Monday, June 9, 2025
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हरियाणा डेरे में गद्दी विवाद, श्रद्धालुओं को सत्संग से रोका: पुलिस बोली- लंगर खाओ और डेरा खाली करके जाओ; श्रद्धालु बोले- हमारे पास परमिशन – Fatehabad (Haryana) News


डेरा जगमाल वाली में सत्संग रोकने के लिए पहुंची पुलिस।

हरियाणा में सिरसा के डेरा जगमाल वाली के गद्दीनशीन संत वकील साहब के निधन के बाद उठा विवाद थमा नहीं है। वकील साहब को श्रद्धांजलि देने के लिए फतेहाबाद के डेरे में सत्संग का आयोजन किया गया था।

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मगर, ऐन मौके पर पुलिस ने सत्संग रोकने को कह दिया। इससे संगत भड़क गई। उन्होंने आरोप लगाया कि परमिशन के बावजूद उन्हें यहां सत्संग नहीं करने दिया जा रहा। उनका कहना था कि यह सब मौजूदा गद्दीनशीन वीरेंद्र सिंह के इशारों पर हो रहा है।

मामला शनिवार रात का है, जब डेरे के अंदर लंगर चल रहा था। उसके बाद श्रद्धांजलि सभा होने ही वाली थी। तब तक बाहर पुलिस की टीमें तैनात हो चुकी थी। प्रशासनिक टीमें कागजात की छानबीन में जुट गईं। हालांकि पुलिस के रोकने के देर रात को श्रद्धालुओं ने डेरे से साइड में जाकर सत्संग का कार्यक्रम किया गया।

2 दिन पहले ही राधा स्वामी डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो ने डेरा जगमालवाली पहुंचकर इस डेरे के नए प्रमुख बाबा बीरेंद्र सिंह को पगड़ी बांधी थी।

श्रद्धालुओं ने बताया कि वे अपने दिवंगत संत को श्रद्धांजलि देने के लिए सत्संग कर रहे थे। इसके लिए 18 सितंबर को संगत द्वारा जिला प्रशासन से परमिशन ली गई थी। डबवाली, सिरसा, ऐलनाबाद सहित दूर-दराज से लोग सभा के लिए फतेहाबाद के डेरा में पहुंच गए थे और लंगर भी बना लिया गया था।

रात को डेरे के बाहर तैनात पुलिस।

रात को डेरे के बाहर तैनात पुलिस।

इतने में पुलिस मौके पर पहुंची और बताया गया कि यहां अब सत्संग नहीं किया जा सकता। चूंकि लंगर बन गया है तो लंगर ग्रहण करके डेरा खाली कर दो। इस पर श्रद्धालुओं रोष पनप गया। उन्होंने कहा कि डेरे पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस और वहां पर मौजूद श्रद्धालु।

मौके पर पहुंची पुलिस और वहां पर मौजूद श्रद्धालु।

श्रद्धालु बोले- प्रॉपर्टी संगत की है चंडीगढ़ से आए गुरदास सिंह ने बताया कि जगमालवाली डेरा की नींव रखने वाले पहले गुरू मैनेजर साहिब उनके परनाना थे। देश में 10 से 12 डेरे संगत ने जमीन दान देकर बनवाए। यह ट्रस्ट 1980 में दिल्ली में रजिस्टर हुआ और उनके दादा ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे हैं, इसलिए यह प्रॉपर्टी साध संगत की है।

श्रद्धालुओं को डेरे से जाने के लिए समझाते हुए पुलिस।

श्रद्धालुओं को डेरे से जाने के लिए समझाते हुए पुलिस।

अज्ञात शक्ति के कहने पर सत्संग रोका गया दिल्ली से आए संजय गुर्जर व प्रीतम सिंह आदि ने कहा कि वीरेंद्र सिंह के कहने पर यह सब कुछ हो रहा है और प्रशासन व सरकार उनसे दब रहा है। वीरेंद्र बड़े हैं या लाखों संगत। उन्होंने कहा कि आज यहां संगत सिर्फ सत्संग कर रही थी और प्रशासन द्वारा अज्ञात शक्ति के कहने पर यह रोक दिया गया।

प्रसाद ग्रहण करते हुए संगत।

प्रसाद ग्रहण करते हुए संगत।

हर महीने सत्संग होता था तो आज क्यों नहीं उन्होंने कहा कि यह शक्ति वीरेंद्र सिंह है। उन्होंने कहा कि डेरे की गद्दी व डेरे पर वीरेंद्र सिंह कब्जा करना चाह रहे हैं। वे कहते हैं कि डेरे उनके हैं तो संगत कहां जाए। उन्होंने कहा कि हर माह पहले 21 तारीख को यहां सत्संग होता रहा है तो आज ही क्यों रोका जा रहा है।

5 राज्यों से लोग आए, सब परेशान हुए उन्होंने कहा कि वीरेंद्र सिंह व उनके साथियों का संगत द्वारा बहिष्कार किया हुआ है और उसी कारण अब सत्संग करने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब कोर्ट में भी अपील की गई है। आज की सत्संग में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, यूपी, दिल्ली से लोग आए हैं, जो अब बुरी तरह परेशान हो चुके हैं।

जानकारी देते हुए डेरे में पहुंचे श्रद्धालु।

जानकारी देते हुए डेरे में पहुंचे श्रद्धालु।

पुलिस बोली- ज्यादा कुछ नहीं बता सकते उधर मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी पर प्रह्लाद सिंह ने बताया कि अभी तक कागजों की छानबीन जारी है और मामले की पड़ताल की जा रही है इससे ज्यादा में कुछ नहीं बता सकते। डेरे से जुडे कागजातों की जांच हो रही है। दूसरी तरफ श्रद्धालुओं में पुलिस के हस्तक्षेप से रोष है।

डेरा जगमाल वाली का विवाद क्या है…

1. 1 अगस्त को हुआ डेरा मुखी का निधन, 2 पक्षों में गोलियां चलीं सिरसा में डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब की एक अगस्त को मौत हो गई थी। इसके बाद गद्दी को लेकर डेरे में 2 पक्ष आमने-सामने हो गए थे। यहां गोलियां भी चलीं। तनावपूर्ण माहौल के चलते डेरे में पुलिस फोर्स तैनात की गई।

परिवार के लोगों ने 2 अगस्त (शुक्रवार) को मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में डेरा प्रमुख को समाधि दी गई। इस दौरान परिवार के लोग और डेरे से जुड़े लोग मौजूद रहे।

डेरा मुखी को अंतिम विदाई देते श्रद्धालु।- फाइल फोटो

डेरा मुखी को अंतिम विदाई देते श्रद्धालु।- फाइल फोटो

2. महात्मा ने खुद को डेरामुखी घोषित किया समाधी वाले दिन ही सूफी गायक और महात्मा बीरेंद्र सिंह ने खुद को डेरा जगमालवाली का नया प्रमुख घोषित किया। सूफी गायकी में बीरेंद्र सिंह के साथी और डेरे के अनुयायी शमशेर लहरी ने दावा किया कि महाराज जी ने चोला छोड़ने से डेढ़ साल पहले ही अपनी वसीयत महात्मा बीरेंद्र सिंह के नाम बिना किसी दबाव में लिख दी थी।

इसमें बीरेंद्र सिंह को संगत की सेवा करने का हुकुम दिया गया था। वसीयत लिखे जाने के बाद उसे महाराज जी की मौजूदगी में वकील की ओर से बाकायदा पढ़ा गया था और उसकी पूरी वीडियोग्राफी करवाई गई थी।

3. दूसरे पक्ष ने डेरामुखी मानने से इनकार किया उधर महाराज बहादुर चंद वकील साहब के भतीजे अमर सिंह और कुछ लोगों ने बीरेंद्र सिंह को नया डेरा प्रमुख मानने से इनकार कर दिया है। अमर सिंह ने कहा कि बीरेंद्र सिंह, बलकौर सिंह, शमशेर लहरी और नंदलाल ग्रोवर ही 1 अगस्त को डेरे की गद्दी हथियाने के चक्कर में महाराज जी का जल्दबाजी में संस्कार करना चाहते थे। महाराज जी की मौत संदिग्ध है और इसकी CBI जांच होनी चाहिए।

डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह (चश्मा पहने हुए) और दूसरे पक्ष के शमशेर लहरी (सफेद पगड़ी में)।

डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह (चश्मा पहने हुए) और दूसरे पक्ष के शमशेर लहरी (सफेद पगड़ी में)।

4. बीरेंद्र सिंह ने कहा-निष्पक्ष जांच के लिए राजी वकील साहब की अंतिम अरदास को लेकर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। वहीं, वकील साहब के निधन के बाद खड़े हुए सवालों को लेकर डेरा के ट्रस्टी और मुख्य सेवक महात्मा वीरेंद्र पहली बार मीडिया के सामने आए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो भी सवाल उठ रहे हैं। उनकी निष्पक्ष जांच के लिए वे खुद सहमत हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्र और हरियाणा सरकार की एजेंसियों से निष्पक्ष जांच करें। ताकि डेरा के श्रद्धालुओं में जो गलत भ्रांतियां फैलाकर डेरा को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, उन पर विराम लगाया जा सके।

5. तनावपूर्ण माहौल में हुई अंतिम अरदास वकील साहब के भोग पर पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच डेरा जगमालवाली में अंतिम अरदास हुई व भोग डाला गया। कार्यक्रम में नए गद्दी धारक का नाम घोषित नहीं किया गया। पुलिस ने हंगामे की आशंका के मद्देनजर कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया इसके बाद हिरासत में लिए गए युवाओं के समर्थक और श्रद्धालुओं ने हंगामा किया।

हिरासत में लिए युवाओं को एक-एक कर डेरे से बाहर निकाला गया और उनको छोड़ दिया गया। विवाद को देखते हुए गद्दी के दोनों दावेदार महात्मा बीरेंद्र सिंह व गुरप्रीत सिंह भोग में नहीं पहुंचे। संत वकील साहिब के परिजनों में केवल बेटा व महिलाएं ही मौजूद रहीं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी संत साहिब को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे।

मस्ताना आश्रम, जहां महाराज बहादुर चंद वकील रहते थे।

मस्ताना आश्रम, जहां महाराज बहादुर चंद वकील रहते थे।

6. वसीयत के मुताबिक बीरेंद्र सिंह को गद्दी सौंपी गई जगमालवाली में डेरा प्रबंधक कमेटी कमेटी और ग्रिविएंस कमेटी की बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्वर्गीय महाराज बहादुर चंद वकील साहब के निधन के बाद डेरे की गद्दी सौंपने की परम्परा का पालन करने पर विचार मंथन हुआ। पधादिकारियों और ट्रस्टियों ने निर्णय लिया कि पूज्य महाराज के हुक्म की पालना के लिए महाराज जी द्वारा की गई वसीयत अनुसार महात्मा बीरेंद्र को गद्दी सौंपी जाए। डेरा की परम्परा के अनुसार महात्मा बीरेंद्र को गद्दी सौंप दी गई। इस दौरान महाराज वकील साहब का परिवार काफी भावुक हो गया। महाराज जी की बहन ने महात्मा बीरेंद्र के सिर पर हाथ रखते हुए कहा कि डेरे को अब आप संभाल लो।

7. बीरेंद्र सिंह को पगड़ी पहनाई गई इसी सप्ताह राधा स्वामी ब्यास के मुखी बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों व उनके नए उत्तराधिकारी जसदीप सिंह गिल महाराज वकील साहिब जी के निधन के बाद डेरा जगमालवाली पहुंचे। राधा स्वामी ब्यास के संत गुरिंदर ढिल्लों ने डेरा जगमालवाली के महाराज बीरेंद्र सिंह ढिल्लों को पगड़ी पहना कर हुक्म दिया कि महाराज वकील साहब ने आपकी जो ड्यूटी लगाई है, उसे शुरू करो। बाबा ने कहा कि महाराज वकील साहब द्वारा दी गई ड्यूटी में नामदान और सत्संग भी शुरू करों। उन्होंने कहा कि सबसे प्यार करना। जो लोग बिछड़े या गुमराह हुए हैं ,उनको भी प्यार से समझा कर साथ लगाओ। सबसे प्यार करो। किसी से नफरत नहीं रखनी है। सब अपने है।

साठ साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम सिरसा के जगमालवाली स्थित मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम की शुरुआत 1964-65 में हुई। यहां बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में देकर डेरा बनाने का अनुरोध किया। इसके बाद संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले यह छोटा सा आश्रम था लेकिन उसके बाद तकरीबन 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना हुआ।



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