सुसनेर के श्री खेड़ापति हनुमान मठ मंदिर में सात दिवसीय श्री हनुमंत कथा का समापन हुआ। कथा में नगरवासियों और आसपास के श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
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पंडित रितिक महाराज ने कथा में भगवान राम और भरत के त्यागमय संबंधों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि परिवार में प्रेम, सेवा और समर्पण सबसे बड़ी पूजा है। उन्होंने बेटियों के सम्मान, बुजुर्गों की सेवा और संस्कारों को जीवन का मूल बताया। पंडित जी ने कहा कि केवल मंदिर में दीप जलाना ही पूजा नहीं है। समाज और परिवार के प्रति कर्तव्यों को निभाना भी ईश्वर सेवा के समान है।
समापन पर 22 यजमान जोड़ों ने यज्ञ में भाग लिया। यज्ञ में कुल 11 हजार आहुतियां दी गईं। इसके बाद बालाजी के विशेष शृंगार के साथ आरती हुई। मंदिर परिसर भक्ति संगीत और जयकारों से गूंज उठा।
कार्यक्रम में महिला मंडल, युवा सेवक दल और मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने सक्रिय भूमिका निभाई। समिति ने सभी यजमानों और सहयोगियों का आभार जताया।