दिल्ली4 मिनट पहले
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17 महीने से जारी हिंसा के बीच मणिपुर में 19 भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को हटाने की मांग की। 15 अक्टूबर को दिल्ली में हुई बैठक के बाद विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा हिंसा रोकने का यह एकमात्र रास्ता है। सिर्फ सुरक्षा बलों की तैनाती से कुछ नहीं होगा।
उन्होंने चेतावनी दी अगर हिंसा लंबे समय तक जारी रही, तो राष्ट्र के तौर पर भारत की छवि भी खराब होगी। इस बैठक में कुकी, मैतई और नगा विधायक भी शामिल थे। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यव्रत सिंह, मंत्री थोंगम विश्वजीत सिंह और युमनाम खेमचंद सिंह शामिल है।
विधायक बोले- लोग अब भाजपा सरकार पर सवाल उठा रहे लेटर में विधायकों ने कहा कि मणिपुर में लोग भाजपा की सरकार पर अब सवाल उठाने लगे हैं। लोग राज्य में शांति और सामान्य स्थिति चाहते हैं। लोग अब विधायकों से इस्तीफे की मांग कर रहे है। जल्द ही हिंसा का समाधान न निकालने पर दबाव बढ़ता जाएगा।
मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी-मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। इस हिंसा में 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है।
15 अक्टूबर को मणिपुर में शांति के लिए दिल्ली में बैठक हुई थी 15 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय की निमंत्रण पर मैतेई, कुकी और नगा समुदायों के 20 विधायक दिल्ली पहुंचे थे। पहले इनकी बैठक गृह मंत्रालय में होनी थी, लेकिन बाद में IB के ऑफिस ले जाया गया।
यहां IB के पूर्वोत्तर के संयुक्त निदेशक राजेश कांबले, पूर्वोत्तर में भाजपा के समन्वयक संबित पात्रा, केंद्र के सुरक्षा सलाहकार एके मिश्रा और अन्य मौजूद थे। पहले कुकी, फिर मैतेई और बाद में नगा नेताओं से बात की गई। सभी ने अपनी-अपनी मांगें केंद्र के समक्ष रखीं।
इसके बाद सभी को एक हॉल में एकत्रित कर संकल्प दिलाया गया कि आज की बैठक के बाद मणिपुर में न तो एक भी गोली चलेगी और न ही किसी व्यक्ति की जान जाएगी। तीनों समुदायों के प्रतिनिधियों ने इस पर सहमति दी। इसके बाद प्रतिनिधियों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाए।
सूत्रों के मुताबिक करीब डेढ़ घंटे चली बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह मौजूद नहीं थे, लेकिन शाह बैठक की मिनट-टु-मिनट मॉनिटरिंग कर रहे थे।
कुकी प्रतिनिधियों ने सरकार के सामने 3 मांगें रखीं, अंतिम फैसला काउंसिल पर छोड़ा सूत्रों के मुताबिक मणिपुर विधानसभा में 60 विधायक हैं। इनमें 10 नगा और 10 कुकी हैं, जो आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंगलवार की बैठक में 9 कुकी विधायक थे। इनमें से 4 ने तीन मांगें रखीं। हालांकि आगे क्या करना है, इस पर अब कुकी काउंसिल फैसला करेगी। जल्द होने वाली उसकी बैठक में सभी मुद्दे रखे जाएंगे।
- पहली मांग: भारत सरकार मणिपुर की लीडरशिप बदले यानी CM एन बीरेन सिंह को हटाए।
- दूसरी मांग: कुकी इलाकों में अलग प्रशासन हो।
- तीसरी मांग: हथियारबंद ग्रुप्स को गैर कानूनी संगठन घोषित करे।
16 महीने से जारी इस हिंसा में कई जिलों में घर, दुकानें, वाहन जलाकर खाक कर दिए गए हैं।
4 पॉइंट्स में जानिए- क्या है मणिपुर हिंसा की वजह… मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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