हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर का 2 वर्ष का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो रहा है। हालांकि उनकी रिटायरमेंट में अभी 16 महीने का समय बाकी है, लेकिन सरकार में नए DGP के लिए पैनल तैयार करने पर मंथन शुरू हो गया है। नियमानुसार डीजीपी का कार्यका
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खास बात यह है कि नए पैनल में 30 वर्ष की नौकरी वाले 11 आईपीएस का नाम भेजा जाएगा। डीजी रैंक के कुल 8 अफसरों में से 5 इसलिए दौड़ से बाहर हो जाएंगे, क्योंकि ये इसी साल रिटायर हो रहे हैं। पैनल में 1994 बैच तक के आईपीएस का नाम शामिल होगा, जिसमें से पात्र होने वाले 4 अफसर अभी एडीजीपी रैंक पर हैं। उनमें से किसी को डीजीपी बनाने की स्थिति में पहले उन्हें डीजी रैंक पर प्रमोट करना होगा।
पैनल के लिए 11 नामों पर होगी चर्चा सरकार यदि नए डीजीपी के नाम का पैनल भेजती है तो उसमें वरिष्ठता के तहत 11 आईपीएस अफसरों के नामों पर चर्चा संभावित है। इनमें मौजूदा डीजीपी शत्रुजीत कपूर (1990 बैच) का नाम भी शामिल होगा। उनके अलावा 1988 बैच के मनोज कुमार यादव, 1989 बैच के मोहम्मद अकील, 1991 बैच के आलोक कुमार राय व संजीव कुमार जैन, 1992 बैच के ओपी सिंह व अजय सिंघल, 1993 बैच के आलोक मित्तल व डॉ. एएस चावला, 1994 बैच के नवदीप सिंह विर्क और उनकी पत्नी कला रामचंद्रन के नाम भी हैं।
5 आईपीएस अफसर होंगे रेस से बाहर डीजीपी कपूर को छोड़कर डीजी रैंक के 5 अफसरों का सेवाकाल 6 महीने से कम होने के कारण उनका नाम यूपीएससी की शॉर्टलिस्ट से बाहर हो जाएगा। नियमों के तहत पैनल में शामिल नामों पर विचार करने के लिए अफसर का सेवाकाल 6 महीने से अधिक होना जरूरी है। डीजी होमगार्ड देसराज सिंह (1990 बैच) की सेवानिवृत्त इसी माह में होगी। 1988 बैच के मनोज यादव 31 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं। वर्तमान में वह केंद्र सरकार में सेवाएं दे रहे हैं। 1989 बैच के डीजी (जेल) मोहम्मद अकील 31 दिसंबर, 1991 बैच के आलोक कुमार राय 30 सितंबर और 1992 बैच के ओ.पी. सिंह 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
इन 4 नामों में से किसी एक की लॉटरी निकलेगी वरिष्ठता क्रम के तौर पर पैनल में शामिल होने वालों में संजीव कुमार जैन, अजय सिंघल, आलोक मित्तल और डॉ एएस चावला में से ही किसी एक की लॉटरी निकल सकती है। इनमें से जैन और सिंघल डीजी रैंक पर हैं। जैन सितंबर, 2026 तो सिंघल अक्टूबर, 2028 में रिटायर होंगे।

नया DGP लगाने की चर्चा की 2 बड़ी वजह… 1. आईपीएस लॉबी के सूत्रों के मुताबिक वर्तमान DGP शत्रुजीत कपूर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने के इच्छुक बताए जा रहे हैं। उनकी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) में जाने की इच्छा है। 2. कपूर की नियुक्ति मनोहरलाल खट्टर के मुख्यमंत्री काल में हुई थी। कपूर गुड बुक में रहे। आईपीएस अफसर होने के बावजूद उन्हें बिजली निगम और परिवहन विभाग में आईएएस वाले पदों पर नियुक्ति मिली।
अब पढ़ें आखिर क्या है प्रकाश सिंह मामला… यह फैसला साल 2006 का है। तब प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ मामले में डीजीपी की नियुक्ति और हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम दिशानिर्देश दिए थे। इसे प्रकाश सिंह मामला कहा जाता है, क्योंकि शीर्ष कोर्ट ने यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की PIL पर आदेश दिया था।
- फैसले में कोर्ट ने कहा था कि डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल का होना चाहिए। बाद में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यूपीएससी सुनिश्चित करे कि डीजीपी पद के लिए दिए जाने वाले अधिकारी ऐसे हों जो दो साल बाद रिटायर हो रहे हों।
- किसी भी अधिकारी को डीजीपी बनाने से पहले उसे ट्रेनी बनाना जरूरी है। कम से कम वह डीजी रैंक का अधिकारी रहा हो।
- कार्यवाहक के तौर पर डीजीपी पद पर कोई नियुक्ति नहीं होगी।
- DGP का कार्यकाल समाप्त होने से पहले राज्य सरकार इस पद के लिए नाम यूपीएससी को भेजेगी। इस लिस्ट को बढ़ा-घटाकर तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम UPSC वापस भेजेगा। इनमें से राज्य सरकार किसी भी नाम का चयन कर सकती है।