Saturday, June 14, 2025
Saturday, June 14, 2025
Homeराज्य-शहरहिमाचल के पूर्व परिवहन मंत्री का निधन: वजीर केवल सिंह पठानिया...

हिमाचल के पूर्व परिवहन मंत्री का निधन: वजीर केवल सिंह पठानिया लंबे समय से चल रहे थे बीमार; आज पैतृक गांव में अंतिम संस्कार – Dharamshala News



हिमाचल के पूर्व परिवहन मंत्री वजीर केवल सिंह पठानिया

हिमाचल के पूर्व मंत्री वजीर केवल सिंह पठानिया का आज निधन हो गया। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने 88 साल की उम्र में आधी रात में अंतिम सांस ली। आज उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

.

अंतिम संस्कार दोपहर 1 बजे बासा वजीरा के मोक्षधाम में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके निधन से कांगड़ा और पूरे प्रदेश में शोक की लहर है।

1972 में पहली बार विधायक चुने गए

1972 में पठानिया ने नूरपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे। 1990 में वीरभद्र सिंह की सरकार में ज्वालामुखी से दूसरी बार विधायक बने। तब वह वीरभद्र सरकार में परिवहन मंत्री बनाए गए।

एक बार मंत्री, दो बार विधायक बने

1937 में जन्मे वजीर केवल सिंह पठानिया ने 2 बार विधायक और 1 बार कैबिनेट मंत्री बने। उनका राजनीतिक सफर संघर्ष और उपलब्धियों से भरा रहा। कांग्रेस परिवार से होने के बावजूद, उन्होंने आजाद और अन्य दलों से चुनाव लड़े।

1968 में BDC अध्यक्ष बने

वजीर केवल पठानिया 1968 में पहली बार ब्लॉक समिति (BDC) के अध्यक्ष चुने गए। 1972 में उन्होंने आजाद उम्मीदवार के रूप में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। तब उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता सत महाजन को हराया। हालांकि, कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में शामिल नहीं किया, क्योंकि सत महाजन प्रदेशाध्यक्ष बन चुके थे।

1985 में वीरभद्र सिंह के कहने पर चुनाव नहीं लड़ा

1977 में जनता पार्टी और 1982 में आजाद प्रत्याशी के तौर पर वह सत महाजन से चुनाव हार गए। 1985 में वीरभद्र सिंह के कहने पर उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन 1989 में कांग्रेस छोड़कर जनता दल के झंडे तले चुनाव लड़ा और सत महाजन को हराया।

2007 में बसपा से भी चुनाव लड़ा

1993 में जनता दल का कांग्रेस में विलय हुआ, जिसके बाद पठानिया ने ज्वालामुखी से चुनाव जीता और कांग्रेस सरकार में परिवहन मंत्री बने। 1998 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2003 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा और 2007 में बसपा के झंडे तले चुनाव लड़ा।

ईमानदारी और सादगी की मिसाल, पठानिया जी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों तक आम जनता से व्यक्तिगत संपर्क बनाए रखा और उनके दिलों में अपनी जगह बनाई।



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular