गया में सोमवार रात श्राद्ध कार्यक्रम से लौटते वक्त एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत हो गई। हादसे के वक्त स्कॉर्पियो 120 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही थी। स्पीड ज्यादा होने के कारण ड्राइवर ने कंट्रोल खो दिया।
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गाड़ी पहले डिवाइडर से टकराई, फिर पुलिया से 65 फीट नीचे तालाब में गिर गई। स्पीड इतनी थी कि पुलिया पर लगे लोहे के मोटे रॉड तक उखड़ गए।
ड्राइवर ने गाड़ी रोकने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी। अगर रफ्तार कम होती तो शायद हादसा नहीं होता।
हादसे में ड्राइवर की जान बच गई, लेकिन परिवार के 4 सदस्यों की मौत हो गई। घर में अब सिर्फ 3 बुजुर्ग ही बचे हैं। वहीं, मगध मेडिकल कॉलेज में घायल ड्राइवर सिंटू का इलाज चल रहा है।
मृतक शशिकांत के चाचा के बेटे रिशु ने दी मुखाग्नि।
घर से 30 किलोमीटर पहले हुआ हादसा
बड़ा बेटा सुमित आनंद (17) बीजेपी कार्यकर्ता था। उसके दोस्त गांधी की दादी की मौत हो गई थी। सुमित ने अपने पिता शशिकांत शर्मा (42) और मां रिंकू देवी (37) से जिद की थी सभी लोग बिहार शरीफ श्राद्ध कार्यक्रम में चलें।
पूरा परिवार सोमवार को बिहार शरीफ गया। साथ में छोटा भाई बाल कृष्ण (5) भी था। वहां से देर रात परिवार लौट रहा था। घर पहुंचने के लिए महज 30 किमी का सफर तय करना था। तभी हादसा हो गया। घटना खिजरसराय में दखिनगांव के पास हुई।

डिवाइडर से टकराने के बाद स्कॉर्पियो 65 फीट नीचे जा गिरी।
जिस गाड़ी से एक्सीडेंट हुआ, उसे बेचने वाले थे
ग्रामीणों के अनुसार, जिस गाड़ी से एक्सीडेंट हुआ। उसे शशिकांत बेचने वाले थे। एक व्यक्ति से एक महीने पहले 9 लाख रुपए में डील भी हुई थी, पर बड़ा बेटा सुमित स्कॉर्पियो नहीं बेचना चाहता था।
उसने अपने पिता से जिद की थी कि गाड़ी को नहीं बेचिए। गाड़ी में किसी प्रकार की खराबी नहीं थी। गाड़ी इसलिए नहीं बिकी, क्योंकि सुमित को स्कॉर्पियो पसंद थी।
वहीं, ड्राइवर सिंटू सहवाजपुर का निवासी है। कुछ दिन पहले तक सिंटू ऑटो चलाता था। कुछ ही दिन पहले शशिकांत ने अपनी स्कॉर्पियो चलाने के लिए रखा था।
मां-पिता और दादा की कौन करेगा देखभाल ?
बताया गया कि शशिकांत शर्मा का परिवार सुखी-संपन्न था। सूद पर पैसे देने का कारोबार करते थे। दोनों बेटे सुमित और बाल कृष्ण की उम्र के बीच लंबा फासला था, क्योंकि शुरू में शशिकांत एक ही बेटा रखना चाहते थे। बाद में रिश्तेदार के दबाव में दूसरा बेटा हुआ।
घर में अब तीन बुजुर्ग हैं। शशिकांत के माता-पिता और उनके दादा। दूसरी तरफ ससुराल में सास-ससुर भी अकेले रह गए हैं। रिंकू इकलौती बेटी थी। हादसे के बाद इन बुजुर्गों को देखने वाला अब कोई नहीं रहा।

बेटे, बहू और पोतों की मौत के बाद रोते-बिलखते दादा।
चाचा के बेटे ने दी मुखाग्नि
दंपती और दो बेटों का अंतिम संस्कार गांव के घाट पर कर दिया गया है। पति-पत्नी को एक चिता पर रखा और दोनों बेटों की अलग-अलग चिताएं बनीं। मुखाग्नि शशिकांत के भाई छवि के बेटे रिशु (25) ने दी। अंतिम संस्कार के वक्त गांव के लोग भी वहां मौजूद थे।
लोजपा नेता अरविंद सिंह, अतरी के पूर्व विधायक कृष्णनंदन यादव, भाजपा नेत्री वंदना समेत कई लोग मौके पर आए और परिजन को सांत्वना दी।
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