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ऊपर से चिकन चाकन, नीचे मोकामा घाट। ये बतकही तो आपने सुनी ही होगी, ठीक वैसा ही हाल 1 अगस्त, 2024 को बनकर पूरा हुई कराईकेला से जेनाबेड़ा सिलफोड़ी सड़क का है। इस सड़क की लंबाई 12 किमी है। जिस पर साढ़े 11 करोड़ रुपए सरकारी पैसे खर्च हुए हैं। कई जगह देखने पर सड़क चकाचक लग रही है, लेकिन सड़क जगह-जगह पर टूटी हुई है। यह साल भर भी नहीं टिकी। 12 किमी की लंबाई में जगह-जगह पर सड़क उखड़ गई है। कोचासाई, जोमरो, वैषटमपदा आदि गांवों में सड़क उखड़ गई है। राजाबांध के पास सड़क दब गई है। बरसात से पहले ही सड़क की हाई क्वालिटी हकीकत बयां कर रही है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय की देखरेख में यह सड़क बनी है। आरईओ चक्रधरपुर के अभियंताओं की निगरानी में यह सड़क बनी है। मेसर्स भरारा इंफ्रास्टक्चर कंपनी नामक ठेका कंपनी इस सड़क को बना रही थी। सड़क का मेंटनेंस पांच साल तक है। इस सड़क की गुणवत्ता पर स्थानीय ग्रामीणों ने सवाल उठाया है। सड़क अगर साढ़े 11 करोड़ खर्च कर भी उखड़ जाए, तो क्या कहना है। कराईकेला से जेनाबेड़ा तक बनी सड़क की क्वालिटी चेकिंग की मांग भाजपा नेता सह निगरानी समिति के पूर्व अधयक्ष हीरालाल खंडाईत ने की है। वे बताते हैं कि पहले तो लगा कि सड़क चकाचक है, लेकिन अब आठ महीने भी बीता नहीं है कि जगह-जगह पर उखड़ गई है। जनता का पैसा लगा है, लेकिन क्वालिटी बहुत घटिया है। इसकी जांच होनी चाहिए। पांच से छह जगह टूट गई है। बरसात से पहले बनना जरूरी है। वहीं लांडुपोदा पंचायत के मुखिया कुश पूर्ति ने कहा कि इस सड़क की दशा को लेकर वरीय अधिकारियों को पत्र लिखेंगे। डीसी से मिलकर अवगत कराएंगे। जानकारी अनुसार जो ठेका कंपनी इस सड़क को बनाई है। उसी कंपनी को कई अन्य बड़ी योजनाओं का जिले के अलग-अलग प्रखंडों में टेंडर मिला है। वहीं संबंधित सड़क को पांच साल तक मेंटनेंस भी करना है। 1 अगस्त 2024 में सड़क बनकर पूरी हुई है।
भाजपा नेता व मुखिया ने की जांच करने की मांग