Wednesday, March 19, 2025
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12 बार किया कॉल..11 घंटे बाद पहुंची 108: दंतेवाड़ा में दिनभर तड़पता रहा मरीज, तोड़ा दम; शव घर ले जाने भी साढ़े 4 घंटे इंतजार – Chhattisgarh News


परिजन और समाज के लोगों ने अस्पताल में किया हंगामा।

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के गीदम अस्पताल में सोमवार की रात जमकर बवाल हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि मरीज को 11 घंटे तक 108 एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा। एंबुलेंस को मरीज के बारे में सुबह 9:41 को जानकारी दी गई, लेकिन 108 की टीम शाम 7:30 बजे आई। इलाज

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परिजनों ने बताया कि शुरुआती 1 घंटे में 12 बार कॉल किया गया था। 108 के कर्मियों ने 11 घंटे इंतजार करवाया। जिससे मरीज को अस्पताल लाने और इलाज में लेट हुआ और उसकी मौत हो गई। इतना ही नहीं, मौत के बाद शव वाहन के लिए भी साढ़े 4 घंटे के इंतजार करना पड़ा। मामला गीदम थाना क्षेत्र का है।

अस्पताल में रखा मरीज का शव।

दिनभर तड़पता रहा मरीज

रोंजे गांव के रहने वाले राकेश कश्यप का कहना है कि उनके बड़े भाई मृतक मुन्ना राम कश्यप (32) की तबीयत खराब थी। उन्हें उल्टी की शिकायत थी। वहीं सोमवार की सुबह उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ रही थी। जिसके बाद सुबह 9 बजकर 41 मिनट पर 108 को पहला कॉल किया गया था।

कॉल उठाया और काट दिया। फिर 9 बजकर 43 मिनट और 9 बजकर 48 मिनट को कॉल कर उन्हें मरीज के बारे में जानकारी दी गई थी। यह सिलसिला 10 बजकर 56 मिनट तक लगातार चलता रहा। राकेश का कहना है कि, 108 के कॉल सेंटर से कहा गया था कि एंबुलेंस को मौके पर भेज रहे हैं, थोड़ा इंतजार करिए।

करीब 12 बार कॉल और 11 घंटे इंतजार करने के बाद भी 108 समय पर नहीं पहुंची। मरीज दिनभर घर में ही तड़पता रहा।

शव लेने पहुंची एंबुलेंस।

शव लेने पहुंची एंबुलेंस।

11 घंटे बाद आई 108

परिजनों ने दिनभर 108 एंबुलेंस का इंतजार किया। वहीं शाम 7:30 से 8 बजे के बीच 108 आई, तब तक मरीज को निजी वाहन के माध्यम से अस्पताल लाया गया था। अस्पताल लाने के बाद डॉक्टर इलाज कर रहे थे। इसी बीच करीब 10 मिनट के अंदर ही मरीज ने दम तोड़ दिया। जिसके बाद परिजन और ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। बता दें कि गांव और गीदम अस्पताल की दूरी करीब 10 किमी है।

शव ले जाने 9 बार लगाया कॉल

वहीं मरीज की मौत के बाद उसके शव को अस्पताल से घर ले जाने के लिए भी शव वाहन नहीं मिला। अस्पताल में शव वाहन नहीं था। शव ले जाने करीब 9 बार एंबुलेंस को कॉल किया गया था। जब मामला गरमाया और इसकी जानकारी SDM और तहसीलदार तक पहुंची तो रात 11 बजकर 15 मिनट में शव ले जाने के लिए एंबुलेंस आई। परिजनों को करीब साढ़े 4 घंटे तक इंतजार करना पड़ा।

डॉक्टर बोले- इलाज के दौरान तोड़ा दम

गीदम अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर राज मौर्य का कहना है कि जब मरीज को लाया गया था तब उसकी स्थिति खराब थी। हम इलाज कर रहे थे। हाथों में कैनुला लगा रहे थे, इसी दौरान उसने दम तोड़ दिया। इलाज के लिए समय नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि, मरीज को उल्टी की शिकायत थी।

मरीज के भाई राकेश कश्यप ने लापरवाही का आरोप लगाया है।

मरीज के भाई राकेश कश्यप ने लापरवाही का आरोप लगाया है।

सरपंच बोले- लापरवाही से गई जान

रोंजे गांव के सरपंच अनिल कुमार तर्मा ने कहा कि, सुबह से एंबुलेंस को कॉल कर रहे थे। हमसे कहा गया था कि एंबुलेंस पहुंच जाएगी, इंतजार करिए। लेकिन फिर भी नहीं पहुंची। मरीज की मौत हो गई है। लापरवाही के चलते जान गई है। हमारी मांग है कि ऐसे कर्मचारियों पर कड़ा एक्शन लिया जाए।

आगे क्या करना बैठक में लेंगे फैसला

जब मामले की जानकारी मिली तो सर्व आदिवासी समाज के गीदम ब्लॉक अध्यक्ष जितेंद्र वट्टी समेत अन्य ग्रामीण भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि, आदिवासी क्षेत्रों में एंबुलेंस की लचर व्यवस्था है। इसी का खामियाजा भुगतना पड़ा और आज एक की जान चले गई। ये कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं।

अब आदिवासी समाज शांत नहीं बैठेगा। इस विषय में आगे क्या करना है, क्या एक्शन लिया जाएगा समाज की बैठक के बाद फैसला लेंगे।

ये 108 को किए गए कॉल की डिटेल है। कुछ कॉल मरीज के भाई ने अपने फोन से किए तो वहीं कुछ कॉल सरपंच ने अपने फोन से किए थे।

ये 108 को किए गए कॉल की डिटेल है। कुछ कॉल मरीज के भाई ने अपने फोन से किए तो वहीं कुछ कॉल सरपंच ने अपने फोन से किए थे।

प्रबंधन बोला- जानकारी मिलते ही भेजे थे 108

इस मामले को लेकर दंतेवाड़ा जिले के एंबुलेंस प्रबंधन श्याम कश्यप का कहना है कि हमें शाम 7 से 7:30 बजे के बीच केस के बारे में जानकारी मिली थी। जानकारी मिलते ही एंबुलेंस को मौके के लिए भेजा गया था। जब शव वाहन के लिए जानकारी मिली तो उसे भी भेज दिया गया था।

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