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17 साल दुनिया को मूर्ख बनाने वाले धोखेबाज की कहानी: बर्नार्ड मैडॉफ ने अमेरिका का सबसे बड़ा फ्रॉड किया, 150 साल की सजा मिली


वॉशिंगटन1 घंटे पहलेलेखक: आदित्य मिश्रा

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तारीख 10 दिसंबर, 2008… अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़े फाइनेंशियल फ्रॉड का खुलासा हुआ। मंदी में दिवालियेपन का सामना कर रहे अमेरिकन फाइनेंसर बर्नार्ड लॉरेंस मैडॉफ ने अपने बेटों मार्क और एंड्रयू को बताया कि उनका एडवाइजरी बिजनेस “एक बड़ा झूठ है।”

बेटों ने FBI को इसकी शिकायत की। 11 दिसंबर, 2008 को मैडॉफ की गिरफ्तारी हो गई। ये फ्रॉड लगभग 65 बिलियन डॉलर का था। आज के हिसाब से ये रकम करीब 5.54 लाख करोड़ रुपए होती है। मैडॉफ ने दुनियाभर के हजारों निवेशकों को 17 साल तक मूर्ख बनाया।

मैडॉफ पर भरोसा करने वाले कई लोगों के रिटायरमेंट का पैसा डूब गया। कोर्ट ने उन्हें 150 साल की सजा सुनाई। बेटे मार्क ने साल 2010 में सुसाइड कर लिया।

दूसरे बेटे एंड्रयू की 2014 में कैंसर से मौत हो गई। ये फ्रॉड एक ऐसे व्यक्ति ने किया था जो वहां के स्टॉक एक्सचेंज नैस्डेक के पूर्व चेयरमैन भी रह चुका था।

जनवरी 2009 में बर्नी मैडॉफ मैनहट्टन कोर्ट से बाहर निकलते हुए। उनके धोखाधड़ी के शिकार हजारों की संख्या में थे और पाम बीच से लेकर फारस की खाड़ी तक फैले हुए थे।

जनवरी 2009 में बर्नी मैडॉफ मैनहट्टन कोर्ट से बाहर निकलते हुए। उनके धोखाधड़ी के शिकार हजारों की संख्या में थे और पाम बीच से लेकर फारस की खाड़ी तक फैले हुए थे।

आज बर्नार्ड मैडॉफ जन्मदिन है। उनका जन्म 29 अप्रैल 1938 को हुआ था। 14 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई। जन्मदिन के मौके पर हैरान करने वाले इस फ्रॉड की पूरी कहानी…

चैप्टर-1: सेटअप

बर्नार्ड मैडॉफ की फर्म के दो मुख्य अंग थे- एक लेजिटिमेट मार्केट-मेकिंग और प्रोपराइटरी ट्रेडिंग बिजनेस। इसके अलावा एक सीक्रेट एडवाइजरी बिजनेस था जिसके जरिए इस पूरे फ्रॉड को अंजाम दिया गया।

एडवाइजरी बिजनेस में मैडॉफ किसी भी तरह की बाजार स्थिति में 8-12% तक के सालाना रिटर्न देने का वादा करते थे। इस बिजनेस ने स्टेबल रिटर्न चाहने वाले लोगों, हेज फंड, चैरिटी और संस्थानों को आकर्षित किया।

एक्सक्लूसिवटी का ऑरा पैदा करने और डिमांड बढ़ाने के लिए कई बार इन्वेस्टर्स से पैसा लेने से मना कर देते थे। वहीं लोगों के बीच अपने विश्वास को बढ़ाने के लिए अपने पूर्व नैस्डेक चेयरमैन की इमेज का फायदा उठाते थे।

मैडॉफ ने 1960 में अपनी ब्रोकरेज फर्म, बर्नार्ड एल. मैडॉफ इन्वेस्टमेंट सिक्योरिटीज की स्थापना की। (तस्वीर 1999 की है।)

मैडॉफ ने 1960 में अपनी ब्रोकरेज फर्म, बर्नार्ड एल. मैडॉफ इन्वेस्टमेंट सिक्योरिटीज की स्थापना की। (तस्वीर 1999 की है।)

चैप्टर-2: पोंजी स्ट्रक्चर

मैडॉफ लोगों से पैसे लेकर उसे इन्वेस्ट करते ही नहीं थे। क्लाइंट के फंड को स्टॉक, बॉन्ड या अन्य सिक्योरिटीज में निवेश करने के बजाय, इसे एक बैंक अकाउंट में जमा किया जाता था।

मैडॉफ और उनकी टीम ने फर्जी ट्रेड और प्रॉफिट दिखाने के लिए फेक अकाउंट स्टेटमेंट तैयार किए। इन स्टेटमेंट्स में ब्लू-चिप स्टॉक और ट्रेजरी सिक्योरिटीज में होल्डिंग्स दिखाई जाती थी।

जब क्लाइंट विड्रॉल की रिक्वेस्ट करते थे, तो मैडॉफ नए निवेशकों के पैसों से पेमेंट करते थे। यानी, जब तक नई जमा राशि विड्रॉल से अधिक थी, तब तक ये स्कीम आसानी से चल सकती थी।

मैडॉफ स्टेबल रिटर्न कैसे दे पाते हैं इसे एक्सप्लेन करते हुए वो दावा करते थे कि स्टॉक पर्चेज और इंडेक्स ऑप्शन्स को शामिल करते हुए एक कॉम्प्लेक्स ऑप्शन स्ट्रैटजी के उपयोग से ऐसा हो पाता है। लेकिन वास्तव में, ऐसा कोई ट्रेड की होता ही नहीं था। ये फ्रॉड को छिपाने का केवल एक कवर था।

चैप्टर-3: स्केल और रीच

मैडॉफ को हजारों निवेशकों ने अपना फंड मैनेज करने के लिए दिया था। 2008 तक ये रकम 65 बिलियन डॉलर यानी, करीब 5.4 लाख करोड़ रुपए थी, लेकिन अकाउंट में एक्चुअल कैश 300 मिलियन डॉलर (करीब 2600 करोड़ रुपए) से भी कम था।

मैडॉफ के ग्राहकों में रिटायर्ड लोगों से लेकर मशहूर हस्तियां शामिल थीं। इनके अलावा यूनिवर्सिटीज से लेकर पेंशन फंड और फेयरफील्ड ग्रीनविच ग्रुप जैसे फीडर फंड शामिल थे, जिन्होंने जिन्होंने ग्लोबल इन्वेस्टर्स से अरबों डॉलर जुटाए।

चैप्टर-4: छिपाने की रणनीति

  • फर्जी रिकॉर्ड: मैडॉफ की टीम ने फेक ट्रेड कंफर्मेशन और स्टेटमेंट बनाने के लिए पुराने सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया। जितना रिटर्न दिखाना होता था उसे मैच करने के लिए नंबर्स को मैन्युअल रूप से एडजस्ट किया जाता था।
  • कद का फायदा: मैडॉफ ने अपने उद्योग के कद का फायदा उठाकर और मनगढ़ंत डेटा देकर सिक्योरिटी एक्चेंज कमीशन (SEC) की जांच को डिफ्लेक्ट कर दिया। SEC की बार-बार की गई जांच (जैसे, 2005, 2006) फ्रॉड को उजागर नहीं कर पाई।
  • सीक्रेसी: एडवाइजरी बिजनेस एक अलग फ्लोर पर ऑपरेट होता था। इसमें रेस्ट्रिक्टेड एक्सेस था। दावा किया जाता है कि मैडॉफ के दोनों बेटों को भी इस फ्रॉड की जानकारी नहीं थी। उनके दोनों बेटे कंपनी की लेजिटमेट आर्म में काम करते थे।
मैडॉफ ने 1990 के दशक की शुरुआत में गंभीर मंदी, 1998 में ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस और सितम्बर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद भी अपनी धोखाधड़ी स्कीस को जारी रखा।

मैडॉफ ने 1990 के दशक की शुरुआत में गंभीर मंदी, 1998 में ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस और सितम्बर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद भी अपनी धोखाधड़ी स्कीस को जारी रखा।

चैप्टर-5: भरोसा

  • मैडॉफ की विश्वसनीयता: लेजिटिमेट बिजनेस, इंडस्ट्री कनेक्शन्स और चैरिटी में डोनेशन जैसे कामों ने उन्हें एक विश्वसनीय व्यक्ति बना दिया।
  • लगातार रिटर्न: मैडॉफ ने अपने निवेशकों को 8-12% का लगातार स्टेबल रिटर्न दिया। बाजार की अस्थिरता में भी निवेशकों को ये मिलता था।
  • रेगुलेटरी फेलियर: SEC ने हैरी मार्कोपोलोस जैसे व्हिसलब्लोअर की चेतावनियों को नजरअंदाज किया। उन्होंने गणितीय प्रमाण देते हुए बताया था कि मैडॉफ जो रिटर्न लगातार दे रहे हैं वो असंभव है।
  • ग्राहक विश्वास: स्थिर लाभ से चकित निवेशक, शायद ही कभी बड़ी रकम निकालते थे, जिससे मैडॉफ को नकदी प्रवाह बनाए रखने में मदद मिलती थी।

चैप्टर-6: द कोलेप्स

  • ट्रिगर: मैडॉफ का फ्रॉड 2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस के समय उजागर हुआ। जब मार्केट क्रैश हुआ तो लोगों में डर फैल गया। जिन लोगों ने मैडॉफ को अपना फंड मैनेज करने के लिए दिया था वो निवेशक अपने 7 बिलियन डॉलर डिमांड करने लगे। उस समय मैडॉफ के पास बैंक में केवल 200-300 मिलियन डॉलर बचे थे।
  • बचने की कोशिश: मैडॉफ ने नया इन्वेस्टमेंट लाने की काफी कोशिश की। वफादार ग्राहकों पर दबाव डाला और यहां तक ​​कि अवैध तरीकों से फंड जुटाने पर भी विचार किया, लेकिन निवेश की मात्रा निकासी के बराबर नहीं हो सकी। मैडॉफ दिवालिया हो गए और पैसे नहीं लौटा सके।
  • कंफेशन: 10 दिसंबर, 2008 को, दिवालियापन का सामना करते हुए, मैडॉफ ने अपने बेटों, मार्क और एंड्रयू के सामने स्वीकार किया कि एडवाइजरी बिजनेस “एक बड़ा झूठ” था। उन्होंने एफबीआई को मैडॉफ की शिकायत की, जिसके कारण 11 दिसंबर, 2008 को उनकी गिरफ्तारी हुई।
11 दिसंबर, 2008 को बर्नार्ड मैडॉफ की गिरफ्तारी हुई थी।

11 दिसंबर, 2008 को बर्नार्ड मैडॉफ की गिरफ्तारी हुई थी।

चैप्टर-7: इम्पैक्ट

  • पीड़ित: हजारों निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा, जिसमें रिटायर्ड लोग शामिल थे। उन्होंने जीवन भर की बचत खो दी, चैरिटी बंद हो गई (जैसे, एली विजेल फाउंडेशन)। फीडर फंड ने ग्लोबल लेवल से फंड जुटाया था, जिससे यूरोपीय बैंक और मध्य पूर्वी निवेशक प्रभावित हुए।
  • फैमिली फॉलआउट: रूथ मैडॉफ को धोखाधड़ी के बारे में पता नहीं था, उन्हें सार्वजनिक रूप से बदनामी का सामना करना पड़ा और वे निर्वासन में रहीं। मार्क ने 2010 में सुसाइड कर लिया; एंड्रयू की 2014 में कैंसर से मृत्यु हो गई।

चैप्टर-8: सजा

12 मार्च 2009 को, मैडॉफ ने सिक्योरिटी फ्रॉड, मनी लॉन्ड्रिंग और झूठी गवाही सहित 11 फेडरल अपराध करने का दोष स्वीकार किया। जून 2009 में, जस्टीस डेनी चिन ने धोखाधड़ी को ‘एक्स्ट्राऑर्डिनरी इविल’ यानी असाधारण रूप से बुरा’ बताते हुए 150 साल की जेल की सजा सुनाई।

उस समय 71 वर्षीय मैडॉफ को 170 बिलियन डॉलर (मौजूदा वैल्यू- करीब ₹14.50 लाख करोड़) का हर्जाना देने का आदेश दिया गया था। यह राशि उनसे वसूल किए जाने वाले एसेट से कहीं ज्यादा थी।

बर्नी मैडॉफ 2009 में फेडरल कोर्ट से बाहर निकलते हुए। न्यायाधीश डेनी चिन ने मैडॉफ के अपराधों को 'असाधारण रूप से बुरा' कहा।

बर्नी मैडॉफ 2009 में फेडरल कोर्ट से बाहर निकलते हुए। न्यायाधीश डेनी चिन ने मैडॉफ के अपराधों को ‘असाधारण रूप से बुरा’ कहा।

चैप्टर-9: कानूनी हिसाब-किताब

मामला मैडॉफ की सजा से आगे तक गया। धोखाधड़ी के शिकार लोगों ने इसमें शामिल मैडॉफ के साथियों का पीछा किया। 15 आरोपियों को दोषी साबित किया गया।

मैडॉफ के भाई पीटर को 10 साल की सजा हुई। अन्य अरोपी, रूथ मैडॉफ ने शिकायतकर्ताओं के साथ समझौता किया, जिसमें उसकी अधिकांश संपत्ति जब्त कर ली गई।

SEC ने लापरवाही के लिए मुकदमों का सामना किया, पीड़ितों के प्रतिनिधियों के साथ लाखों डॉलर में समझौता किया।

ट्रस्टी इरविंग पिकार्ड के नेतृत्व में 2021 तक 14 बिलियन डॉलर (₹1.2 लाख करोड़) से अधिक की वसूली की। इसके बाद मैडॉफ विक्टिम फंड के जरिए धोखाधड़ी के शिकार लोगों को फंड दिया गया।

हालांकि, इस प्रयास से भी कई निवेशक अपने नुकसान की पूरी तरह से भरपाई नहीं कर पाए। मैडॉफ के प्रायमरी बैंकर जेपी मॉर्गन चेस को भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट न करने के लिए 2.6 बिलियन डॉलर (करीब 22 हजार करोड़ रुपए) का भुगतान करना पड़ा।

चैप्टर-10: मौत

मैडॉफ ने अपने अंतिम दिन नॉर्थ कैरोलिना के FCI बटनर में किडनी की बीमारी से जूझते हुए बिताए। 2020 में दया पर रिहाई से इनकार किए जाने के बाद 14 अप्रैल 2021 को 82 साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई।

उनकी मृत्यु से केवल एक अध्याय समाप्त हुआ, लेकिन उनके धोखाधड़ी के निशान अभी भी बने हुए हैं। मैडॉक के घोटाले के बाद कई सुधार किए गए, SEC की सख्त निगरानी और इन्वेस्टर्स के ड्यू डेलिजेंस को बढ़ाना शामिल है। हालांकि, सिस्टम के इस कमजोरी के बारे में अभी भी बहस जारी है।

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