Friday, March 14, 2025
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हरियाणा में आज कोड़े मार-डाट होली: डॉक्टर रंग नहीं मिट्‌टी लगाएंगे, महामूर्खों का सम्मेलन, नूंह में जुमा के चलते 1000 पुलिसकर्मी तैनात – Panipat News


हरियाणा में कोरड़ा मार और डाट होली खेलते लोग।- फाइल फोटो

हरियाणा में आज कोरड़ा (कोड़े) मार और डाट होली मनाई जाएगी। कोड़े मार होली मुख्य तौर पर हिसार, रोहतक, भिवानी, झज्जर और रेवाड़ी में खेली जाएगी। जिसमें देवर के रंग डालने पर भाभी उसे कोड़े मारती दिखेगी।

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वहीं डाट होली पानीपत के नौल्था गांव में खेली जाएगी, जिसमें गांव के लोग दीवारों पर खड़े होकर एक-दूसरे पर रंग डालेंगे। महेंद्रगढ़ में महामूर्खों का सम्मेलन हाेगा, इसमें देशभर के 7 कवि आएंगे।

पचंकूला में डॉक्टरों की संस्था ऑल इंडिया मेडिकल एंड रिसर्च एसोसिएशन के सदस्य इकट्‌ठा होंगे। जहां वे शरीर पर चिकनी मिट्‌टी लगाकर होली मनाएंगे। वह इसके फायदे भी बताएंगे।

वहीं नूंह में होली और जुमा एक साथ होने की वजह से पुलिस अलर्ट पर है। यहां मस्जिदों के बाहर पुलिस के करीब एक हजार जवान तैनात किए गए हैं। इसके अलावा एक बटालियन भी रिजर्व रखी गई है।

नूंह में होलिका दहन वाली जगह पर पुलिस जवानों के साथ तैनात शहर थाना प्रभारी नरेश कुमार।

डाट और कोड़े मार होली की पूरी कहानी…

पानीपत में साल 1288 से खेली जा रही डाट होली पानीपत के नौल्था गांव में डाट होली खेली जाती है। इस बार 907वीं बार यह होली खेली जाएगी। गांव में साल 1288 से चली आ रही परंपरा के मुताबिक यह होली खेली जाती है। ग्रामीणों के अनुसार बाबा लाठे वाले, 907 साल पहले फाग के दौरान मथुरा के दाऊजी गांव गए थे। वहां फाग उत्सव में लोगों का आपसी प्रेम और भाईचारा देख कर प्रभावित हुए।

उन्होंने गांव आकर उत्सव को मनाने का फैसला लिया और तभी से नौल्था में हर साल डाट होली उत्सव मनाया जा रहा है। गांव के लोग इस ऐतिहासिक परंपरा के लिए अंग्रेजों तक से लोहा ले चुके हैं।

पानीपत के नौल्था गांव में ये डाट होली खेली जाती है।-फाइल

पानीपत के नौल्था गांव में ये डाट होली खेली जाती है।-फाइल

दीवार पर खड़े होकर रंग डालते हैं, जो पीछे हटा, वह हार जाता है होली के त्योहार पर अमूमन देखने को मिलता है कि किसी पर रंग लगाए तो वो भागने लगता है, लेकिन इन दोनों गांव के युवा एक दीवार के साथ लगकर बैठ जाते हैं। जितना चाहे रंग डालो, पीछे नहीं हटते। इसी तरह दो टोलियां एक-दूसरे के सामने हो जाती हैं। ऊपर से रंग बरसाया जाता है। जो टोली, दूसरी टोली को पीछे धकेल देती है, वो जीत जाती है। गांव की महिलाएं भी घरों की छत पर बैठकर युवाओं पर कढ़ाई में गर्म किया रंग डालती हैं। इस होली में डाट का मतलब सपोर्ट देना है। इसीलिए इसमें 2 समूह बनकर अपने–अपने साथियों को सपोर्ट करते हैं।

बेटे की मौत पर भी टूटने नहीं दी थी परंपरा ग्रामीणों के अनुसार अंग्रेजों के समय में गांव में एक धूमन जैलदार होता था, जिसका एक बेटा सरदारा था। गांव में होली की पूरी तैयारी थी, लेकिन उसी समय धूमन के बेटे की मौत हो गई। गांव में शोक था और किसी ने होली नहीं खेली।

धूमन ने गांव की परंपरा टूटती देखी तो चौपाल से एक बाल्टी रंग की भरी और बेटे की अर्थी पर डाल दी। सभी गांव वालों को कहा कि भगवान की मर्जी से आना-जाना होता है। त्योहार भुलाए नहीं जा सकते। तब से हर वर्ष इसी तरीके से होली खेली जाती है।

पानीपत में डाट होली खेलने का ड्रोन व्यू।- फाइल फोटो

पानीपत में डाट होली खेलने का ड्रोन व्यू।- फाइल फोटो

एक बार नहीं मनाई थी होली, भुगतना पड़ा था खामियाजा नौल्था के मौजिज व्यक्तियों ने बताया कि परंपरा ऐतिहासिक है। वे अपील करते हैं कि प्रशासन भी गांव नौल्था आकर विश्वभर में विख्यात इस पर्व को देखे और मनाए। गांववालों ने अब तक के इतिहास में एक बार यह पर्व इस तरह नहीं मनाया था। इसका खामियाजा पूरे गांव को किसी न किसी रूप में भरना पड़ा था, इसलिए पर्व को ग्रामीण मनाने से नहीं चूकते हैं।

महामूर्ख सम्मेलन 1970 साल पुराना, महामूर्खाधीश घोड़े पर आएगा महेंद्रगढ़ में मास्टर जयनारायण सांस्कृतिक मंच महामूर्ख सम्मेलन करा रहा है। यह एक विशाल हास्य कवि सम्मेलन होगा। मंच के प्रधान नरेश जोशी ने बताया कि यह सम्मेलन 1970 से शुरू हुआ था। इस बार 56वां महामूर्ख सम्मेलन कराया जा रहा है। पहले यह सिर्फ महेंद्रगढ़ और दिल्ली में होता था।

अब इसे जयपुर में भी कराया जा रहा है। इस कार्यक्रम में ग्वालियर से तेज नारायण शर्मा, जबलपुर से मणिका दुबे, मध्यप्रदेश से दिनेश देसी घी, उतर प्रदेश बहराइच से शरफ नान पारवी, मध्यप्रदेश से मनीष गोस्वामी और हरियाणवी भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया रेवाड़ी अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं का मनोरंजन करेंगे। इस सम्मेलन में महामूर्खाधीश को घोड़े पर बिठाकर डीजे के साथ लाया जाता है। उसके गले में सब्जियों की माला पहनाई जाती है।

महेंद्रगढ़ में होने वाले महामूर्ख सम्मेलन में ये 7 कवि पहुंचेंगे।

महेंद्रगढ़ में होने वाले महामूर्ख सम्मेलन में ये 7 कवि पहुंचेंगे।

हिसार-रोहतक की कोरड़े मार होली, देवर रंग डालता है, भाभी कोड़े से मारती है यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है। इसमें होली के दिन सुबह होते ही गांव के सार्वजनिक चौक पर बड़े-बड़े कड़ाहों में रंग और पानी मिलाकर रख देते हैं। जहां गांव की महिलाएं अपने हाथों में कपड़े के गुथे हुए कोरड़े (कोड़े) लेकर आती हैं। इसके बाद देवर भाभी पर रंग डालता है और भाभी उसे कोड़े से मारती है।

हिसार के कुलेरी गांव के पूर्व सरपंच राजेंद्र मिठारवाल ने बताया कि सार्वजनिक रूप से मनाए जाने वाले फाग उत्सव से आपसी भाईचारा बना रहता है। जहां गांव में लोग आपसी गिले शिकवे भुलाकर आत्मिक रूप से फाग खेलते हैं। इस दौरान फाग उत्सव में भाग लेनी वाली सभी महिलाओं को समिति की तरफ से सम्मानित भी किया जाता रहा है, जिससे कि उनमें उत्साह बना रहे और हमारी संस्कृति बचाई जा सके और आने वाली पीढ़ियां भाईचारे के इस पर्व और परंपरा को जीवित रख सके।

ग्राम कुलेरी की पूर्व सरपंच मनीषा ने बताया कि गांव में होली के पावन पर्व पर सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमें ग्रामीण महिलाएं, पुरुष, युवा तथा बच्चे हिस्सा लेते हैं। फाग खेलने के लिए आसपास के दूसरे गांव से भी लोग पहुंचते हैं और फाग पर्व को बडे़ उत्साह के साथ मनाते भी हैं।



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