हरियाणा में गर्मी को लेकर हालात ये हो चुके हैं कि टेंपरेचर 45 डिग्री के पार हो चुका है।
हरियाणा में बढ़ती गर्मी को देखते हुए सरकार की ओर से गाइड लाइन जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि महिलाएं गर्मी के पीक ऑवर्स में खाना न बनाएं। इसके साथ यह भी कहा है कि प्यास न हो तब भी पानी पीतें रहें। सरकार की ओर से जिलों के सभी डीसी को निर्देश दिए गए
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ढीले कॉटन कपड़े पहने की सलाह
सरकार की गाइडलाइन में हल्के रंग के ढीले-ढाले और छिद्रयुक्त सूती कपड़े पहनें, साथ ही बाहर जाने पर धूप का चश्मा, छाता, पगड़ी/स्कार्फ, टोपी, जूते या चप्पल जैसे सुरक्षात्मक उपकरणों अथवा वस्तुओं का उपयोग करने की सलाह दी है। बाहर काम करने वालों को टोपी या छाता पहनने और सिर, गर्दन, चेहरे और शरीर के मुलायम अंगों पर गीला कपड़ा रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा है कि पुनर्जलीकरण महत्वपूर्ण है, और ओआरएस और लस्सी, नींबू पानी और छाछ जैसे घर के बने पेय का खूब उपयोग करें।
जिलों में डीसी को ये करने होंगे काम
गृह विभाग एसीएस डॉ सुमिता मिश्रा की ओर से जिलों के डीसी से सार्वजनिक स्थानों पर पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना, गर्मी से बचाव के उपायों के बारे में गहन जन-जागरूकता अभियान शुरू करना, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक हीट स्ट्रोक रोगियों के लिए पर्याप्त चिकित्सा आपूर्ति सुनिश्चित करना और हीट वेव के चरम घंटों के दौरान मैनुअल मजदूरों, फेरीवालों, विक्रेताओं और रिक्शा चालकों के लिए काम के घंटों के बारे में सलाह जारी करना शामिल है।
हीट स्ट्रोक के कारण होने वाले प्रभाव को कम करने और गंभीर बीमारी या मृत्यु को रोकने के लिए डॉ. मिश्रा ने लोगों से “क्या करें और क्या न करें” के व्यापक नियमों एवं सुझावों का पालन करने का आग्रह किया है।
अस्पतालों में स्लाइन घोल रखने की हिदायत
निर्जलीकरण से प्रभावी रूप से निपटने के लिए, सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) को पर्याप्त स्लाइन घोल और पर्याप्त बिस्तरों से पूरी तरह सुसज्जित रखने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने नागरिकों को सलाह दी है कि वे प्यासे न होने पर भी पर्याप्त पानी पीएं और यात्रा करते समय पानी साथ रखें।ऐसी परिस्थितियों में चिकित्सकीय सलाह लें। डॉ. मिश्रा ने गर्मी से संबंधित बीमारियों जैसे कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, मतली, पसीना आना और दौरे के लक्षणों को पहचानने के महत्व पर भी प्रकाश डाला, और लोगों से आग्रह किया कि अगर वे बेहोश या बीमार होना महसूस करते हैं तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
कमजोर प्राणियों की सुरक्षा प्राथमिकता है, इसलिए जानवरों को छाया में रखने और भरपूर पानी देने की सलाह दी जाती है। साथ ही दिन के समय पर्दे, शटर या सनशेड का उपयोग करके घरों को ठंडा रखने की सलाह दी जाती है। गर्भवती महिला श्रमिकों और चिकित्सा स्थितियों वाले लोगों को अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है।

गर्मी के पीक ऑवर्स में महिलाएं खाना न बनाएं
इसके अलावा, गर्मी के पीक ऑवर्स के दौरान खाना पकाने से बचने की सलाह दी जाती है। अगर आवश्यक हो तो खाना पकाने के क्षेत्रों को पर्याप्त रूप से हवादार रखने की सलाह दी जाती है। शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड शीतल पेय से बचना चाहिए, क्योंकि ये शरीर को निर्जलित करते हैं। डॉ. मिश्रा ने कामगारों के स्वास्थ्य की रक्षा और उत्पादकता बढ़ाने के लिए तेज गर्मी के समय से बचने के लिए काम के घंटों को पुनर्निर्धारित किया जाना चाहिए।
श्रम विभाग को स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय करने के लिए भी निर्देशित किया, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्रों और बस्तियों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि गर्मी से संबंधित बीमारियों से निपटने के लिए कार्य स्थलों पर आपातकालीन चिकित्सा सहायता आसानी से उपलब्ध हो।