छत्तीसगढ़ में दिव्यांग बच्चों के लिए बनाए जाने वाले टॉयलेट्स की योजना चिल्ड्रन विद् स्पेशल नीड्स (CWSN) में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2011 से अब तक 195 करोड़ रुपए खर्च कर 38 हजार 471 स्पेशल टॉयलेट बनाए गए, लेकिन 90% टॉयलेट आज
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शौचालयों में न टाइल्स सही हैं, न हैंडरेल, न ही दृष्टिबाधित बच्चों के लिए ब्रेल साइन, कुछ भी तय मानकों के अनुसार नहीं है। कहीं दीवारें गिरीं, कमोड टूटे और दरवाजे उखड़े हैं। प्रदेश के करीब 10 हजार स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए टॉयलेट ही नहीं है। दिव्यांग बच्चों के हक पर भी डाका डाला गया है।
दैनिक भास्कर की टीम ने प्रदेश के 33 जिलों में स्पेशल बच्चों के लिए बनाए गए इन टॉयलेट की पड़ताल की। इनमें से 90 फीसदी टॉयलेट उपयोग की हालत में नहीं हैं। विस्तार से पढ़िए इस रिपोर्ट में कैसे और कहां-कहां घोटाले को अंजाम दिया गया..?
पहले ये 3 तस्वीरें देखिए…
अंबिकापुर में दिव्यांग बच्चों के लिए बनाए जाने वाले टॉयलेट्स का खस्ताहाल है।

कवर्धा में टॉयलेट की स्थिति इतनी जर्जर है कि दीवार तक नहीं है।

शौचालय में दरवाजे तक नहीं है। टाइल्स सही हैं, न हैंडरेल नहीं है।
क्या थे मानक और क्या मिला?
दिव्यांग बच्चों के लिए तय मानकों के अनुसार टॉयलेट में स्लिप-फ्री टाइल्स, मजबूत हैंडरेल, वॉशबेसिन के पास ग्रिप, ब्रेल साइन, दृष्टिबाधितों के लिए पेवर ब्लॉक्स, और कमोड की ऊंचाई व फिटिंग विशेष जरूरतों के अनुसार होनी चाहिए थी, लेकिन जमीन पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। जर्जर हालात हैं।
CWSN टॉयलेट की स्थिति बद से बदतर
छत्तीसगढ़ में स्कूलों की बात करें तो कुल 56 हजार 615 स्कूल हैं। इनमें 48 हजार 548 सरकारी स्कूल हैं। वहीं इन स्कूलों में 77 हजार 249 स्पेशल बच्चे हैं, जो सभी सरकारी स्कूल के हैं। इन बच्चों के लिए 10 हजार 77 CWSN टॉयलेट बनाए गए हैं, लेकिन इनकी स्थिति बद से बदतर है।

कबीरधाम जिले के स्कूलों में शौचालयों की स्थिति दयनीय है। बच्चों को लिए बनाए गए शौचालय टूट गए हैं।
अंबिकापुर : शौचालय स्तरहीन बनाए गए, उपयोग ही न हो सके
उदयपुर ब्लॉक के ग्राम सलका में 64 दिव्यांग बच्चों के लिए 1 लाख रुपए खर्च कर दो दिव्यांग टॉयलेट का ढांचा खड़ा किया गया, लेकिन टॉयलेट इतने घटिया बनाए गए कि बच्चे इनका उपयोग ही नहीं कर सके। नशेड़ियों ने तोड़ दिया।
धमतरी : 6.98 करोड़ से बने टॉयलेट खंडहर बन चुके है
धमतरी के सरकारी स्कूलों में 2012-13 में 6 करोड़ 98 लाख खर्च कर 1393 सीडब्ल्यूएसएन शौचालय बनाए थे। प्रति शौचालय 50 हजार खर्च हुए। अब हालत यह है कि कई शौचालय खंडहर बन चुके हैं। सरसोंपुरी का शौचालय खंडहर हो चुका है।

धमतरी के सरकारी स्कूलों के कई शौचालय खंडहर बन चुके हैं।
कवर्धा : 8 करोड़ खर्च के बाद भी एक टॉयलेट सलामत नहीं
कबीरधाम में 1556 टॉयलेट पर 8.8 करोड़ खर्च किए गए। यहां यह जिम्मेदारी पीएचई विभाग को दी गई। बोड़ला के खरिया में ईंट निकली थी, रैंप टूट चुका था और रेलिंग जमीन में धंसी मिली। यही हाल खड़ौदा खुर्द, देवसरा, लखनपुर का भी है।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत राजीव गांधी शिक्षा मिशन के माध्यम से सरकारी स्कूलों में 2011 से अब तक 38471 सीडब्ल्यूएसएन टॉयलेट बनाए जा चुके हैं। भास्कर के पास मौजूद समग्र शिक्षा के दस्तावेजों के मुताबिक प्रायमरी और मिडिल स्कूलों में 38118 सीडब्ल्यूएसएन टॉयलेट वर्तमान में हैं और 37 टॉयलेट निर्माणाधीन हैं।