देश में बीते कुछ सालों से ब्रेन अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हर चार लोगों में से एक को इसका खतरा है। कोरोना के बाद केस बढ़े हैं लेकिन रिसर्च में अभी कारण स्पष्ट नहीं हुआ है। लोग अगर अपनी लाइफ स्टाइल के साथ, इससे बचने के उपायों पर ध्यान दें तो इसे
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यह बात इंदौर में आयोजित एक दिन मिशन ब्रेन अटैक कॉन्फ्रेंस में देशभर से आए न्यूरो एक्सपर्टस ने कही। इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन (ISA) द्वारा आयोजित इस नेशनल कॉन्फ्रेंस में न्यूरो एक्सपर्ट्स नेअपने अनुभव साझा किए। प्रेसिडेंट डॉ. निर्मल सूर्या ने बताया कि ‘मिशन ब्रेन अटैक’ एक देशव्यापी अभियान है। इसका उद्देश्य स्ट्रोक से जुड़ी पूरी देखभाल पर ध्यान देना है। स्ट्रोक के तीन मुख्य कारण होते हैं ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल। अगर आपके परिवार में किसी बुजुर्ग को स्ट्रोक हुआ है और आपको भी ब्लड प्रेशर, शुगर या कोलेस्ट्रॉल है तो सतर्क रहना चाहिए। ऐसे मामलों में वजन कम रखना, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना और शराब व तम्बाकू छोड़ने जरूरी है। इसमें लकवा भी मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। सेक्रेटरी डॉ. अरविंद शर्मा ने बताया कि स्ट्रोक की रोकथाम, जागरुकता, प्रबंधन, देखभाल और पुनर्वास अहम है। स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए शुरुआती रोकथाम, गोल्डन ऑवर में सही इलाज जैसे थ्रॉम्बोलाइसिस और मेकैनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी आदि बेहतर हैं। किसी व्यक्ति को स्ट्रोक होने का सीधा सम्बंध अनुवांशिकी से नहीं होता है। स्ट्रोक के सभी संकेतों को समझना, पीडि़त व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंचाना और इस संबंध में सार्वजनिक जागरूकता बहुत मायने रखती है। ब्रेन स्ट्रोक के दौरान संतुलन खोना, दिखाई न पड़ना, चेहरा बिगड़ना, हाथ और पैर में कमजोरी, बोलने में मुश्किल आना जैसे लक्षण होते हैं।