जमुई के खैरा प्रखंड क्षेत्र के अमारी पंचायत के ठेकही गांव में एक सरकारी स्कूल पिछले 14 सालों से एक सामुदायिक भवन में चल रहा है। स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई होती है, जिसमें 49 बच्चे नामांकित है। जिनको पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक भी है।
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बता दें कि ग्रामीण और शिक्षकों के सहयोग से इस स्कूल को गांव के ही एक सामुदायिक भवन में चलाया जा रहा है। जो नवीन प्राथमिक विद्यालय के नाम से जाना जाता है। जहां गांव के बच्चे प्रतिदिन पढ़ने आते हैं।
एक कमरे में चलती है 5 कक्षा की कलास।
शिक्षक ने बताया कि पिछले 14 सालों से यह विद्यालय सामुदायिक भवन में चल रहा है। यहां के एक कमरे में पांचों कक्षा के बच्चों को पढ़ाया जाता है। पहले से तीसरी कक्षा तक के बच्चे एक तरफ मुंह करके पढ़ते है, जबकि चौथी और पांचवी कक्षा के बच्चे दूसरी तरफ मुंह करके पढ़ाई करते हैं।
बच्चों शौच के लिए जाते है घर
बच्चों ने बताया कि सामुदायिक भवन होने के कारण इसमें ना तो शौचालय है और ना ही पानी की व्यवस्था है। अगर प्यास लगती है या मध्यावकाश में खाना खाना होता है तो वह पास के गांव में मौजूद पानी की टंकी के पास जाकर पानी पीते हैं। अगर बीच में भी किसी को प्यास लगे तो उन्हें गांव के पानी की टंकी पर ही जाना पड़ता है। इसके अलावा भवन में शौचालय नहीं होने के कारण अगर किसी बच्चे को शौच जाने की नौबत आती है, तो उन्हें घर जाना पड़ता है।
14 साल में नहीं मिला स्कूल के लिए जमीन
विद्यालय के प्रधान शिक्षक ज्ञायन शंकर कुमार ने बताया कि इसके पीछे की असली वजह जमीन का नहीं होना है। आज तक गांव में विद्यालय के लिए जमीन ही नहीं मिल सकी है। जिस कारण विभाग ने कभी भी इसे लेकर फंड भी नहीं निर्गत किया है। उन्होंने बताया कि कई बार हमने विभाग को इसकी सूचना दी। ग्रामीणों के साथ बैठक भी की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। नतीजतन यह स्कूल आज तक सामुदायिक भवन में ही चल रहा है। जमुई का यह विद्यालय अपने आप में काफी अलग है, तथा यह विद्यालय शिक्षा विभाग के तमाम दावों की पोल खोलता नजर आता है।