मध्यप्रदेश के चर्चित हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप (संबंध बनाकर लड़कियों द्वारा ब्लैकमेल करना) के मामले को सामने लाने वाले शख्स की हाल ही में मौत हो गई है। अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें लड़कियां ब्लैकमेल कर रही थीं। लाखों रुपए देने पर भी लड़कियों ने पीछा नहीं छोड़
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शिकायत करने वाले शख्स की मौत के बाद केस में ये पहली सुनवाई थी। केस पर उनकी मौत से कितना असर पड़ेगा, क्योंकि जब शिकायत करने वाला ही नहीं रहा तो जवाब कौन देगा? मामले में आगे क्या होगा? क्या केस कमजोर हो जाएगा? क्या सभी आरोपी छूट जाएंगे या उन्हें सजा मिल सकती है? लीगल एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था।
इस रिपोर्ट में जानिए इन सभी सवालों के जवाब…
सबसे पहले जानिए क्या है हनी ट्रैप केस
नगर निगम इंदौर के तत्कालीन चीफ इंजीनियर हरभजन सिंह को कुछ युवतियों ने अश्लील वीडियो के नाम पर ब्लैकमेल किया। 3 करोड़ रुपए की मांग की गई थी, 17 सितंबर 2019 को हरभजन ने इसकी शिकायत पलासिया पुलिस थाने में की थी।
पुलिस ने 6 महिलाओं समेत आठ को आरोपी बनाया। आरती, मोनिका, श्वेता (पति विजय), श्वेता (पति स्वप्निल), बरखा को गिरफ्तार कर कोर्ट ने जेल भेज दिया था। इनके अलावा कार ड्राइवर ओमप्रकाश कोरी को भी गिरफ्तार किया गया था। बाद में सभी की जमानत हो गई थी।
इस केस में ड्रायवर अभिषेक ठाकुर भी आरोपी हैं। सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में कई खुलासे हुए थे। हरभजन ने पुलिस को बताया था कि भोपाल की आरती पति पंकज दयाल ने 18 वर्षीय बीएससी छात्रा मोनिका से दोस्ती करवाई।
फिर इंदौर के एक होटल में आरती ने मोबाइल से दोनों का वीडियो बनाया। उसके बाद ब्लैकमेल का खेल शुरू हुआ, जो आठ महीने तक चला। इसमें तीन बार वो पैसे दे चुके थे, वहीं 50 लाख रुपए लेने आरती और मोनिका जब इंदौर आई तो उन्हें पकड़ लिया गया।
अब 4 पॉइंट में समझिए हरभजन की मौत के बाद केस में क्या होगा
1. कोर्ट के बयान अब क्या डाइंग डिक्लेरेशन :
लड़कियों के हुस्न के जाल में फंसे शिकायतकर्ता हरभजन सिंह के कोर्ट (धारा 164) में बयान हो चुके हैं। मगर अब हरभजन की मौत हो गई है। ऐसी स्थिति में उसके बयान अब क्या डाइंग डिक्लेरेशन यानी मृत्युपूर्व घोषणा के रूप में कन्वर्ट हो जाएंगे। कानूनी तौर पर डाइंग डिक्लेरेशन का बहुत महत्व होता है। इसे डाइंग डिक्लेरेशन माना जाता है तो इससे लड़कियों पर जो ब्लैकमेलिंग के आरोप लगे हैं उन्हें और पुख्ता माना जाएगा। एक्सपर्ट इस बात से इनकार कर रहे हैं कि उनके बयान अब डाइंग डिक्लेरेशन होंगे। हालांकि ये अंतिम रूप से कोर्ट का निर्णय होगा।
हरभजन सिंह की मौत 29 नवंबर को हो गई है, इसलिए अब उनके बयान को लेकर डाइंग डिक्लेरेशन का मामला कोर्ट के सामने आ सकता है।
2. मौत के बाद क्रॉस सवाल संभव नहीं : केस में हरभजन की तरफ से महिलाओं पर लगाए गए ब्लैकमेलिंग के आरोप अब एकतरफा रहेंगे, क्योंकि आरोपी पक्ष के वकीलों को हरभजन से क्रॉस सवाल करने का मौका ही नहीं मिल सका। उसकी मौत के बाद कोर्ट में होने वाला प्रतिपरीक्षण (क्रॉस इक्जामिन) नहीं हो पाएगा। कई बार क्रॉस सवाल-जवाब में शिकायतकर्ता के बयानों में विरोधाभास की स्थिति बनती है, जिससे केस की दिशा ही बदल जाती है, लेकिन इस केस में अब ऐसा संभव नहीं रह गया।
3. केस में सीडी रहेगी महत्वपूर्ण : केस में जब्त अश्लील सीडी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी। हरभजन की मौत के बाद गवाहों की मौजूदगी में सीडी को खोला जा सकता है। इसमें होटल के दो कर्मचारी और दो बाहरी लोग शामिल हैं, जिनके सामने सीडी जब्त की गई थी। सीडी देखकर ये साबित करना होगा कि हरभजन और लड़की के बीच आपसी रजामंदी से संबंध बनाए गए।
4. हैवी अकाउंट ट्रांजेक्शन सहित अन्य सबूत : केस में आरोपियों के लॉकर्स से पैसे निकले हैं। उनके बैंक अकाउंट में हैवी ट्रांजेक्शन हुए हैं। नकली आईडी कार्ड के आधार पर आरोपी इंदौर होटल में रूके। आरोप है कि उन्होंने फरियादी हरभजन का शोषण किया। इसके अलावा अन्य सबूतों को आरोपियों को सजा के लिए अब कोर्ट में मजबूत आधार बनाया जाएगा।
केस में अगली सुनवाई 11 जनवरी को
हनी ट्रैप मामले में शनिवार 7 दिसंबर को सुनवाई हुई। केस में अगली सुनवाई 11 जनवरी को होगी। कोर्ट ने सीडी की एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) रिपोर्ट आरोपी पक्ष को देने के लिए कहा है, क्योंकि जो सीडी जब्त हुई है वो आरोपी पक्ष को गवाही के समय दी जाएगी। जब्त पेन ड्राइव में वीडियो निकले हैं। आरोपी पक्ष ने सीडी की टेक्नीकल रिपोर्ट देने की मांग की जिस पर कोर्ट ने डायरेक्शन दिए हैं कि अगली सुनवाई के पहले रिपोर्ट दे दी जाए।
सीडी पर नहीं लग सकते छेड़छाड के आरोप
जब्त सीडी की लैब में जांच हो चुकी है। इसे सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी ने ओके किया है, यानी मुहर लग गई है कि ये वीडियो ओरिजिनल ही हैं। तमाम वीडियो अंतरंग हैं।
ऐसे में सीडी डॉक्टर्ड(एडिटेड) है। उसमें काट-छांट की गई है। इस प्रकार के आरोप भी नहीं लगाए जा सकते हैं। पुलिस तस्दीक करेगी की सीडी में दिख रहा व्यक्ति शिकायतकर्ता हरभजन ही है। सीडी के माध्यम से केस की आगे की दिशा तय होगी। वहीं शिकायत करने वाले हरभजन के हस्ताक्षर की जांच के लिए मां-बेटे से तस्दीक करवाई जाएगी। पुलिस अधिकारी भी तस्दीक करेंगे।
केस का स्टेटस…अभी तक चार्ज ही फ्रेम नहीं हुए
मामले में अभी तक इंदौर जिला कोर्ट में चार्ज ही फ्रेम नहीं हुए हैं। कोर्ट चार्ज फ्रेम करने के लिए कह चुकी है। जिला कोर्ट में आरोपी पक्ष की ओर से वकील यावर खान चार्ज पर लिखित बहस पेश कर चुके हैं। हाईकोर्ट भी केस को सेंसिटिव मानते हुए जल्द सुनवाई कर निराकरण के निर्देश दे चुकी है। 7 दिसंबर को होने वाली सुनवाई चार्ज फ्रेम करने को लेकर थी लेकिन अब अगली सुनवाई पर चार्ज फ्रेम होंगे।
मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से हनी ट्रैप से संबंधित पेन ड्राइव-CD जब्त करने को लेकर हाई कोर्ट डायरेक्शन दे चुकी है। कोर्ट ने कहा है कि पुलिस ने धारा 173 (8) के तहत अन्य लोगों के संबंध में विवेचना पूरी नहीं की है। इस वजह से कमलनाथ के पास मौजूद DVR को जब्त करने के संबंध में अभी निर्देश नहीं दिए जा सकते हैं।
गवाह ने पहचाना था इंदौर की होटल का कमरा नंबर 414
बता दें एसआईटी को श्वेता स्वप्निल जैन से जब्त आईफोन में वीडियो मिले थे। इसके बाद जब्त वीडियो की पहचान गवाह नरेश यादव को दिखाकर की गई। नरेश ने वीडियो देख इंदौर निगम इंजीनियर हरभजन सिंह, आरती दयाल और मोनिका यादव उर्फ सीमा सोनी को पहचाना। उसने इंदौर की एक होटल का कमरा नंबर 414 पहचान लिया था। इसी कमरे में तीनों थे। कमरे की पहचान दीवरों पर लगे वॉलपेपर, बेड और पर्दे को देखकर की।
निलंबन के बाद इंदौर छोड़ रीवा रहने लगे थे हरभजन
हरभजन सिंह की 29 नवंबर को हार्ट अटैक से मौत हो गई। उनका शव रीवा स्थित पैतृक मकान में मिला। हनी ट्रैप केस उजागर करने के बाद एक आरोपी युवती ने हरभजन सिंह के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत की थी। इसके बाद हरभजन पर भी पुलिस ने केस दर्ज कर दिया था। फिर विभाग ने उन्हें निलंबित कर उनका मुख्यालय रीवा कर दिया। सस्पेंड के कुछ दिनों तक हरभजन इंदौर में ग्रेटर कैलाश मार्ग स्थित मकान में रहने चले गए।
बाद में हरभजन रीवा स्थित अपने पैतृक निवास पर रहने लगे। पत्नी और उनके बेटे भी कुछ समय से दूसरे शहर में रहने चले गए थे।
एक्सपर्ट की राय में अब केस की स्थिति
क्रिमिनल केस फरियादी की मौत के बाद हो जाता है कमजोर
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट तनुज दीक्षित ने कहा कि क्रिमिनल केस में फरियादी की मौत के बाद केस स्वत: ही कमजोर पड़ जाता है। जिन मामलों में केस पंजीबद्ध है, ऐसे में कोई और उत्तराधिकारी नहीं बनाया जा सकता। पूर्व में फरियादी के द्वारा सेक्शन 164 में बयान दर्ज करा दिए गए हैं। केस में अब आगे उन्हीं बयानों को बतौर सबूत इस्तेमाल किया जाएगा। केस में फरियादी हरभजन का क्रॉस (आरोपी पक्ष के वकील द्वारा सवाल-जवाब) अभी तक नहीं हुआ था। ऐसे में जो डिजिटल साक्ष्य (सबूत) माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए हैं। उन्हीं को अब आगे आधार बनाया जाएगा।
बयान डाइंग डिक्लेरेशन में कन्वर्ट नहीं होंगे
हाईकोर्ट एडवोकेट दिनेश सिंह चौहान ने कहा शिकायतकर्ता की मौत के बाद भी केस खत्म नहीं होगा, क्योंकि केस स्टेट ऑफ एमपी के नाम पर बनते हैं। केस किसी परिवादी के नाम पर नहीं बनता है। केस कंटीन्यू करेगा। हरभजन के धारा 164 के बयान डाइंग डिक्लेरेशन में कन्वर्ट नहीं होंगे। वो बयान ही रहेंगे। मरने की कंडीशन में जो स्टेटमेंट दिए जाते हैं वो डाइंग डिक्लेरेशन हैं। हरभजन के कोर्ट स्टेटमेंट नहीं हुए। केस में चार्ज ही नहीं लगा है और फरियादी की मौत हो गई है। आरोपी पक्ष के लिए इससे केस में स्ट्रॉन्ग चांस बन गए हैं।
वहीं धारा 65बी लगी की नहीं, अगर लगी है तो सीडी काम की है। सीडी जब्ती का गवाह भी अब महत्वपूर्ण हो जाएगा। उसके पलटने पर केस कमजोर हो सकता है, क्योंकि फिर जब्ती ही सवालिया हो जाएगी।
अब दोनों पक्ष के वकीलों की दलील पढ़िए…
आरोपी पक्ष: बयान में क्या कमी ये हम कोर्ट में प्रूफ करेंगे
आरोपी के पक्ष के वकील यावर खान ने बताया कि जब्त सीडी की एफएसएल जांच रिपोर्ट हमें देने के डायरेक्शन कोर्ट ने दिए हैं। गोपनीय बताते हुए रिपोर्ट की कॉपी अभी तक हमें नहीं दी गई थी।
इससे पता चल जाएगा कि सीडी कितनी सही और गलत है। उसमें क्या पाया गया। ये डॉक्यूमेंट मिलने के बाद चार्ज लगाएंगे। फरियादी की मौत या प्रेजेंट रहने से केस पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। फरियादी की मौत के बाद जो डॉक्यूमेंट है वो पढ़े जाएंगे। जांच अधिकारी बताएगा कि फरियादी ने क्या-क्या कहा था।
सरकारी पक्ष: मौत से नहीं पड़ेगा फर्क
सरकारी पक्ष के वकील अभिजित सिंह राठौर ने बताया कि ये केस दस्तावेज के आधार पर बना हुआ है, इसलिए फरियादी हरभजन की मौत के बाद केस पर फर्क नहीं पड़ेगा। शिकायत पर पुलिस ने जो इन्वेस्टिगेशन किया और इन्वेस्टिगेशन में जो सबूतों को इकट्ठा किया है, वो आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए पर्याप्त है। सेक्शन 164 के तहत फरियादी हरभजन के बयान हुए हैं, जिस पर उसके सिग्नेचर हैं। ये भी अब महत्वपूर्ण है।