5 से 13 मई के बीच 8 घोड़ों की मौत हो गई थी।
हैदराबाद से जबलपुर लाए गए घोड़ों की मौत का सिलसिला जारी है। सोमवार को घोड़ा नंबर 052 ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया, जिससे मृत घोड़ों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। 57 घोड़ों में से अब केवल 46 ही जिंदा बचे हैं। इन्हें पशु चिकित्सा विभाग की निगरानी में र
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इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर जल्द सुनवाई हो सकती है। जबलपुर निवासी सिमरन ईसर ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर घोड़ों को सुरक्षित स्थान पर रखने की मांग की है।
दरअसल, रायपुर निवासी सचिन तिवारी ने 29 अप्रैल से 3 मई के बीच हैदराबाद से 57 घोड़े ट्रकों से जबलपुर पहुंचाए थे। इन्हें पनागर के रैपुरा गांव में रखा गया है, जहां 5 से 13 मई के बीच 8 घोड़ों की मौत हो गई थी। इसके बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ और जबलपुर कलेक्टर के निर्देश पर पशु चिकित्सा विभाग की टीम मौके पर पहुंची और इलाज शुरू किया गया।
जिला प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग बीमार घोड़ों की देखरेख में जुटा है।
एक घोड़े की रिपोर्ट ग्लैंडर्स पॉजिटिव सभी घोड़ों के ग्लैंडर्स सैंपल लेकर हरियाणा स्थित हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र भेजे गए, जहां सिर्फ एक घोड़े की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अब तक जितने भी घोड़ों की मौत हुई है, उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रैपुरा गांव के बाहर दफनाया गया है।
बताया गया है कि सोमवार को जिस घोड़े (नंबर 052) की मौत हुई है, वो लंबे समय से बीमार था। उसे पैरालिसिस और सीवियर कोलिक (गुर्दे की गंभीर बीमारी) हुआ था, जिससे वह भयंकर दर्द में था। उसकी ग्लैंडर्स रिपोर्ट नेगेटिव आई थी, इसके बावजूद उसकी मौत हो गई। इसके बाद डॉक्टरों की मौजूदगी में 10×10 फीट का गहरा गड्ढा खोदकर नमक, चूना और कीटनाशक छिड़काव के साथ उसे दफनाया गया।
इससे पहले,10वें घोड़े की मौत 4 दिन पहले हुई थी। पशु चिकित्सा विभाग के मुताबिक, मृत घोड़ा लेमिनाइटिस नामक बीमारी से पीड़ित था, जिसमें खुर के भीतर सूजन के चलते वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गया था। इसी घोड़े की ग्लैंडर रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी।

PETA का आरोप- सट्टे से जुड़ा मामला PETA से जुड़ी पशु अधिकार कार्यकर्ता सिमरन ईशर ने आरोप लगाया है कि ये घोड़े हैदराबाद के Horse Power Super League (HPSL) चलाने वाले सुरेश पलादुगू और उसके सहयोगियों के हैं। उन्होंने बताया कि हैदराबाद रेसकोर्स में इन घोड़ों से रेस करवाई जाती थी और उस पर फिलीपींस में ऑनलाइन सट्टा खिलाया जाता था।
फिलीपींस सरकार को जब सट्टे की जानकारी मिली, तो उन्होंने भारत सरकार को सतर्क किया। इसके बाद तेलंगाना सरकार ने उस रेस को बंद करवा दिया। गिरफ्तारी से बचने के लिए सुरेश पलादुगू ने 154 घोड़ों को देशभर में अलग-अलग स्थानों पर भेज दिया, जिनमें से 57 घोड़े जबलपुर लाए गए।
हाईकोर्ट में होने वाली है सुनवाई, जांच की मांग यह मामला सिर्फ पशु क्रूरता का नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाजी, मनी लॉन्ड्रिंग और कानून के दुरुपयोग से जुड़ा गंभीर मामला बनता जा रहा है। जल्द ही इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में होने वाली है। अब पशु प्रेमियों और नागरिक संगठनों की मांग है कि प्रशासन को इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर स्पष्ट जवाब देना चाहिए कि इतने कीमती और बीमार घोड़ों को बिना लाइसेंस और जानकारी के जबलपुर लाने की अनुमति कैसे दी गई।
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जबलपुर में पांच दिन में आठ घोड़ों की मौत को लेकर शहर के पशु प्रेमियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। PETA से जुड़े पशु प्रेमियों का आरोप है कि हैदराबाद के हॉर्स पावर स्पोर्ट्स लिमिटेड (HPSL) पर “पीपल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स” (PETA) के छापे के बाद घोड़ों को छिपाने के लिए जबलपुर भेजा गया था। पढ़ें पूरी खबर…