सीहोर निवासी 40 वर्षीय मोहन कुमार को सात दिन पहले अचानक दाएं हाथ-पैर में कमजोरी महसूस हुई और कुछ ही घंटों में वह पूरी तरह लकवाग्रस्त हो गए। परिजनों ने तुरंत उन्हें भोपाल के हमीदिया अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया। यहां न्यूरोलॉजी विभाग की टीम ने
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मुफ्त थ्रोम्बोलिसिस इलाज की सुविधा शुरू हमीदिया अस्पताल ने लकवे के मरीजों के लिए नई उम्मीद जगाई है। अब तक जो इलाज सिर्फ निजी अस्पतालों में उपलब्ध था, वो हमीदिया में भी शुरू किया गया है। खास बात यह कि इस थ्रोम्बोलिसिस इलाज के लिए जरूरी टेनेक्टेप्लेस इंजेक्शन मुफ्त मिल रहा है। यह दिमाग की नसों में जमे खून के थक्के (ब्लड क्लॉट) को तोड़ कर उसे घोल देता है। निजी अस्पतालों में यह इंजेक्शन 30 से 40 हजार रुपए में मिलता है।
सिर्फ 4.30 घंटे में पहुंचे मरीज तो लगेगा इंजेक्शन हमीदिया अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आयुष दुबे बताते हैं कि स्ट्रोक (लकवा) के मामलों में समय ही जीवन है। मरीज को स्ट्रोक के 4 घंटे 30 मिनट के भीतर अस्पताल पहुंचाया जाए, तो इंजेक्शन से खून का थक्का आसानी से हटाया जा सकता है। साथ ही मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। इसे गोल्डन पीरियड या विंडो पीरियड कहा जाता है। लकवे का मुख्य कारण यही थक्के होते हैं, जो दिमाग तक रक्त का प्रवाह रोक देते हैं। इंजेक्शन खून को दोबारा बहाव में लाकर मस्तिष्क को पहुंचाता है, जिससे लकवा धीरे-धीरे खत्म होने लगता है।
ये लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल जाएं
- हाथ या पैर अचानक सुन्न या कमजोर हो जाना।
- बोलने में दिक्कत या आवाज का बिगड़ना।
- चेहरा टेढ़ा होना।
- चलने में लड़खड़ाहट।
- शारीरिक संतुलन खोना।
इन्हें ज्यादा खतरा
- 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग।
- हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल वाले मरीज।
- जिनकी धड़कन अनियमित रहती है।