महाराजा सूरजमल की तस्वीर पर पूष्प अर्पित करते हुए।
पलवल के होडल में महाराज सूरजमल के बलिदान दिवस पर कार्यक्रम हुआ। इस दौरान प्रवक्ताओं ने महाराज सूरजमल के जीवन के बारे में बताया। उन्होंने महाराजा की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजली दी।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता एडवोकेट महाराम रावत ने तथा संचालन देवेंद्र नंबरदार ने किया। देवेंद्र नंबरदार और एडवोकेट महाराम रावत ने कहा कि महाराजा सूरजमल सभी वर्गों के हितैषी और आदर्श थे। उन्होंने गरीब कमजोर और जुल्म के खिलाफ लड़ाई लड़ी। महाराजा सूरजमल ने अपने जीवनकाल में 80 युद्ध लड़े और वह कभी पराजित नहीं हुए।
सूरजमल ने 1743 में नींव रखी भरतपुर की नींव
प्रधान ने कहा कि उनकी बहादुरी की मिसाल और इतिहास की किताबों में दर्ज है। सन् 1743 में भरतपुर नगर की नींव रखी, जिसमें भरतपुर के अलावा आगरा, धौलपुर, मैनपुरी, हाथरस, अलीगढ़, इटावा, मेरठ, रोहतक, मेवात, रेवाड़ी, गुरूग्राम व मथुरा सम्मिलित थे। वह एक योद्धा के साथ-साथ दूरदर्शी और कूटनीतिक सोच रखने वाले राजा थे।
महाराजा की दूरदर्शी सोच के कारण कहते थे प्लूटो
महाराजा सूरजमल की दूरदर्शी सोच के कारण उन्हें एशिया का प्लूटो भी कहा जाता है। उन्होंने राजस्थान के लोहगढ़ किले का निर्माण इस तरीके से कराया कि आज तक भी कोई उसे भेद नहीं पाया। अंग्रेजों और मुगलों ने किले पर 13 बार आक्रमण किया, लेकिन लोहागढ़ किले की दीवारों ने अंग्रेजों के तोप के गोलों और हथियारों को निरस्त कर दिया, जिसके कारण अंग्रेजों को हर बार हार का सामना करना पडा।
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