Thursday, April 24, 2025
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हरियाणा के पहले CM की प्रॉपर्टी का झगड़ा बढ़ा: बड़े भाई का परिवार बोला- यह घर-प्लॉट हमारा, उनकी बहू कब्जे की कोशिश कर रही – Jhajjar News


पूर्व मुख्यमंत्री की बहू ने पुश्तैनी मकान पर पिछले दिनों लिखवाया था कि यह बिकाऊ नहीं है। इनसेट में भगवत दयाल शर्मा की फाइल फोटो।

हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा के पुश्तैनी मकान को लेकर परिवार में ही झगड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री के बड़े भाई की बेटी ने भगवत दयाल शर्मा की बहू पर जमीन और प्लॉट पर जबरन कब्जा करने के आरोप लगाए हैं। बहू के खिलाफ उन्होंने झज्जर

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शर्मा के भाई के परिवार ने आरोप लगाते हुए कहा, “भगवत दयाल शर्मा की बहू ने उनके नाम पर ट्रस्ट बनाया हुआ है। इस ट्रस्ट में हमारे परिवार का कोई सदस्य नहीं है। ट्रस्ट की आड़ में वह मकान और जमीन पर कब्जा करना चाहती हैं। इसमें उनके साथ कांग्रेस के बड़े नेता मिले हुए हैं। जबकि, भगवत दयाल शर्मा ने कहा था कि मेरा जमीन पर कोई अधिकार नहीं है।”

वहीं, बहू आशा कुमारी का कहना है कि ”कुछ लोग बार-बार इस संपत्ति को खरीदने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि मकान को बेचा ही नहीं जा रहा। यह मकान पूर्व मुख्यमंत्री की विरासत है।” 7 अप्रैल को आशा ने पुश्तैनी मकान की दीवारों पर लिखवाया था कि यह मकान और सामने वाला प्लॉट बिकाऊ नहीं है।

झज्जर के बेरी में पूर्व मुख्यमंत्री भगवत सिंह दयाल की पुश्तैनी जमीन है।

पूर्व मुख्यमंत्री के भाई के परिवार ने क्या आरोप लगाए, पढ़िए…

भतीजी बोलीं- ये पिता के हिस्से की जमीन पंडित भगवत दयाल शर्मा के बड़े भाई पंडित उमराव शर्मा की बेटी कैलाश कुमारी शर्मा ने आरोप लगाया कि मकान और प्लॉट पंडित उमराव शर्मा के हिस्से में आते हैं। भगवत दयाल शर्मा को रोहतक में मुरारी लाल शर्मा ने गोद लिया था। उस दौरान भगवत दयाल ने कहा था कि बेरी की जमीन पर मैं कभी हक नहीं जताऊंगा।

अब जमीन के लालच में बहू आशा शर्मा ट्रस्ट का सहारा लेकर इस प्रकार से जबरन मकान की दीवारों पर बिकाऊ नहीं है जैसी शब्दावली लिखवा रही हैं।

पोता बोला- पंजाबी बाग का मकान बेचा कैलाश शर्मा के पोते देवांशु शर्मा का कहना है कि आशा शर्मा अगर पुश्तैनी जमीन से इतना लगाव रखती हैं तो उन्होंने दिल्ली के पंजाबी बाग में 500 गज के मकान को क्यों बेच दिया? ये पंडित भगवत दयाल शर्मा ने बेरी की सारी जमीन को नकारने के बाद रहने के लिए खरीदा था। उन्होंने पूरा जीवन वहीं बिताया और अंतिम सांस ली। अगर आशा शर्मा लाइब्रेरी बनाना चाहती हैं तो उसे पंजाबी बाग वाली जगह पर बनवा सकती थीं।

पोता बोला- कांग्रेस के बड़े नेता बहू से मिले हुए देवांशु ने आरोप लगाया कि आशा शर्मा की कोशिश है कि बेरी की जमीन में कुछ हिस्सा उसे मिल जाए। प्रॉपर्टी पर कब्जा करने की साजिश में कांग्रेस के बड़े नेता शामिल हैं, वही ये सब षड्यंत्र रचवा रहे हैं। बेरी की सारी जमीन पर हक सिर्फ उमराव सिंह के परिवार का है। बेरी में जहां पर पंडित हीरालाल शर्मा के परिवार की श्मशान भूमि थी, उसे भी ट्रस्ट की आड़ में आशा शर्मा ने अपने कब्जे में ले लिया और श्मशान घाट को पंडित भगवत दयाल शर्मा का स्मृति पार्क बना दिया।

3 पॉइंट में जानिए, आशा शर्मा ने संपत्ति को लेकर क्या कहा…

1. संपत्ति को बेचने और खरीदने की कोशिश आशा शर्मा ने बताया कि हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री बेरी गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 26 जनवरी 1918 हो हुआ था। बेरी गांव में आज भी उनकी पुश्तैनी विरासत है, जिसमें 300 गज का एक प्लॉट है, जो कि खाली पड़ा है। इसके अलावा जिस घर में वे रहते थे, वह करीब 150 गज में बना है। इस संपत्ति पर परिवार में विवाद भी चला हुआ है। इसी जमीन को कुछ लोग बेचने और खरीदने की कोशिश करते रहते हैं।

2. दो बार खरीदारों की डील रुकवाई आशा शर्मा ने आगे बताया कि पहले पूर्व मुख्यमंत्री के मकान को 2 बार बेचने का प्रयास किया जा चुका है। 2 बार खरीदारों की ओर से बयाना भी दिया जा चुका था। मगर, हमने हर बार यह डील रुकवा दी। अब हमारा परिवार लगातार आने वाले ग्राहकों से परेशान हो चुका है। क्योंकि गांव की यह जमीन हमारी ऐतिहासिक विरासत है। पुश्तैनी मकान को बेचने का कोई सवाल ही नहीं उठता।

3. परिवार लाइब्रेरी बनवाना चाहता है आशा शर्मा ने आगे कहा, “पंडित भगवत दयाल शर्मा पूरे हरियाणा की शान हैं। हालांकि पूरा परिवार अब बेरी से बाहर रहता है, फिर भी इस ऐतिहासिक मकान से भावनात्मक जुड़ाव बरकरार है। यह मकान एक सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे सहेजना हमारा कर्तव्य है। परिवार की योजना है कि इस मकान में लाइब्रेरी और बुजुर्गों के लिए बैठने की जगह बनाई जाए। उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ियां भी प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री की विरासत को जान सकें।”

पंडित भगवत दयाल शर्मा के बारे में जानिए….

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26 जनवरी 1918, संयुक्त पंजाब के जींद जिले के बैरो गांव में एक बच्चे का जन्म हुआ। सवा साल बाद उसकी मां नहीं रहीं। पिता हीरालाल शास्त्री ने कुछ साल बच्चे को संभाला, फिर रोहतक के मुरारीलाल को गोद दे दिया। गांव वालों की मौजूदगी में गोद देने कार्यक्रम भी हुआ।

बच्चा 16 साल का हुआ, तो उसकी शादी करा दी गई। उसके बाद वो आजादी के आंदोलन में कूद गया, जेल भी गया। (पूरी खबर पढ़ें)



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