बेस कैंप पर तिरंगा लहराती अनाया।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र की 9 साल की अनाया सौदा ने अपने हौसले और मेहनत से इतिहास रच दिया है। इस छोटी सी बच्ची ने नेपाल में माइनस 12 डिग्री के तापमान में 130 किलोमीटर लंबी ट्रैकिंग पूरी कर माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर तिरंगा फहराया है।
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छोटी उम्र में इतना बड़ा मुकाम हासिल कर अनाया प्रदेश की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही बन गई है। उसने यह अभियान ड्रग्स के खिलाफ समर्पित किया और युवाओं को नशे से दूर रहने का संदेश भी दिया।
यह ट्रैकिंग पूरी करने के बाद 26 मई को अनाया को हरियाणा के CM नायब सिंह सैनी ने चंडीगढ़ में सम्मानित किया। अब पढ़िए, कैसे तय किया गया यह सफर…
चंडीगढ़ में अनाया को सम्मानित करते सीएम नायब सैनी।
बुआ की कहानियों से मिली प्रेरणा, बचपन में जगी चढ़ाई की ललक 5वीं कक्षा में पढ़ने वाली अनाया को पर्वतारोहण का शौक अपनी बुआ ममता सौदा से मिला, जो हरियाणा पुलिस में DSP के पद पर कार्यरत हैं और खुद भी माउंट एवरेस्ट फतह कर चुकी हैं। ममता के पति राजेश पर्वतारोहियों को ट्रेनिंग देने का काम करते हैं।
जब भी अनाया अपनी बुआ से मिलती, वह उनसे एवरेस्ट पर चढ़ने की कहानियां सुनाने को कहती। इन बातों ने उसके मन में भी पहाड़ चढ़ने का सपना जगा दिया। एक दिन उसने खुद बुआ से कहा कि वह भी एवरेस्ट तक जाना चाहती है। इसके बाद ममता और राजेश ने उसकी तैयारी शुरू करवा दी।

अनाया के साथ इस सफर में उसकी बुआ का बेटा आर्यन भी शामिल था।
फरवरी से शुरू की ट्रेनिंग, मां सुबह 5 बजे उठाकर जिम ले जाती थीं अनाया ने फरवरी 2024 से ट्रैकिंग की तैयारी शुरू कर दी थी। मां रूपाली सौदा रोज सुबह 5 बजे उसे जगा कर जिम ले जाती थीं। वहां वह हल्की एक्सरसाइज करती, ट्रेडमिल पर दौड़ती थी। शाम को वह साइकिल चलाती और दौड़ लगाती। घर लौटते समय मां साइकिल पर होती थीं और अनाया दौड़ते हुए पीछे आती।
राजेश और ममता भी साथ के साथ उसे मानसिक रूप से मजबूत कर रहे थे। साथ ही उसे बर्फ, ऑक्सीजन की कमी और अचानक बदलते मौसम से निपटने के बारे में बता रहे थे।

अनाया और आर्यन हर रोज रोजाना करीब 10 किलोमीटर का सफर तय करते थे।
भाई आर्यन के साथ शुरू किया सफर, 3 मई से ट्रैकिंग अनाया अकेली नहीं थी। उसका 8 साल का फुफेरा भाई आर्यन भी इस मिशन में साथ था। दोनों बच्चों को राजेश सौदा ने ट्रेनिंग दी। 30 अप्रैल को पूरा परिवार (अनाया, आर्यन, राजेश और ममता) दिल्ली से नेपाल की राजधानी काठमांडू के लिए रवाना हुआ। 1 मई को वे लुकला पहुंचे, जहां से एवरेस्ट बेस कैंप की ट्रैकिंग शुरू होती है।
3 मई से उन्होंने ट्रैकिंग शुरू की। हर दिन सुबह 6 बजे उठकर करीब 8-10 घंटे की चढ़ाई होती थी। रोजाना करीब 10 किलोमीटर का सफर तय करते थे। रास्ता बेहद पथरीला और संकरा था। कई जगह रस्सियों का सहारा लेना पड़ता था। बच्चों को ममता और राजेश गाइड करते रहे।

ट्रैकिंग के दौरान अनाया को बुखार भी आया, लेकिन उसने दवा लेकर सफर जारी रखा।
बारिश-ओले, माइनस तापमान और ऑक्सीजन की कमी रास्ते में कई बार बारिश और ओले गिरने के कारण ट्रैकिंग रोकनी पड़ी। ऑक्सीजन की कमी भी लगातार महसूस होती थी। लुकला में तापमान माइनस 7 डिग्री था, जो बेस कैंप तक पहुंचते-पहुंचते माइनस 12 तक चला गया।
खाने के लिए वे चॉकलेट, ड्राईफ्रूट और फ्रूट्स साथ लेकर चले थे। इन्हीं से एनर्जी मिलती रही।
स्किन बर्न और बुखार, फिर भी नहीं रुकी ठंड इतनी ज्यादा थी कि अनाया की स्किन बर्न हो गई। उसका मुंह का स्वाद चला गया था। हल्का बुखार भी हो गया था, लेकिन उसने हार नहीं मानी। पिता महेश सौदा ने ट्रैकिंग से पहले उसका मेडिकल करवाया था। साथ में पेट दर्द, खांसी-जुकाम और बुखार की दवाएं दी गई थीं। कई बार उसे ये दवाइयां भी खानी पड़ीं।

ट्रैकिंग के दौरान दोनों बच्चों को संकरे रास्ते और बर्फीले पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ा।
14 मई को एवरेस्ट बेस कैंप पर पहुंचकर तिरंगा फहराया 14 मई को सुबह 8 बजे गोरखशेप से अंतिम चढ़ाई शुरू हुई। यह आधा किलोमीटर का रास्ता सबसे कठिन था। माइनस 12 डिग्री तापमान और पत्थरों-बर्फ के बीच अनाया और आर्यन ने सुबह 11 बजे एवरेस्ट बेस कैंप पर पहुंचकर तिरंगा फहराया।
अनाया के पिता एडवोकेट महेश सौदा ने बताया कि दोनों बच्चों ने करीब 130 किलोमीटर की ट्रैकिंग पूरी की। इतनी कम उम्र में यह कारनामा कर उन्होंने इतिहास रच दिया है और उन्हें दोनों ही बच्चों पर गर्व है।
