हरदा में दो साल पहले बने सात संजीवनी क्लीनिकों में से पांच में डॉक्टर नहीं हैं। मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक योजना के तहत 25 लाख रुपए की लागत से बनाए गए थे क्लीनिक। मरीजों को इलाज के लिए जिला अस्पताल जाना पड़ता है, जहां भीड़ के कारण मरीज परेशान हो रहे
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डॉक्टरों की गैरमौजूदगी से मरीज परेशान
योजना के तहत प्रत्येक क्लीनिक में एक डॉक्टर, एक एएनएम, एक नर्स और एक कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति होनी थी। मरीजों को 120 तरह की दवाएं और 45 तरह की जांचें मुफ्त मिलनी थीं। डॉक्टरों की अनुपस्थिति में यह सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
जिला मुख्यालय में विकास नगर, दूध डेयरी, बैरागढ़, फाइल वार्ड और उड़ा में क्लीनिक स्थापित किए गए हैं। इनमें केवल फाइल वार्ड में डॉक्टर तैनात है। टिमरनी और खिरकिया की क्लीनिकों में भी डॉक्टरों की कमी है। कुछ क्लीनिक में केवल पोर्टल एंट्री के लिए कर्मचारी बैठे हैं। लेबोरेटरी में कबाड़ का सामान रखा हुआ है। मरीजों को अब भी जिला अस्पताल जाना पड़ता है, जहां भीड़ के कारण परेशानी होती है।
नियुक्ति के बाद तत्काल करेंगे पदस्थापना-सीएमएचओ
सीएमएचओ डॉ एचपी सिंह के अनुसार, स्टाफ की कमी के बारे में शासन को अवगत करा दिया गया है। नियुक्तियां होते ही तत्काल पदस्थापना की जाएगी। योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब और बस्तियों में रहने वाले लोगों को घर के पास इलाज की सुविधा देना था, जो अभी अधूरा है।