मुंगेर के इतिहास में 15 जनवरी 1934 का दिन हमेशा काले अक्षरों में लिखा जाएगा। इस दिन आए विनाशकारी भूकंप ने पूरे शहर को तबाह कर दिया था। इस त्रासदी में 1,434 लोगों की जान चली गई थी। हजारों मकान जमींदोज हो गए थे।
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इस त्रासदी की खबर सुनते ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ.राजेंद्र प्रसाद सहित कई बड़े नेता कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन छोड़कर मुंगेर पहुंचे थे। नेताओं ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर मलबे में दबे लोगों को बचाने का काम किया। वे खुद टोकरी और कुदाल लेकर बचाव कार्य में जुट गए थे।
नेहरू जी अपने साथियों के साथ आए थे मुंगेर।
15 जनवरी को मुंगेर की सभी दुकानें रहती हैं बंद
इस घटना के 91 साल बाद भी मुंगेर के लोग भूल नहीं पाएं हैं। हर साल 15 जनवरी को शोक दिवस के रूप में इस दिन को मनाते हैं। इस दिन शहर की सभी दुकानें बंद रहती हैं। बेकापुर किराना पट्टी स्थित विजय चौक पर हवन और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है।
श्रद्धांजलि सभा का होगा आयोजन
भूकंप में मारे गए लोगों की याद में बेकापुर किराना पट्टी स्थित विजय चौक पर हर साल हवन और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है। कार्यक्रम के बाद दरिद्र नारायण भोज का आयोजन भी किया जाता है।
चंडीगढ़ की तर्ज पर शहर का मास्टर प्लान तैयार
भूकंप के बाद मुंगेर को नए सिरे से बसाया गया। जामिनी बाबू, सरदार बाबू और हरि सिंह बाबू ने चंडीगढ़ की तर्ज पर शहर का मास्टर प्लान तैयार किया है। इसमें सुव्यवस्थित सड़क नेटवर्क, फुटपाथ, ड्रेनेज सिस्टम और पर्याप्त खुली जगह का प्रावधान किया गया। हालांकि, वर्तमान में अवैध अतिक्रमण के कारण शहर की इस व्यवस्थित योजना को नुकसान पहुंचा है।
आज होगी हवन यज्ञ और नारायण भोज
भूकंप दिवस के अवसर पर आज बेकापुर स्थित विजय चौक पर भूकंप दिवस सेवा समिति बेकापुर द्वारा आज कई तरह का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान भूकंप में मारे गए लोगों की याद में बेकापुर किराना पट्टी स्थित विजय चौक पर हवन और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है।
अब मुंगेर शहर इस तरह से डेवलप हुआ।
कार्यक्रम के बाद नारायण भोज का आयोजन होगा। वहीं, आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि भूकंप से बचने के लिए लोगों को कैसे बचना है, इस पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जानकारी दी जाएगी।
15 जनवरी 1934 की है घटना
15 जनवरी 1934 की दोपहर 2:15 में रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता से भूकंप मुंगेर में आया था। इसमें लगभग हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे। पूरा शहर मलवे में तब्दील हो गया था। तब से आज तक मुंगेर में 15 जनवरी को मुंगेर के लोग शोक दिवस के रूप में मनाते हैं।