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स्टारलिंक दो महीने में भारत में सैटेलाइट-इंटरनेट सर्विस शुरू करेगी: डिवाइस की कीमत ₹33,000 होगी; अनलिमिटेड डेटा प्लान के लिए ₹3,000 चार्ज कर सकती है कंपनी


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नई दिल्ली1 मिनट पहले

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इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में शुरू करने के लिए बीते हफ्ते टेलीकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस मिल गया है।

इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में शुरू करने की तैयारी कर रही है। बीते हफ्ते कंपनी को भारत में ऑपरेशन शुरू करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस भी मिल गया है। अब मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी अगले दो महीने में भारत में अपनी सर्विसेज शुरू कर देगी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टारलिंक ने इंडियन मार्केट के लिए अपने प्राइसिंग स्ट्रक्चर को फाइनल कर दिया है। बताया जा रहा है कि सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए लगने वाली सैटेलाइट डिश डिवाइस की कीमत कंपनी ने लगभग 33,000 रुपए तय की है। इसके अलावा कंपनी अपने मंथली अनलिमिटेड डेटा प्लान के लिए 3,000 रुपए चार्ज करेगी।

एक महीने का फ्री-ट्रायल भी देने का प्लान बना रही स्टारलिंक

हालांकि, आधिकारिक तौर पर मस्क की कंपनी ने इसकी जानकारी नहीं दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अपनी लॉन्च स्ट्रेटेजी के हिस्से के रूप में स्टारलिंक हर एक डिवाइस की खरीद के साथ एक महीने का फ्री-ट्रायल भी देने का प्लान बना रही है। जिससे कस्टमर रेगुलर मंथली पेमेंट करने से पहले सर्विस टेस्ट कर सकें।

सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज से भारत के दूरदराज और वंचित इलाकों में भी कनेक्टिविटी मिलने की उम्मीद है। जहां ट्रेडिशनल ब्रॉडबैंड इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना चैलेंजिंग रहा है। स्टारलिंक का पृथ्वी की निचली कक्षा का सैटेलाइट ग्रुप उन स्थानों पर हाई-स्पीड इंटरनेट एक्सेस देने का वादा करता है, जहां पहले कन्वेंशनल टेरेस्ट्रियल नेटवर्क नहीं पहुंच पाते थे।

स्टारलिंक डिवाइस की कीमत बांग्लादेश-भूटान में भी ₹33,000

प्राइसिंग स्ट्रक्चर में स्टारलिंक ने रीजनल स्ट्रेटेजी अपनाई है, क्योंकि कंपनी के डिवाइस की लागत भारत के पड़ोसी देशों में भी बराबर ही है। स्टारलिंक डिवाइस की कीमत बांग्लादेश और भूटान दोनों देशों में भी 33,000 रुपए ही है।

बीते हफ्ते स्टारलिंक को टेलीकॉम मिनिस्ट्री की मंजूरी मिली

बीते हफ्ते रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी थी कि स्पेसएक्स को स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में ऑपरेट करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस मिल गया है। अब उसे सिर्फ इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर यानी, IN-SPACe के अप्रूवल का इंतजार है।

स्टारलिंक तीसरी कंपनी है जिसे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ऑपरेट करने का लाइसेंस मिला है। इससे पहले वनवेब और रिलायंस जियो को मंजूरी मिली थी। इससे पहले यह भी खबरें आई थीं कि स्टारलिंक भारत में 840 रुपए में महीनेभर अनलिमिटेड डेटा देगा।

6 सवाल-जवाब में जानें स्टारलिंक से जुड़ी जरूरी बातें…

सवाल 1: स्टारलिंक क्या है और ये खास क्यों है?

जवाब: स्टारलिंक, स्पेसएक्स का प्रोजेक्ट है, जो सैटेलाइट्स के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट देता है। इसके सैटेलाइट्स पृथ्वी के करीब घूमते हैं, जिससे इंटरनेट तेज और स्मूथ चलता है। ये खासकर उन इलाकों के लिए फायदेमंद है, जैसे गांव या पहाड़, जहां आम इंटरनेट नहीं पहुंचता।

सवाल 2: भारत में इसके इंटरनेट प्लान्स की कीमत कितना हो सकती है?

ANI की रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए लगने वाली सैटेलाइट डिश डिवाइस की कीमत कंपनी ने लगभग 33,000 रुपए तय की है। इसके अलावा कंपनी मंथली अनलिमिटेड डेटा प्लान के लिए 3,000 रुपए चार्ज करेगी।

इससे पहले द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया था कि स्पेसएक्स भारत में अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज मंथली 10 डॉलर यानी लगभग 840 रुपए से कम कीमत वाले शुरुआती प्रमोशनल अनलिमिटेड डेटा प्लान से शुरू करेगी।

सवाल 3: स्टारलिंक को लाइसेंस मिलने में इतना वक्त क्यों लगा?

जवाब: स्टारलिंक 2022 से कोशिश कर रही थी, लेकिन सिक्योरिटी चिंताओं की वजह से देरी हुई। भारत सरकार ने डेटा सिक्योरिटी और कॉल इंटरसेप्शन जैसी शर्तें रखी थीं। स्टारलिंक ने इन शर्तों को माना, और मई 2025 में लेटर ऑफ इंटेंट मिलने के बाद अब लाइसेंस मिल गया।

सवाल 4: आम लोगों को क्या फायदा होगा?

जवाब: स्टारलिंक से गांवों और दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचेगा, जिससे ऑनलाइन एजुकेशन, टेलीमेडिसिन, और बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, टेलीकॉम मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सस्ते और बेहतर प्लान्स मिल सकते हैं।

सवाल 5: अब स्टारलिंक का अगला कदम क्या है?

जवाब: स्टारलिंक को अब IN-SPACe से फाइनल अप्रूवल और स्पेक्ट्रम चाहिए। अगले 15-20 दिनों में ट्रायल स्पेक्ट्रम मिल सकता है, और फिर कॉमर्शियल सर्विस शुरू होगी।

सवाल 6: भारत मस्क के लिए क्यों जरूरी है?

जवाब: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट मार्केट है। मस्क के लिए ये लाइसेंस बड़ी कामयाबी है, खासकर जब अमेरिका में उनकी डोनाल्ड ट्रम्प के साथ तनातनी चल रही है। इससे स्पेसएक्स के कॉन्ट्रैक्ट्स खतरे में हैं।

सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट?

  • सैटेलाइट धरती के किसी भी हिस्से से बीम इंटरनेट कवरेज को संभव बनाती है। सैटेलाइट के नेटवर्क से यूजर्स को हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट कवरेज मिलता है। लेटेंसी का मतलब उस समय से होता है जो डेटा को एक पॉइंट से दूसरे तक पहुंचाने में लगता है।
  • स्टारलिंक किट में स्टारलिंक डिश, एक वाई-फाई राउटर, पॉवर सप्लाई केबल्स और माउंटिंग ट्राइपॉड होता है। हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए डिश को खुले आसमान के नीचे रखना होगा। iOS और एंड्रॉइड पर स्टारलिंक का ऐप मौजूद है, जो सेटअप से लेकर मॉनिटरिंग करता है।

जून 2020 में सरकार ने IN-SPACe स्थापित किया था

डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने जून 2020 में IN-SPACe को स्थापित किया था। यह स्पेस एक्टिविटीज में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को रेगुलेट करने और उसे सुविधाजनक बनाने के लिए सिंगल-विंडो एजेंसी के रूप में काम करती है। IN-SPACe नॉन-गवर्नमेंटल एंटिटीज के लिए लाइसेंसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग और स्पेस बेस्ड स‌र्विसेज को बढ़ावा देने का काम भी करती है।

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बांग्लादेश में इलॉन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी स्टारलिंक ने मंगलवार से अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने इसके लिए देश की जनता को बधाई दी।

उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा- देश में स्टारलिंक का हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट दो पैकेज के साथ उपलब्ध हो चुका है। एक प्लान में लोगों को 6000 टका (4,203 भारतीय रुपए) और दूसरे प्लान में 4200 टका (2,942 भारतीय रुपए) खर्च करने होंगे। पूरी खबर पढ़ें…

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