हरियाणा की पिछली BJP-जननायक जनता पार्टी (JJP) गठबंधन की सरकार में 200 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। इसका खुलासा कंप्ट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल आफ इंडिया (CAG) की रिपोर्ट में हुआ है। यह रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2021-22 की है।
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कैग ने रिपोर्ट में कहा कि सरकार में राजस्व से जुड़े ऐसे कई फैसले लिए गए, जिससे सरकार को नुकसान उठाना पड़ा। इसमें कुछ चीजें टैक्स फ्री कर दी गईं। अवैध शराब की पेनल्टी नहीं वसूली गई। प्राइवेट फर्मों को रजिस्ट्री में 3 करोड़ की छूट दी गई। इसके अलावा गलत रेट से रजिस्ट्री करने की वजह से भी करोड़ों का नुकसान हुआ।
कैग ने हरियाणा सरकार की ये 6 गड़बड़ियां पकड़ीं
1. टैक्स लगाने की जगह फ्री किया, 5 करोड़ का नुकसान कैग की रिपोर्ट में सरकार के रेवेन्यू कलेक्शन पर सवाल उठाए गए हैं। कैग के मुताबिक वित्त वर्ष के दौरान टैक्स निर्धारण संस्थाओं ने कुछ वस्तुओं पर टैक्स लगाने की बजाय उनको टैक्स फ्री कर दिया, जिससे राजस्व को करीबन 5 करोड़ का नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त सरकार को 4 करोड़ 77 लाख रुपए का ब्याज भी कम मिला।
2. टैक्स निर्धारण भी गलत तरीके से किया कैग रिपोर्ट में टैक्स निर्धारण करने वाले जिम्मेदारों ने वित्तीय वर्ष के दौरान टैक्स निर्धारण भी गलत तरीके से किया गया। इस दौरान जहां 36 करोड़ 61 लाख का टैक्स निर्धारण होना चाहिए था। वही टैक्स प्राधिकरणों ने करीब 28 करोड़ निर्धारित किया गया। इससे सरकार को करीबन एक करोड़ कम टैक्स मिला। उत्पाद शुल्क कलेक्शन पर भी कैग ने सवाल उठाए।
3. रजिस्ट्री-एक्साइज से पेनल्टी-ब्याज वसूली नहीं की कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अवैध शराब के लिए अपराधियों से पेनल्टी वसूलने, लाइसेंस फीस और ब्याज वसूलने में पहल नहीं की। इसके चलते सरकारी राजस्व को साढ़े 7 करोड़ का नुकसान हुआ। जमीन की खरीद फरोख्त में स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस अनियमितताओं के कारण 26 करोड़ रुपए का कम राजस्व मिला।
4. प्राइवेट फर्मों को गलत तरीके से 3 करोड़ की छूट दी रजिस्ट्री अथॉरिटी ने मार्केट कमेटी गुरुग्राम, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण और उत्तर हरियाणा बिजली प्रसारण निगम लिमिटेड को सरकारी संस्था मानते हुए स्टांप ड्यूटी में 3.11 करोड़ रुपए की गलत तरीके से छूट दी।
कई नगर पालिकाओं की सीमा के अंदर आने वाले 1 हजार वर्ग गज के से कम के प्लाटों की 14 बिक्री मामलों में आवासीय भूमि की बजाय कृषि भूमि की दरों से स्टांप फीस ली गई। इससे राजस्व को 57 लाख स्टाफ ड्यूटी का नुकसान हुआ।
5. व्यवसायिक प्लॉटों के बदले किसानों को स्टांप ड्यूटी से छूट दी 50 मामलों में किसानों को स्टांप ड्यूटी में छूट की अनुमति दी गई। जबकि वे प्लॉट मुआवजे या फिर व्यवसायिक प्लॉट खरीदे गए थे। यह प्लॉट हरियाणा सरकार की नवंबर 2010 में जारी आदेश के अनुसार नहीं थे। इससे राजस्व को एक करोड़ 61 लाख रुपए के कम शुल्क और पंजीकरण फीस का नुकसान हुआ।
6. कलेक्टर रेट के बजाय जमाबंदी रेट पर रजिस्ट्री, 150 करोड़ का नुकसान कई जगहों पर ऐसे मामले भी सामने आए, जहां रजिस्ट्रेशन अधिकारियों ने कृषि भूमि के लिए निर्धारित सामान्य दरों पर प्राइम खसरा भूमिका गलत निर्धारण किया। इससे प्रदेश को 64 लाख प्राप्त ड्यूटी का नुकसान हुआ। 142 कृषि जमीन के रजिस्ट्रेशन मामलों में अधिकारियों ने उसे जमीन के कलेक्टर रेट की बजाय जमाबंदी रेट पर पंजीकरण कर दिया। इससे सरकार को करीबन 150 करोड़ रुपए के स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का नुकसान हुआ।
7. ज्यादा ग्रेच्युटी, दोहरी पेंशन निकासी भी हुई कैग के महालेखाकार ने यह भी कहा कि सरकार का लेनदेन के नियमों पर पर्याप्त नियंत्रण नहीं है। इस वजह से निर्धारित सीमा से अधिक ग्रेच्युटी का भुगतान, दोहरी पेंशन निकासी और LTC की दोहरी निकासी के मामले भी सामने आए हैं।