदा हो गई है। हालात यह है कि 100 रुपए कीमत का स्टाम्प ब्लैक में 150 रुपए तक में मिल रहा है। पचास रुपए के स्टाम्प पर अधिक पैसे देने पड़ रहे हैं। किल्लत अभी अगले दो सप्ताह तक बनी रहने का अनुमान है। नासि
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पंजीयन अफसरों के मुताबिक विभाग में सारे काम ऑनलाइन हो चुके हैं, इसलिए विभाग ऑफलाइन वाले काम भूल गया है। यही कारण है कि प्रदेश के सभी जिलों में 10 से लेकर 100 रुपए तक की कीमत वाले स्टाम्प की किल्लत पिछले 20 दिन से बनी हुई है। इस मामले में स्थानीय स्टाम्प वेंडर एक सप्ताह पहले कोषालय अधिकारी के पास पहुंचे थे। तब उन्हें बताया गया कि अभी स्टाम्प प्रिंट नहीं हुए हैं। बजट आने पर आगे की प्रक्रिया होगी। वहीं इस मामले में वरिष्ठ कोषालय अधिकारी अरविंद शर्मा ने कहा कि जिले में 10-20 रुपए कीमत वाले स्टाम्प की कमी नहीं है।
सौ रुपए कीमत वाले स्टाम्प 6 हजार अभी स्टाक में हैं और 50 रुपए कीमत वाले लगभग 21 हजार स्टाम्प। ग्वालियर से अंचल के 8 जिलों के अलावा टीकमगढ़, पन्ना व छतरपुर जिले में स्टाम्प लाइसेंसी विक्रेताओं की मांग के आधार पर सप्लाई होते हैं। इन्हें लाइसेंस पंजीयन विभाग जारी करता है। शर्मा ने कहा कि हर माह 50 रुपए कीमत वाले 60 हजार स्टाम्प की जरूरत होती है और 100 रुपए वाले 80 हजार। सर्वाधिक मांग 100 रुपए वाले स्टाम्प की रहती है। इसका उपयोग कई काम में होता है।
काला बाजारी बढ़ी, लोगों के काम हो रहे हैं प्रभावित
बाजार में स्टाम्प की किल्लत के चलते कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। खुलेआम 100 रुपए के स्टाम्प के 150 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। यही स्थिति 50 रुपए के स्टाम्प की है। यह भी 70 से 80 रुपए में बेचे जा रहे हैं। किरायानामा, लॉकर लेने, प्रॉपर्टी मार्गेज कर लोन लेने, एजुकेशन लोन, बैंक गारंटी, हाउसिंग लोन, कार लोन में 100 रुपए का ही स्टाम्प पेपर जरूरी है। लेकिन, मजबूरी में लोग इनके लिए ज्यादा राशि चुका रहे हैं।
नासिक से लाना हैं स्टाम्प, लाने में 2 लाख का खर्चा
ग्वालियर से नासिक प्रेस के लिए 8 लाख स्टाम्प के प्रिंट का ऑर्डर काफी समय भेज दिया गया था। प्रेस में ये प्रिंट भी हो चुके हैं और इसकी सूचना ग्वालियर आ चुकी है। अब समस्या यह है कि इन्हें लेने जो टीम जाएगी, उनके लिए वाहन आदि पर लगभग 2 लाख रुपए का खर्च आएगा, यह राशि पंजीयन मुख्यालय से जारी होगी। अभी बजट नहीं मिला है, इसलिए टीम रवाना नहीं हो सकी है और कोषालय बजट के इंतजार में है।