Thursday, June 12, 2025
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स्पेशल-वार्ड में भर्ती मरीजों का मुफ्त इलाज बंद: हिमाचल सरकार ने बदली Sop; हिमकेयर और आयुष्मान भारत योजना में 5 लाख तक का कैशलेस ट्रीटमेंट – Shimla News


हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के स्पेशल वार्ड में भर्ती होकर उपचार कराने वाले मरीजों की मुफ्त उपचार की सुविधा बंद कर दी गई है। एक अप्रैल से ऐसे मरीजों को मुफ्त इलाज नहीं दिया जा रहा है। स्वास्थ्य सचिव ने इसे लेकर आदेश जारी कर दिए है।

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बता दें कि मुख्यमंत्री हिमाचल हेल्थ केयर स्कीम (हिमकेयर) और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के अंतर्गत सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीज को 5 लाख रुपए तक कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा है। इसके लिए 8 मार्च 2019 को स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल (SoP) जारी की गई।

हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल

नॉर्मल वार्ड में भर्ती मरीजों को मिलती रहेगी मुफ्त इलाज की सुविधा

अब इन SoP के क्लॉज-एम को रिमूव कर दिया गया है। इसके बाद अब स्पेशल वार्ड में भर्ती हिमकेयर और AB-PMJAY कार्डधारक को मुफ्त इलाज नहीं मिलेगा। जो मरीज स्पेशल वार्ड से बाहर सामान्य वार्ड में भर्ती होंगे, उन्हें पहले की तरह मुफ्त उपचार की सुविधा मिलती रहेगी।

प्रदेश में 8.53 लाख कार्डधारक

प्रदेश में हिमकेयर योजना के तहत 8.53 लाख कार्डधारक है। इनमें से जो मरीज स्पेशल वार्ड में भर्ती होंगा, उन्हें कैशलेस फ्री ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा। इन दोनों योजनाओं में मरीज का सरकारी अस्पताल में पांच लाख रुपए तक का उपचार मुफ्त होता है। हिमकेयर राज्य की स्कीम है, जबकिAB-PMJAY केंद्र सरकार की योजना है। मगर आयुष्मान में 50-50 फीसदी के अनुपात में केंद्र व राज्य सरकार खर्च उठाती है। हिमकेयर की शत-प्रतिशत बजट राज्य सरकार देती है।

आर्थिक संकट को देखते हुए हटाया एम क्लॉज

आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार ने यह कदम उठाया है और स्पेशल वार्ड लेकर उपचार कराने वाले साधन संपन्न लोगों के लिए यह सुविधा विड्रा की है। इसी तरह इन दोनों योजनाओं में गड़बड़ी सामने आने के बाद प्राइवेट अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज पहले ही बंद किया जा चुका है। यह कदम मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा इन दोनों योजनाओं में सुधार के लिए गठित कमेटी की सिफारिश पर लिए गए हैं।

300 करोड़ से ज्यादा की देनदारी

बता दें कि प्रदेश में इस वक्त 354 करोड़ रुपए से ज्यादा की देनदारी इन दोनों योजनाओं की हो गई है। राज्य सरकार अस्पतालों को पूरी पेमेंट नहीं दे पा रही है। सरकारी अस्पतालों की 227 करोड़ रुपए और प्राइवेट अस्पतालों की 127 करोड़ रुपए पेमेंट सरकार के पास पेंडिंग है, क्योंकि पूर्व में मुफ्त इलाज की सुविधा प्राइवेट अस्पतालों में भी जारी थी। गड़बड़ियां सामने आने के बाद प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त इलाज बंद किया गया है।​​​​​​​



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