इस घोटाले में पुलिस ने 24 एमबीबीएस छात्रों और 17 यूएचएसआर कर्मचारियों सहित 41 व्यक्तियों पर मामला दर्ज किया है। जांच अभी भी जारी है, जबकि तीन कर्मचारी जेल में हैं।
हरियाणा में MBBS एग्जाम घोटाले के बाद पंडित बीडी शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, रोहतक (UHSR) ने बड़ा फैसला किया है। अब यूनिवर्सिटी से जुड़े मेडिकल कॉलेजों में क्यूआर-कोड वाली आंसर शीट का यूज किया जाएगा। यह फैसला एनुअल और सप्लीमेंट्री दोनों एग्ज
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क्या है एमबीबीएस एग्जाम घोटाला
एमबीबीएस परीक्षा घोटाले में छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर के बाहर अपनी उत्तर पुस्तिकाएं फिर से लिखीं। एमबीबीएस के एक छात्र द्वारा प्रस्तुत एक वीडियो ने इस गड़बड़ी को उजागर किया। फुटेज में छात्र बिस्तर और कुर्सियों पर बैठे हुए, यूएचएसआर के एक कर्मचारी की मौजूदगी में अपने उत्तर फिर से लिखते हुए दिखाई दे रहे हैं। छात्रों ने इरेजेबल इंक पेन का इस्तेमाल किया, बाद में पाठ्यपुस्तकों से उत्तर फिर से लिखने से पहले हेयर ड्रायर से अपने मूल उत्तर मिटा दिए।
आंसर शीट से नहीं हो पाएगी छेड़छाड़
सूत्रों ने बताया, “संशोधित प्रणाली के तहत, उत्तर पुस्तिका के प्रत्येक पृष्ठ पर अब एक यूनिक बारकोड होगा, जिसमें न केवल आंसर शीट के पेज नंबर बल्कि पहले पेज पर छपी मुख्य उत्तर पुस्तिका संख्या भी शामिल होगी। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि दी गई आंसर शीट का हर पेज प्रमाणित है और एक ही छात्र से जुड़ा हुआ है, जिससे बिना पता लगाए पृष्ठों को डालना या निकालना असंभव हो जाएगा।
ऐसे दिया था घोटाले को अंजाम
यह निर्णय तब लिया गया जब यह पता चला कि रैकेट चलाने वालों ने एमबीबीएस परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ की थी। उन्होंने मूल प्रथम पृष्ठ को अलग करके उसे परीक्षा के बाद भरी गई दूसरी उत्तर पुस्तिका के साथ जोड़ दिया था। कथित तौर पर ऐसा उन्होंने एक निजी कॉलेज के छात्रों को उत्तीर्ण अंक दिलाने में मदद के लिए किया था।सूत्रों ने बताया कि कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज, करनाल के निदेशक की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय समिति द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पाया गया कि जनवरी-फरवरी 2024 में यूएचएसआर परिसर में आयोजित एमबीबीएस परीक्षा की 46 खाली उत्तर पुस्तिकाएं गायब हो गई थीं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से कुछ गायब उत्तर पुस्तिकाएं अप्रैल-मई 2024 में आयोजित बाद की परीक्षा के दौरान हल किए गए उत्तरों के साथ फिर से सामने आईं।
क्या बोले कुलपति
यूएचएसआर के कुलपति डॉ एचके अग्रवाल ने बताया, हम किसी भी तरह की गड़बड़ी की संभावना को खत्म करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पृष्ठ-वार बारकोडिंग की शुरुआत हमारी मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।अग्रवाल ने यह भी बताया कि यह सुरक्षा उन्नयन केवल एमबीबीएस परीक्षाओं तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे धीरे-धीरे विश्वविद्यालय के अंतर्गत पैरामेडिकल और अन्य संबद्ध स्वास्थ्य पाठ्यक्रमों तक भी बढ़ाया जाएगा।