10 जनवरी को रांची में सदस्यता लेंगे रघुवर दास
ओडिशा के राज्यपाल और झारखंड के सीएम रह चुके रघुवर दास के भाजपा में फिर से शामिल होने की तारीख साफ हो गई है। वह 10 जनवरी को रांची प्रदेश कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। हालांकि सदस्यता ग्रहण कार्यक्रम की रूपरेखा क्या होगी वह स्पष्ट नहीं ह
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दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए उन्होंने साफ तौर पर कहा कि झारखंड की सेवा करना मेरे जीवन का उद्देश्य है। भविष्य में मैं कार्यकर्ता के रूप में पार्टी को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा। मैं जमीन से जुड़ा व्यक्ति हूं। इसलिए धरातल की बात करता हूं। पार्टी के किसी भी फैसले को स्वीकार करने के लिए तैयार हूं। पढ़ें पूरी बातचीत…
सवाल : आप पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाएंगे?
जवाब : इस संबंध में मुझसे किसी ने बात नहीं की है। हां, यह मैं कह सकता हूं कि झारखंड की सेवा करना मेरे जीवन का उद्देश्य है। भविष्य में मैं कार्यकर्ता के रूप में पार्टी को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा। मैं जमीन से जुड़ा व्यक्ति हूं। इसलिए धरातल की बात करता हूं। पार्टी के किसी भी फैसले को स्वीकार करने के लिए तैयार हूं।
सवाल : राज्यपाल पद से इस्तीफा क्या आपने भाजपा हाईकमान के कहने पर दिया है?
जवाब : नहीं। मुझ पर किसी ने कोई दबाव नहीं बनाया। मैंने व्यक्तिगत कारणों से यह फैसला लिया है। अभी भाजपा की प्राथमिक सदस्यता नहीं ली है। 10 जनवरी को रांची में सदस्यता ग्रहण करूंगा।
सवाल : प्रदेश अध्यक्ष पद के आप दावेदार होंगे?
जवाब : बिल्कुल नहीं। मैं तो सेवा के लिए यहां लौटा हूं। लोगों के बीच जाऊंगा। संगठन के साथ मिल कर काम करूंगा। बतौर प्रदेश अध्यक्ष पहले भी में मैंने पार्टी के सांगठनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास किया था। मुख्यमंत्री के तौर पर भी लोगों की सेवा की है। पार्टी का आदेश सर्वोपरि है।
सवाल : आप पर राज्यपाल रहते आरोप लगा था कि राजभवन को भाजपा कार्यालय बना दिया?
जवाब : ऐसे आरोपों पर मेरा एक ही जवाब है कि आम लोगों के लिए राजभवन के दरवाजे मैंने खोल दिए थे। हर आदमी सहज तरीके से अपनी बात रख सकता था। ऐसा ही होना चाहिए। आम लोगों की समस्या जैसे भी दूर हो, किया जाना चाहिए। इसमें पार्टी कहां से आती है। सेवा को धर्म बना लें तो लोगों की सारी समस्या दूर हो जाएंगी। अब तक राज्यपाल को लॉट साहब कहा जाता था, मैंने इसे सेवा का जरिया बनाया। जनता से सीधी बातचीत कर उन्हें बताया कि राज्य और केंद्र सरकार उनके लिए किस तरह काम कर रही है।
सवाल : आरोप है कि आपके रूखे व्यवहार के कारण ही पार्टी 2019 के चुनाव में सत्ता से बाहर हुई थी?
जवाब : ईमानदारी से काम करना यदि रूखा व्यवहार है, तो मुझे कोई तकलीफ नहीं है। मैंने पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ सरकार का संचालन किया। गरीब- गुरबों को उनका हक दिलाया। आदिवासी अस्मिता और मंईयां योजना के नाम पर वोट की राजनीति करने वाले बताएं कि तत्कालीन भाजपा शासन में शुरू हुई जनकल्याणकारी योजनाओं को रोकने का पाप किसने किया। हमारी सरकार ने ही आदिवासियों को सबसे अधिक नौकरी दी। महिलाओं के लिए एक रुपए में जमीन रजिस्ट्री के आदेश को क्यों रद्द किया गया? सत्ता में बने रहने के लिए हमने समझौता नहीं किया। बेलगाम अफसरों पर नकेल कसी।

सवाल : पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के प्रमुख कारण क्या रहे?
जवाब : साफ-साफ कहूं तो चुनाव से पहले हर कोई मान रहा था कि हम सत्ता में लौटेंगे। जीत के प्रति अतिआत्मविश्वास के कारण चूक हुई। हमें निचले स्तर तक पहुंचाना चाहिए था। भाजपा के अंदर इस पर समीक्षा हो चुकी है। तय मानिए कि पार्टी अपनी कमजोरियों से सबक लेकर आगे बढ़ेगी।
सवाल : क्या घुसपैठ का मुद्दा नहीं चल पाया?
जवाब : यह बड़ा मुद्दा है। पर पार्टी के इस मुद्दे पर जनता का रुख विपरीत था। जनता ही तय करती है कि उनके लिए क्या मुद्दा है। ————————– रघुवर दास से जुड़ी इस खबर को पढ़ें… रघुवर दास बन सकते हैं झारखंड प्रदेश अध्यक्ष:15 जनवरी के बाद घोषणा की पूरी संभावना, राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की भी चर्चा

ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। अब रघुवर फिर से भाजपा की सक्रिय राजनीति में उतरेंगे। उन्हें बड़ा दायित्व मिलने की संभावना है।
उनके नाम पर दो तरह की चर्चा है। पहली चर्चा के अनुसार उन्हें राज्य में संगठन की जिम्मेदारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। राज्य में विधानसभा चुनाव में पार्टी की जैसी स्थिति हुई, उसे दुरुस्त करने के लिए रघुवर दास को जिम्मेदारी दी जा सकती है।
वहीं दूसरी चर्चा इस बात की भी है कि मकर संक्रांति के बाद उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है। हालांकि रघुवर ने इस मुद्दे पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। जब उनसे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने इसे अफवाह बताया।
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी तेज है कि जेपी नड्डा के बाद उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय कमान सौंपी जा सकती है। क्योंकि उनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अच्छे संबंध बताए जाते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…