हिमाचल प्रदेश में पांच से छह महीने बाद पंचायत चुनाव होने है। राज्य सरकार ने इसके लिए रिजर्वेशन रोस्टर नए सिरे से लगाने का फैसला लिया है। अब तक चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता रिजर्वेशन-रोस्टर में रोटेशन के हिसाब से अपने-अपने वार्ड-पंचायत के रिजर्व होने के
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प्रदेश में इससे पहले साल 2010 में नया आरक्षण रोस्टर लागू किया गया था। साल 2010, 2015 और 2020 का चुनाव उसी रोस्टर के आधार पर करवाया गया। दिसंबर 2025 में होने वाले पंचायत चुनाव में पहले 15 साल बाद आरक्षण रोस्टर फिर बदला जाएगा।
राज्य सरकार के इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि रिजर्वेशन-रोस्टर को लेकर जो स्थिति 2010 में थी, लगभग वहीं रोस्टर 2025 में भी रहने वाला है। इसमें थोड़ा बहुत परिवर्तन देखने को मिल सकता है। भास्कर एक्सप्लेनर में जाने रिजर्वेशन रोस्टर का मेथड..?
- रिजर्वेशन रोस्टर जहां चुनाव होना है, उस वार्ड, पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद वार्ड की आबादी पर निर्भर करता है।
- सबसे पहले कोई भी सीट अनुसूचित जाति (SC) को आरक्षित की जाएगी।
- SC के बाद अनुसूचित जनजाति (ST) का रोस्टर लगता है।
- इन दोनों के बाद ओबीसी के लिए रोस्टर लगाना होता।
- आखिर में महिलाओं के लिए आरक्षण रोस्टर लगाया जाता है।


रिजर्वेशन को समुदाय विशे, की 5 प्रतिशत आबादी जरूरी
- जिस श्रेणी के लिए पंचायत या वार्ड रिजर्व करना है, उसकी आबादी 5 प्रतिशत अनिवार्य होती है। इससे कम आबादी पर आरक्षण नहीं मिलेगा। मानो किसी पंचायत में 5 प्रतिशत न तो SC ही, न ST और न ही OBC हैं तो वह पंचायत अनारक्षित हो जाएगी। उस पर कोई रिजर्व या ओपन कैटेगरी का व्यक्ति भी चुनाव लड़ सकता है।
वार्ड मेंबर का रोस्टर ऐसे तय होगा?
- पंचायत में यदि वार्ड-मेंबर का आरक्षण तय करना है तो सबसे पहले पूरी पंचायत में SC की आबादी देखी जाती है। आसान शब्दों में समझे तो यदि किसी पंचायत में 9 वार्ड है और उस पंचायत में SC की आबादी 15 प्रतिशत है तो 9 को 12 से गुणा तथा 100 से डिवाइड करेंगे। ऐसा करने से एक सीट SC के लिए रिजर्व हो जाएगी।
- इसी पैमाने के तहत ST और OBC को भी आरक्षण रोस्टर लगेगा।
- जिस तरह वार्ड मेंबर, प्रधान, बीडीसी और जिला परिषद का रोस्टर लगता है, ठीक वैसे ही जिला परिषद चेयरमैन और पंचायत समिति चेयरमैन का भी रोस्टर लगेगा। जिला परिषद चेयरमैन के लिए पूरे जिला की आबादी और पंचायत समिति चेयरमैन के लिए ब्लॉक की आबादी देखी जाती है।
3500 से ज्यादा चुनाव में होने हैं चुनाव
हिमाचल प्रदेश में 3500 से ज्यादा पंचायतें है। इन पंचायतों में प्रधान, उप प्रधान, वार्ड मेंबर, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद के लिए चुनाव होने है। यानी प्रत्येक पंचायत में एक व्यक्ति पांच जनप्रतिनिधियों को वोट देगा।
उप प्रधान पद पर आरक्षण नहीं
उप प्रधान ऐसी सीट है जिस पर आरक्षण रोस्टर लागू नहीं होता। यानी प्रदेश की सभी पंचायतों में उप चुनाव पद पर किसी भी तरह का आरक्षण रोस्टर नहीं लगेगा। इस सीट पर कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है।