Sunday, June 8, 2025
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हिमाचल के मणिमहेश में उमड़ा आस्था का सैलाब: 1 लाख श्रद्धालु पहुंचे, 12 किमी लंबा जाम, सुबह से चल रहा शाही स्नान – Bharmour News


हिमाचल प्रदेश के चंबा के मणिमहेश में छोटे शाही स्नान के लिए उमड़ी शिव भक्तों की भीड़

उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा के लिए हिमाचल के भरमौर में भारी जन सैलाब उमड़ आया है। पिछले 24 घंटे में एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु भरमौर से मणिमहेश के लिए रवाना हो गए हैं, जहां पर सुबह 3:40 बजे से शाही स्नान चल रहा है।

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छोटे शाही स्नान का शुभ मुहूर्त आज आधी रात 2:20 बजे तक रहेगा। माना जा रहा है तब तक एक लाख से ज्यादा शिव भक्त डल में डुबकी लगाएंगे। शाही बड़ा स्नान राधा अष्टमी के अवसर पर यानी 11 सितंबर को होगा।

देशभर से पहुंच रहे श्रद्धालु हर हर महादेव का जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। ज्यादातर श्रद्धालु पैदल चल कर मणिमहेश पहुंच रहे हैं। इसी के साथ आज से आधिकारिक तौर पर मणिमहेश यात्रा शुरू हो गई है।

मान्यता के अनुसार मणिमहेश की इन पहाड़ियों पर शिव का वास है। नीचे डल झील जहां शाही स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचे हैं

हेलिकॉप्टर की उड़ान में खराब मौसम से बाधा उत्पन्न

हालांकि सरकार ने भरमौर से मणिमहेश के लिए हेली टैक्सी सेवा भी शुरू कर रखी है। मगर इसकी उड़ान में खराब मौसम बाधा उत्पन्न कर रहा है। कुछ श्रद्धालु घोड़े व खच्चरों पर भी इस यात्रा को पूरा कर रहे हैं।

पहले इतने श्रद्धालु कभी नहीं आए: SDM

SDM भरमौर कुलविंदर सिंह ने बताया कि छोटा शाही स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का सही आंकड़ा कल तक पता चलेगा। मगर रविवार और आज सुबह 10 बजे तक एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु मणिमहेश के लिए रवाना हो चुके है। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोग बता रहे कि इससे पहले कभी भी इतनी संख्या में छोटे शाही स्नान को श्रद्धालु नहीं पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण पंजीकरण भी नहीं हो पा रहा है।

चंबा जिला के दुर्गम क्षेत्र भरमौर के मणिमहेश में धार्मिक यात्रा पर पहुंचे श्रद्धालु

चंबा जिला के दुर्गम क्षेत्र भरमौर के मणिमहेश में धार्मिक यात्रा पर पहुंचे श्रद्धालु

12KM लंबा ट्रैफिक जाम

आलम यह है कि मणिमहेश यात्रियों के कारण पिछले कल भरमौर से पहले हाईवे पर 12 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लगा रहा। सैकड़ों श्रद्धालु आधी रात तक ट्रैफिक जाम में फंसे रहे। आज भी काफी संख्या में वाहन ट्रैफिक जाम में फंसे है।

स्थानीय प्रशासन ने मणिमहेश में रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के जवानों के अलावा पर्वतारोहण संस्थान के स्वयं सेवकों को तैनात किया गया है। इसी तरह 5 स्थानों पर शिविरों में मेडिकल टीम की तैनात की गई है।

यहां बनाए गए कैंप

प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा के लिए भरमौर, हड़सर, धनछो, सुंदरासी और गौरीकुंड में 5 जगह कैंप स्थापित किए है। यहां प्रत्येक श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही आगे भेजा जाएगा, क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इन कैंप में मेडिकल टीमें तैनात की गई है।

घोड़े पर यात्रा को देने होंगे 4700 रुपए

भरमौर के हड़सर से मणिमहेश तक घोड़ा-खच्चर से आने-जाने का किराया 4700 रुपए प्रति सवारी तय किया गया है। इसी तरह 5 कैंप के बीच का भी अलग अलग किराया निर्धारित किया गया है। तय किराया से ज्यादा दरें वसूलने पर कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह कुली के लिए भी किराया तय किया गया है।

उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा

मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्‌टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भी देखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह अध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है।

मणिमहेश यात्रा के लिए इन निर्देशों का करें पालन

  • श्रद्धालुओं को चिकित्सा प्रमाण पत्र साथ लाने को कहा गया है। आधार शिविर हड़सर में स्वास्थ्य जांच करवाएं, चढाई धीरे-धीरे चढ़ें, सांस फूलने पर वहीं रुक जाएं
  • छाता, बरसाती, गर्म कपडे, गर्म जूते, टॉर्च और डंडा साथ रखें
  • प्रशासन की और से निर्धारित रास्तों पर चलें
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्या पर निकटतम शिविर में संपर्क करें
  • दुर्लभ जड़ी-बूटियों एवं पौधों के संरक्षण में सहयोग करें
  • यात्री अपना पहचान पत्र/आधार कार्ड साथ रखें
  • सुबह 4:00 बजे से पहले और शाम 5 बजे के बाद हड़सर से यात्रा न करें
  • नशीले पदार्थों व मांस मदिरा का सेवन न करें
  • 6 सप्ताह से ज्यादा गर्भवती महिलाएं यात्रा न करें
  • मौसम खराब होने पर हड़सर व डल झील के बीच धन्छो, सुंदरासी, गौरीकुंड एवं डल झील पर सुरक्षित जगह पर रुके

मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास

ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। यह यात्रा हर साल, आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में हिंदू त्यौहार जन्माष्टमी के अवसर पर होती है। ​माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया।



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